16-Jan-2018 07:53 AM
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मप्र में अवैध खनन के खिलाफ सरकार सख्त नजर आ रही है। अवैध खनन रोकने के लिए अधिकारियों को कठोर कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। नदियों और खदानों की निगरानी की जा रही है, लेकिन माफिया ने अवैध खनन के लिए नई जगह तलाश ली है। खनन माफिया की नजर इन दिनों प्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के बफर जोन पर है। प्रदेश के वनक्षेत्रों में अवैध खनन जमकर हो रहा है। आलम यह है कि वन विभाग व अवैध खनन से जुड़े लोगों के बीच चोर-सिपाही का खेल चल रहा है।
टाइगर स्टेट का दर्जा खोने के लिए कलंकित पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन में चोरी और मिलीभगत से अवैध खनन तेजी से हो रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा दमोह जिले के मडिय़ादो क्षेत्र को बफर जोन में शामिल है। यह क्षेत्र अवैध उत्खनन करने वाले लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यहां से सीसा, मुरम पत्थर व रेत के साथ कीमती पेड़ों की कटाई बदस्तूर जारी है। बफर जोन में शामिल होने के बाद भी इस तरह के अवैध परिवहन पर रोक लगती हुई दिखाई नहीं दे रही है। मडिय़ादो बफर जोन में इन दिनों कतिपय लोग जंगलों में जगह-जगह उत्खनन कर पत्थर निकाल कर बेच रहे हंै। पत्थरों को निकालने के लिए वन परिक्षेत्र मडिय़ादो में जंगली नाले भी अछूते नहीं रहे। परिणाम स्वरूप प्राकृतिक सौंदर्य स्थल भी छलनी हो रहे हंै।
मडिय़ादो, रजपुरा, पाठा, पाली बर्धा आदि के जंगलों में वन कर्मिंयों की अनदेखी से दिन रात पत्थर और रेत की चोरी हो रही है। जिसमें जहां शासन को राजस्व का चूना लग रहा है, वहीं पर्यावरण को भारी क्षति हो रही है। स्थानीय निवासी अभिषेक जैन, सुरैल पटेल का कहना है कि जंगलों से गांव की ओर बारिश में पानी लेकर आने वाले नालों को कतिपय लोगों के द्वारा लगातार छैनी और हथोड़ों की चोट से छलनी करने कासिलसिला जारी है। लगातार नालों में पत्थरों के खनन से बारिश के बाद भी निरंतर बहने वाले यह नाले बारिश थमने के साथ ही सूख गए हैं। जानकारों की मानें तो नालों के पत्थर खनन होने से बारिश का पानी उसी में समाने लगता है और यह नाले जल्द सूख जाते है। जो ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बनते है।
मडिय़ादो के दर्रा नाले के पास, दुनय, उदयपुरा, बछामा, की पहाडिय़ों पर बर्धा, इमली चौक झौदा निवास, पाली पाठा गांवों के जंगलों से निरंतर पत्थर खनन और दोहन का काम जारी है। पहाडिय़ों तथा नालों से पत्थर तोड़ कर ट्रैक्टर ट्रालियों से यह पत्थर गांव और शहर में बेखौफ परिवहन कर बेचा जाता है। वन चौकी हो या पुलिस थानों के सामने से रेत और पत्थर धड़ल्ले से परिवहन होता है। उक्त खनिज चोरों वन व पुलिस विभाग की मेहरबानी के चलते हौंसले बुलंद है। परिणाम स्वरूप क्षेत्र में पर्यावरण का तेजी से विनाश हो रहा है। मडिय़ादो के वन परिक्षेत्र अधिकारी राजेंद्र सिंह नागेश कहते हैं कि विभाग अवैध खनन रोकने अभियान चलाता रहता है। क्षेत्र में चोरी से अवैध खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी।
स्थानीय लोगों की मानें तो दमोह जिले भर में खनिज विभाग की मिली भगत से स्थानीय प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में नदियों का सीना छलनी किए जाने का दौर लगातार जारी है प्रदेश में नई रेत नीति लागू होने के पूर्व ग्रामीण स्तर के प्रभावशाली लोग नदियों से अवैध रेत खनन करा कर उसका स्टाक बनाने तथा निर्माण का रिप्लाई करने में दिन-रात जुटे हुए हैं।
जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर नोहटा ग्राम पंचायत के समीप दमोह जबलपुर स्टेट हाईवे पर स्थित ब्यारमा नदी के पुल से ली गई हैं। यहां पर बड़ी संख्या में मजदूरों द्वारा सुबह से शाम तक नदी से रेत को निकाला जा रहा है। वही रेत के ढेर लगते ही ट्रैक्टर से भर कर उसे ठिकाने लगा दिया जाता है। जानकारों की माने यहां प्रतिदिन 50 से 100 ट्राली तक रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। जिसकी जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन से लेकर सत्तारूढ़ दल तथा विपक्ष के मठाधीशों यानी सभी नेताओं को है। खानापूर्ति के लिए वन विभाग और खनिज विभाग कभी-कभार कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई करता है, लेकिन असली गुनहगार तक कोई नहीं पहुंच पाता है। यह हाल प्रदेश के सभी वन क्षेत्रों में देखा जा रहा है।
रसूखदारों के संरक्षण में हो रहा खनन
वन विभाग के सूत्रों की मानें तो प्रदेश के सभी वन क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है, लेकिन टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के बफर जोन में अवैध खनन रसूखदारों के संरक्षण में हो रहा है। विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे की टांग खींचने वाले नेता भी अवैध खनन के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं जिसकी एक वजह खनन में नोहटा के कुछ प्रभावशाली लोगों का हाथ होना जगजाहिर है। यहां से नोहटा की चर्चित तहसीलदार से लेकर एसडीएम सहित अन्य अधिकारी निकलते हैं, लेकिन किसी को कानों-कान खबर नहीं होती है। बफर जोन में शामिल पन्ना टाइगर रिजर्व के चौराइया के पाटन और बराना नाले में खुलेआम अवैध खनन हो रहा है। यहां वन कर्मियों और माफियाओं की मिलीभगत से बढ़े पैमाने पर रेत का अवैध व्यापार धड़ल्ले से जारी है। जिससे बफर जोन के कोर एरिया को नुकसान पहुंच रहा है। चौराइया और पाटन के रास्ते प्रतिदिन दर्जनों ट्रेक्टर ट्राली रेत रात के अंधेरे में सीमापर होती है।
-सिद्धार्थ पाण्डे