कटघरे में न्यायपालिका
16-Jan-2018 07:35 AM 1234824
सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जजों ने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इन चार जजों जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई ने चीफ जस्टिस के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाते हुए अपनी शिकायत मीडिया के सामने जाहिर की थी। इस दौरान चीफ जस्टिस के बाद नंबर दो की हैसियत रखने वाले जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि न्यायपालिका के इतिहास में यह घटना ऐतिहासिक है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट के जजों को सामने आना पड़ा है। चेलामेश्वर ने कहा कि पिछले 2 महीने से सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक से नहीं चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में बहुत सारी अनियमितताएं हो रही हैं, जिसे लेकर उन्होंने करीब 2 महीने पहले मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र भी लिखा था। उस पत्र में सुप्रीम कोर्ट की अनियमितताओं के अलावा कई जजों के खिलाफ शिकायत भी की जा चुकी है। इन जजों ने अपनी बात में कहा कि देश का लोकतंत्र खतरे में है। जजों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। इन चार जजों में जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस मदन लोकुर हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि न्यायपालिका की निष्ठा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, इसलिए यह पत्र लिखा गया था। वह बोले कि जब हम जैसे वरिष्ठ जजों की बात पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो फिर हमारे सामने कोई रास्ता नहीं बचा और हमें प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी। उस पत्र में सीजेआई से गड़बडिय़ों की शिकायत की गई थी, जिसमें कई जजों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि पत्र में कहा है कि कुछ खास चीजें एक नियत तरीके से ही होनी चाहिए। अगर पूरे हालात पर गौर करें तो यह बात सामने आती है कि दो मामलों को लेकर इन चारों जजों की चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से तल्खी बढ़ी है। पहला मामला है एमसीआई केस। एमसीआई भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में पहले चेलमेश्वर की बेंच को करनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का रोस्टर तय करने वाले चीफ जस्टिस ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को ट्रांसफर कर दिया। इस पर वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से ऐतराज जताया था कि इस मामले में उनका भी नाम है। इसलिए वे ऐसा न करें। 11 नवंबर 2017 को प्रशांत भूषण को नाराज होते हुए सुप्रीम कोर्ट से बाहर आना पड़ा था। शुक्रवार को जस्टिस चेमलेश्वर ने अपने पत्र में इस मुद्दे को भी रेखांकित किया है। दूसरा मामला जज लोया की मृत्यु का है। सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बीएच लोया की संदिग्ध मृत्यु के मामले ने भी सुप्रीम कोर्ट के भीतर हलचल मचाई है। इस मामले की जांच के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इस केस में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपी हैं। जब जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा गया कि क्या उनका विरोध जज लोया की मृत्यु से जुड़े मामले को लेकर भी है, तो उन्होंने जवाब हां में दिया। इस केस की सुनवाई भी सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच कर रही है। सरकार फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जजों के आरोपों के बाद केंद्र की मोदी सरकार में बेचैनी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि फिलहाल सरकार इस मुद्दे पर वेट एंड वॉच की स्थिति में है। सरकार इस मुद्दे पर सीधे-सीधे किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करने की नीति पर चल रही है और इस सारे विवाद को सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला बताकर खुद को किनारे रखने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की पूरी कोशिश ये है कि इस विवाद के छीटें किसी भी तरह उसके दामन तक न आएं वर्ना बेवजह एक और विवाद का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच सीपीआई के सांसद डी राजा ने जस्टिस चेलमेश्वर से उनके आवास पर मुलाकात की। दोनों के बीच इस मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। मालूम हो कि चीफ जस्टिस के बाद चेलमेश्वर सीनियर मोस्ट जज हैं। - बृजेश साहू
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