अच्छे दिन की आस!
16-Jan-2018 07:14 AM 1234842
वर्ष 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनी थी तो लोगों को अच्छे दिन का सपना दिखाया गया था, लेकिन अभी तक वह सापना साकार होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि आगामी बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है। वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय-समय पर मांग उठती रही है। वर्ष 2018-19 का आम बजट मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा। इस बजट में सरकार मध्यम वर्ग को, जिसमें ज्यादातर वेतनभोगी तबका आता है, बड़ी राहत देने पर सक्रियता के साथ विचार कर रही है। सरकार का इरादा है कि इस वर्ग को खुदरा मुद्रास्फीति के प्रभाव से राहत मिलनी चाहिये। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन छोटे करदाताओं को राहत देते हुये सबसे निचले स्लैब में आयकर की दर 10 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी। सबसे निचले स्लैब में ढाई लाख से लेकर पांच लाख रुपये सालाना कमाई करने वाला वर्ग आता है। जानकारी के अनुसार वित्त मंत्री एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में कर स्लैब में व्यापक बदलाव कर सकते हैं। पांच से दस लाख रुपये की सालाना आय को दस प्रतिशत कर दायरे में लाया जा सकता है जबकि 10 से 20 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 20 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जायेगा। वर्तमान में ढाई से पांच लाख की आय पर पांच प्रतिशत, पांच से दस लाख रुपये पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर देय है। उद्योग मंडल सीआईआई ने अपने बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है, मुद्रास्फीति की वजह से जीवनयापन लागत में काफी वृद्धि हुई है। ऐसे में निम्न आय वर्ग को राहत पहुंचाने के लिये आयकर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ अन्य स्लैब का फासला भी बढ़ाया जाना चाहिये। कृषि निर्यात को बढ़ावा देगी सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार बजट में कई घोषणाएं कर सकती है क्योंकि वर्ष 2016-17 में कृषि निर्यात गिरा है। 2013-14 के 43.23 अरब डॉलर के निर्यात के मुकाबले यह गिरकर 33.87 अरब डॉलर पर आ गया है। दूसरी तरफ कृषि आयात लगातार बढ़ता जा रहा है। 2013-14 में यह 15.03 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2016-17 में 25.09 अरब डॉलर हो गया है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार निर्यात बढ़ाने के लिए नई घोषणाएं कर सकती है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि जब भी निर्यात बढ़ता है, तो कृषि? उत्पादों की कीमतें नियंत्रण में रहती हैं और इससे किसानों को फायदा मिलता है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में मोदी सरकार किसानों की इनकम दोगुनी करने के लिए कई उपाय बजट में कर सकती है। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (हृस्स्ह्र) के मुताबिक भारत में किसान परिवार की औसत आय 6426 रुपये है। किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकार ने जो कमेटी बनाई है, उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि किसानों की आय हर साल 10.41 फीसदी बढ़ाने के लिए निजी निवेश में 7.86 फीसदी की बढ़त होनी जरूरी है। ऐसे में सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे सकती है। इसके साथ ही किसानों के लोन को लेकर भी अहम घोषणा कर सकती है। -माया राठी
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