16-Jan-2018 07:33 AM
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छत्तीसगढ़ राज्य में भले ही विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने हैं, लेकिन सीएम के चेहरे को लेकर अभी से रार मची हुई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में सीएम पद के दावेदार को लेकर फिलहाल एकमत नहीं है। कांग्रेस जहां चुनाव परिणाम के बाद सीएम उम्मीदवार का नाम घोषित करने की बात कह रही है। वहीं भाजपा आलाकमान डॉ. रमन सिंह को सीएम प्रोजेक्ट कर चुनाव लडऩे पर खुलकर नहीं बोल रहा है।
छत्तीसगढ़, एक ऐसा राज्य है जहां बीते तीन चुनावों में भाजपा जीत हासिल कर डॉ. रमन सिंह को मुख्यमंत्री बना रही है। मगर बीते कुछ दिनों से भाजपा की ओर से डॉ. रमन सिंह को चौथी पारी के लिए बतौर सीएम प्रोजेक्ट करने में हिलाहवाला हो रही है। बात चाहे राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पाण्डेय की करें या फिर अन्य बड़े नेताओं की सब के सब अगला चुनाव पीएम के चेहरे पर लडऩे की बात कह रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह स्थिति केवल भाजपा में बनी हुई है। कांग्रेस में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है। चुनावी वर्ष में राहुल गांधी ने भले ही जंबो कमेटियां बना दी हों मगर बतौर सीएम किसी भी चेहरे को प्रोजेक्ट नहीं किया गया। बीते 15 सालों से सत्तासीन भाजपा के अन्य नेता, जो अपने आपको सीएम के समकक्ष समझते हैं वह इसी जुगत में लगे हैं कि कब रमन सिंह का पत्ता साफ हो और वे बतौर सीएम दावेदारी करें। ऐसे नेताओं की फेहरिस्त में आधा दर्जन से अधिक नाम शामिल हैं। 15 सालों से विपक्ष के मरूस्थल पर विचरण कर रही कांग्रेस पार्टी में भी यही स्थिति बनी हुई है। यहां सीएम बनने का ख्वाब भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव, चरण दास महंत, रविंद्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, अमरजीत भगत, कवासी लखमा सहित कई अन्य नेता भी देख रहे हैं। इन तमाम हलातों पर भाजपा जहां कांग्रेस पर निशाना साध रही है। छत्तीसगढ़ का अगला सीएम कौन होगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा, मगर सीएम पद को लेकर मचे इस रार के बीच यह तो तय है कि चाहे सत्तारूढ़ भाजपा हो या फिर विपक्षीय दल कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में सीएम के चेहरे को लेकर भीतर खाने जबरदस्त भूचाल आया हुआ है।
भाजपा की सबसे बड़ी चिंता पिछले चुनाव के परिणाम ने बढ़ाई है। 2013 में छत्तीसगढ़ में भाजपा को 53.4 लाख वोट मिले, जो कुल वैध मतों का 41.4 प्रतिशत था। कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत यानि 52.44 लाख वोट मिले। यानी दोनों पार्टियों के बीच का अंतर एक प्रतिशत से भी कम रहा। साल 2008 के चुनावी आंकड़ों को देखें तो भाजपा उस समय 43.33 लाख वोट पाकर 40.33 प्रतिशत पर थी और कांग्रेस को जनता ने 41.50 लाख वोट यानी 38.63 प्रतिशत के आंकड़े पर रोक दिया था। भाजपा को 2008 में 50 सीटों की जगह एक सीट कम यानि 49 सीट मिली। जबकि कांग्रेस एक सीट पर बढ़त बनाते हुए 38 से 39 सीट पर जा पहुंची। 2008 में बस्तर की 12 में 11 सीटें पिछली बार भाजपा के पास थी। 2013 में इनमें से आठ सीटें कांग्रेस को मिली। ऐसे में डा. रमन सिंह के नेतृत्व पर सवाल उठने लगा है। इसको देखते हुए पार्टी के कदावर नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए लॉबिंग में जुट गए हैं। अब देखना यह है कि किसके भाग्य का छींका फूटता है।
जनता के सुझाव पर कांग्रेस बनाएगी घोषणा पत्र
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने अब जनता को अपना हथियार बनाया है। कांग्रेस घोषणा पत्र को बनाने के लिए सीधे जनता से जुड़ रही है और उनसे राय मांग रही है। आपको बता दें कि साल के अंत में यहां चुनाव होने हैं जिसे देखते हुए कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में कोई कमी नहीं रखना चाहता। आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक दल के नेता और घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष टीएस सिंह देव ने पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में आम लोगों की सहमति के लिए जनता से ही राय मांगने का फैसला किया है। सिंह देव ने कहा कि घोषणा पत्र आम जनता के लिए ही बनाया जाता है। इसलिए अधिक से अधिक जानकारी विभिन्न समूहों और संगठनों से मिल सकती है। इन्हें धरातल की स्थितियों की जानकारी होती है। अध्यक्ष ने कहा मेरा मानना है कि हम जनता से सलाह लेकर कोई नीति बनाते हैं तो वह जनउपयोगी हो सकती है। उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र के संबंध में सुझाव संगठन के माध्यम से और व्यक्तिगत भी दी जा सकती है। इसके लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया जा रहा है। वॉट्सऐप का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला