16-Jan-2018 07:26 AM
1234841
भोपाल में मामला उजागर होने के बाद अभी तक की गई पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि गरीबों को मिलने वाले सस्ते अनाज के नाम पर प्रति माह करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है। इस बात का खुलासा प्रदेश शासन के उचित कार्ड और जरूरत मंद परिवार के आकड़ों से हो रहा है। यह एक दो जिलों में नहीं सूबे के 37 जिलों में हो रहा है।
मामला सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने इन कालाबाजारियों पर सख्त कार्रवाई की है। प्रदेश भर के एक दर्जन से ज्यादा ट्रांसपोर्टर्स को ब्लेक लिस्टिेड कर दिया है जिनमें जबलपुर और नरसिंहपुर के ट्रांसपोर्टस भी शामिल हैं। कल्याणकारी योजनाओं का करीब 2300 क्विंटल गेहूं एवं 200 क्विंटल चावल पकड़ में आने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम ने कार्रवाई की है। मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम ने अपने यहां रजिस्टर्ड प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा ट्रांसपोर्टरों को काली सूची में डाल दिया है। इस सूची में जबलपुर के चार ट्रांसपोर्टर्स को ब्लैकलिस्टेड किया गया है। इसके साथ ही नरसिंहपुर के भी एक ट्रांसपोर्टर्स को ब्लैकलिस्टिेड किया गया है। अब ये ब्लैकलिस्टेड ट्रांसपोर्टर्स सरकारी योजनाओं के अनाज का परिवहन नहीं कर सकेंगे। मामले की तह में जाने पर सरकारी राशन की कालाबाजारी में लिप्त और ट्रांसपोर्टरों के नाम सामने आने की आशंका है।
फिलहाल जिन ट्रांसपोर्टरों को ब्लैक लिस्टिेड किया गया उनमें गोविंद कुमार चांदवानी जबलपुर, त्रिवेदी ट्रांसपोर्ट जबलपुर, सुदर्शन ट्रांसपोर्ट जबलपुर, रेयान्स रोडवेज जबलपुर, खालिद ट्रांसपोर्ट भोपाल, सुविधा ट्रांसपोर्टर्स सर्विसेस भोपाल, एससीएम रोडवेज भोपाल, राजेश जैन रोड लाइंस सागर, मोनू ट्रांसपोर्ट अशोक नगर, दमन ट्रांसपोर्ट नरसिंहपुर, राहुल सलूजा कटनी, पंकज चतुर्वेदी शहडोल, अर्स रोडवेज खंडवा आदि शामिल हैं। मध्यप्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम - नान के एमडी विकास नरवाल के अनुसार गड़बड़ी करने वाले सभी ट्रांसपोर्टरों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है, इसके साथ ही उनका चल रहा सभी काम भी रोक दिया है। उन्होंने गड़बड़ी करने वाले व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों को चेताया कि आगे भी ऐसी कार्रवाई होगी।
राजधानी की फूड कंट्रोलर ज्योति शाह नरवरिया द्वारा कल्याणकारी योजना के तहत दर्जनों संस्थाओं का लाखों का अनाज आपराधिक फर्जीवाड़ा कर निकालने का मामला सामने आया है। इस घोटाले की अहम बात यह है कि जिन संस्थाओं के नाम पर अनाज निकाला गया है उनको अनाज निकालने की जानकारी ही नहीं है। यह घोटाला मुकुल गुप्ता एसडीएम द्वारा गठित टीम ने उजागर किया है। एसडीएम टीम द्वारा कल्याणकारी योजना की लाभार्थी संस्थाओं की भौतिक जांच की गई, तो पता चला कि दर्जनों संस्थाओं के नाम से फूड कंट्रोलर ने अनाज निकालकर व्यापारियों को बेच दिया है। जानकारी के अनुसार आशा निकेतन स्कूल ऑफ हैंडीकैप भोपाल, मरियम स्कूल ऑफ मेंटली हैंडीकैप भोपाल और जामिया इस्लामिया अरेबिया मस्जिद भोपाल नामक इन तीन संस्थाओं के लिए करीब 1500 क्विंटल अनाज का डिमांड आर्डर पिछले दिनों फूड कंट्रोलर द्वारा जारी किया गया था। डिमांड आर्डर के आधार पर नागरिक आपूर्ति निगम में इन तीन संस्थाओं की तरफ से आवंटित अनाज की कीमत का ड्राफ्ट जमा किया गया था। आपूर्ति निगम ने खालिद ट्रांसपोर्टर्स भोपाल को इस अनाज को इन तीनों संस्थाओं को पहुंचाने का आदेश भी जारी कर दिया था। ट्रांसपोर्टर्स ने आपूर्ति निगम से यह अनाज उठाकर इन संस्थाओं को डिलेवर भी कर दिया था। एसडीएम की जांच टीम को इन संस्था पदाधिकारियों ने बताया है कि उनको यह जानकारी ही नहीं है कि उनके नाम से सालों से अनाज निकाला जा रहा है। इन संस्था पदाधिकारियों ने मांग की है कि इनके नाम से जो डिमांड ड्राफ्ट आपूर्ति निगम में लगाए गए हैं, ट्रांसपोर्टर्स द्वारा इनके नाम की अनाज प्राप्ति की बनाई गई रसीद और खाद्य अधिकारियों द्वारा संस्था की जांच रिपोर्ट के मामले की पुलिस में एफआईआर कराई जाए।
नागरिक आपूर्ति निगम की भूमिका संदिग्ध
मध्यप्रदेश के गोदामों में पिछले सालों के दौरान करोड़ों के खाद्यान्न सड़ जाने का मामला हो या फिर रीवा और सतना में राशन दुकानों को आवंटित अनाज और शक्कर की कालाबाजारी की घटनाएं, हर बार नागरिक आपूर्ति निगम की भूमिका संदिग्ध ही रही है। बीते एक साल के दौरान ही आंकड़ों पर नजर डालें तो नागरिक आपूर्ति निगम में एक हजार करोड़ के घोटाले सामने आ चुके हैं। मप्र में गरीबों के अनाज की कालाबाजारी के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए जा रहे हैं। गरीबों को बांटने के लिए सरकार ने अनाज खरीदा, गोदामों में भरा और उसका एक बड़ा हिस्सा गोदामों में ही सड़ गया। पहली नजर में यह लापरवाही लगती है, लेकिन कई मामलों में सामने आईं शिकायतों और जांच के दौरान पाया गया है कि अनाज सड़ा नहीं था, बल्कि रिकॉर्ड में सड़ाया गया है।
- नवीन रघुवंशी