01-Jan-2018 10:49 AM
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सत्ता के सेमीफाइनल में तब्दील हो चुके मुंगावली और कोलारस विधानसभा उपचुनाव को जीतने के लिए शह-मात का खेल चल रहा है। उपचुनाव का कार्यक्रम भले ही जारी न हुआ हो, लेकिन इन दोनों सीटों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व केंद्रीय ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच चुनावी जंग छिड़ गई है। अटेर के बाद चित्रकूट विधानसभा का उपचुनाव जीतकर कांग्रेस जीत की चढ़ाई चढ़ रही है तो भाजपा हार की फिसलपट्टी पर पहुंच गई है। यही कारण है कि दोनों दल अपनी इन स्थितियों को बदलने के लिए मुंगावली और कोलारस को 2018 के पहले एक ऐसे मौके के रूप में देख रहे हैं जिसमें निकटतम प्रतिद्वंदी को धक्का दिया जा सके। यही कारण है कि उपचुनाव की घोषणा के पूर्व ही दोनों दलों द्वारा इस क्षेत्र में चुनावी जमावट की जा रही है।
कांग्रेस के कब्जे में रही दोनों सीटों पर अपना कब्जा जमाने के लिए भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती है। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन दोनों क्षेत्रों में विकास योजनाओं की बरसात करनी शुरू कर दी है। साथ ही मतदाताओं की संख्या को देखते हुए सहरिया आदिवासियों के लिए विशेष घोषणाएं भी की है। उन्होंने पुलिस की भर्ती में सहरिया आदिवासियों का लिखित परीक्षा न देने की घोषणा की है। कोलारस के दो लाख तीस हजार मतदाताओं में से सहारिया जनजाति की संख्या 35 हजार है। इसके चलते मुख्यमंत्री ने इस वर्ग को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मुख्यमंत्री ने शिवपुरी जिले के लिए 27 करोड़ का विशेष पैकेज स्वीकृत किया है। इसके तहत सहरिया बालिकाओं के लिए संभाग का सबसे बड़ा शिक्षा परिसर बनाया जाएगा। इसमें एक साथ 490 लड़कियों के ठहरने, सोने, खाने-पीने की व्यवस्था होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लगभग सभी मंत्रियों से मुंगावली और कोलारस जाकर अपने-अपने माध्यम से वातावरण को पार्टी के अनुरूप बनाने के लिए कहा है। लगभग आधा दर्जन मंत्री मुंगावली और कोलारस में डेरा डाले हुए हैं। स्वयं मुख्यमंत्री जब भी समय मिलता है मुंगावली और कोलारस का रुख करते हैं दोनों ही क्षेत्रों में मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम कर चुके हैं। बड़ी-बड़ी सभाएं कर चुके हैं और अनेकों घोषणाएं कर चुके हैं। शिलान्यास कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद पार्टी की चिंता यहां भी अटेर और चित्रकूट जैसी बढ़ी हुई है।
जिस तरह शिवराज ने विधानसभा चुनाव 2018 को ध्यान में रखते हुए सिंहासन के सेमीफाइनल के लिए सारे विकल्प खोलकर सिंधिया को उनके गढ़ में मात देने का ताना-बाना बुना है उससे शायद ज्योतिरादित्य भी अंजान नहीं हैं। चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही भाजपा सरकार और संगठन के नेताओं का बूथ स्तर से लेकर राजधानी भोपाल में जो नेटवर्क काम कर रहा है उसे भेद पाना सिंधिया के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। ज्योतिरादित्य अच्छी तरह जानते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की उनसे अपेक्षाएं बढऩा लाजमी है, तो उपचुनाव जीतने का दबाव साफ देखा जा सकता है।
सिंधिया का पलड़ा भारी
मुंगावली और कोलारस विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा द्वारा कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगातार किए जा रहे हमलों के बाद भी मतदाताओं का रूझान ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ बढ़ता जा रहा है। दोनों ही विधानसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहमति से टिकिट दिए जाएंगे। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत के बाद भाजपा भले ही कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीट जीतने का दावा कर रही हो, लेकिन दोनों ही सीट पर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना हुआ है। कोलारस में 50 प्रतिशत मतदाता कांग्रेस के पक्ष में हैं, यहां 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव को कुल मतदान का 46.45 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, वहीं भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र कुमार जैन को 30 प्रतिशत वोट मिले थे। यही स्थति मुंगावली विधानसभा में रही थी, यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को 51.24 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, और भाजपा प्रत्याशी राव देशराज सिंह 36 प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाए थे। क्षेत्र के युवा और किसान ज्योतिरादित्य सिंधिया को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं। यही कारण है कि भाजपा की तरफ से लगातार हो रहे हमलों के बाद भी क्षेत्रीय माहौल सिंधिया के पक्ष में बना हुआ है।
-अक्स ब्यूरो