01-Jan-2018 10:20 AM
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मप्र के आदिवासी बाहुल्य जिलों में एक बार फिर नक्सली लाल गलियारा बनाने की फिराक में जुट गए हैं। इसके लिए उनके द्वारा कान्हा नेशनल पार्क के आसपास के इलाकों में उनकी गतिविधियां फिर से लगतार बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए नक्सलियों ने कान्हा बफर जोन से लगे विस्थापित गांवों को चुना है। यहां पर बड़ी संख्या में विस्थापितों के मकान खाली पड़े हुए हैं, जिन्हें नक्सली अपना ठिकाना बना रहे हैं। आसपास के इलाकों के लोगों द्वारा इन मकानों में नक्सलियों को देखा गया है। प्रदेश के कुछ आदिवासी जिले छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों की सीमा से लगे हुए हैं। जिसका फायदा नक्सलियों द्वारा उठाया जाता है। वर्तमान में जिले मेें सक्रिय नक्सली बालाघाटा के गढ़ी रेंज से पांडूतला मंडला होते हुए डिंडौरी के रास्ते उमरिया और शहडोल तक कारिडोर बनाने के काम में लगे हुए हैं। यह नक्सली छग से निकलने वाली नदी हालोन के किनारे से मप्र में प्रवेश कर रहे हैं। इस नदी पर बालाघाट और मंडला की सरहद पर डेम भी बन रहा है। कान्हा के गढ़ी और सूपखार रेंज के कई इलाकों में इनकी आवाजाही देखी गई है। सूत्रों के अनुसार कान्हा नेशनल पार्क के बफर जोन में जाने वाले गढ़ी और सूपखोर रेंज में कुछ साल पहले कई वनग्राम विस्थापित हो चुके हैं जिन्हें अब नक्सलियों ने अपने रुकने का ठिकाना बनाया हुआ है। मप्र में नक्सलियों पर पुलिस का दबाव कम होने से वे शहडोल तक कारिडोर बनाने पर काम कर रहे हैं। पुलिस के खुफिया सूत्रों पर भरोसा करें तो नक्सली विस्तार योजना के तहत मप्र के कई जिलों में पैठ बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं।
बालाघाट में नक्सली संगठन आमतौर पर बड़ी वारदात नहीं करते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जंगल को नक्सलियों ने छिपने का सुरक्षित केंद्र बनाया हुआ है। इसके बावजूद वे यहां पुलिस के हर मूवमेंट पर नजर रखते हैं। कुछ समय पहले नक्सलियों ने पुलिस के वायरलैस सेट की फ्रिक्वेंसी हैक कर ली थी। वे पुलिस की सारी बातचीत सुना करते थे।
छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती कवर्धा जिले में सक्रिय ये नक्सली बालाघाट के गढ़ी रेंज से पांडूतला मंडला होते हुए डिंडौरी के रास्ते उमरिया और शहडोल तक कॉरीडोर बनाने पर काम कर रहे हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के कुछ नक्सली संगठन सक्रिय हैं, जो छत्तीसगढ़ से निकलने वाली नदी हालोन के किनारे से मप्र में प्रवेश कर रहे हैं। इस नदी पर बालाघाट और मंडला की सरहद पर डेम भी बन रहा है। कान्हा के गढ़ी और सूपखार रेंज के कई इलाकों में इनकी आवाजाही देखी गई है। मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र में इन दिनों नक्सली संगठन फिर सक्रिय हो गए हैं। ये वो इलाका है जो कान्हा नेशनल पार्क के आसपास है। पार्क के बफरजोन में आने वाले गढ़ी और सूपखार रेंज में कुछ साल पहले कई वनग्राम विस्थापित हो चुके हैं। जिन्हें अब नक्सलियों ने अपने रुकने का ठिकाना बनाया हुआ है। छत्तीसगढ़ और झारखंड से आए कुछ लोगों द्वारा यहां ग्रामीणों की बैठक लेकर उन्हें भड़काया जा रहा है। उन्हें आपसी विवाद खुद निपटाने की सलाह दी जा रही है। पांचवीं अनुसूची की मांग मेहंदवानी विकासखंड के अंतर्गत ग्राम भेडासाज, कनेरी, देवरी खरगवारा, उमरडीह से तब उठी, जब छह माह पहले छग के साथ झारखंड से कुछ संदिग्ध लोगों का आना और ग्रामीणों को एकत्रित कर बैठक लेने का दौर शुरू हुआ था।
मप्र में नक्सलियों पर पुलिस का दबाव कम होने से वे शहडोल तक कॉरीडोर बनाने पर काम कर रहे हैं। इस काम में छग में सक्रिय नक्सली संगठन लगे हुए हैं। जो छग पुलिस का दबाव बढऩे पर मप्र की सीमा में आकर छिप जाते हैं। पुलिस के खुफिया सूत्रों पर भरोसा करें तो नक्सली अपनी विस्तार योजना के तहत मप्र के कई जिलों में पैठ जमाने की कोशिश कर रहे हैं।
बालाघाट के एसपी अमित सांघी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के कवर्धा की ओर से आकर मंडला की तरफ नक्सलियों के सक्रिय होने की सूचनाएं मिली हैं। इस इलाके में उपस्थिति दर्ज होते ही पुलिस ने सर्चिंग बढ़ा दी है। हम पूरी तरह से सतर्क हैं।
पांचवी अनुसूची मुद्दा
5वीं अनुसूची के नाम पर आदिवासी जिलों में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी और मंडला जिलों में इन दिनों नक्सली आहट की खबरों से इन दिनों पुलिस मुख्यालय की नींद उड़ी हुई है। इन दोनों ही जिलों में एक बार फिर पांचवीं अनुसूची लागू करने की मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। इसको हवा देने का काम कुछ बाहरी तत्व कर रहे हैं। इन बाहरी तत्वों द्वारा स्थानीय लोगों को भडक़ा कर दर्जनों गांव में बोर्ड लगाकर गैर आदिवासियों के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगाई जा रही है। इन बोर्ड में पांचवीं अनुसूची के नियमों का हवाला देकर लिखा गया है कि यहां सांसद या राज्य का कोई कानून लागू नहीं होता है। इस कवायद को नक्सली आहट के रूप में देख जा र\\हा है।
-श्याम सिंह सिकरवार