01-Jan-2018 10:16 AM
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आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मेरिट के आधार पर टिकट देगी। अभी तक पार्टी में टिकट के लिए जो सिफारिशी आधार था वह अब नहीं चलेगा। आलाकमान के इस निर्णय से कई नेताओं के पांव तले की जमीन खिसकती नजर आ रही है। दरअसल, पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है की सिफारिश पर टिकट की परंपरा से जमीनी नेता टिकट से वंचित रह जाते हैं। इसीलिए प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि मध्यप्रदेश में अब टिकट के लिए गुजरात फॉर्मूला लागू किया जाएगा। अलग-अलग सर्वे होंगे। जनाधार और संगठन की सक्रियता में जो दावेदार मेरिट में हैं, उन्हें टिकट मिलेगा। यदि राहुल गांधी या मैं भी किसी टिकट की सिफारिश करें लेकिन उस नेता का जनाधार नहीं है तो टिकट नहीं मिल पाएगा। संगठन के पद में भी तेरा मेरा नहीं चलेगा। जो कांग्रेस के लिए काम करने वाला होगा, उसे आगे करेंगे। इस बार प्रदेश से भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाना है और हम यह मौका खोना नहीं चाहते हैं।
मध्यप्रदेश में चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी सिलसिले में कांग्रेस महासचिव दीपक बावरिया लगातार प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं। बावरिया का कहना है कि कांगे्रस के सर्वे में जिन नेताओं का नाम आएगा उन्हें ही टिकट मिलेगा। जो काम करेगा उसकी रिपोर्ट खुद ही सकारात्मक आ जाएगी। बावरिया कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में जो नेता एक बार हार चुके हैं उन नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। चुनावी चेहरा हाईकमान तय करेगा। हमें संगठन और ब्लॉक स्तर पर कार्यकताओं को एकजुट करना है और नेटवर्क बनाना है। गुजरात में किस तरह के हथकंडों से बीजेपी ने जीत हासिल की है, वो पूरे देश को मालूम है। बावरिया की माने तो इस बार चुनाव में युवाओं को ज्यादा मौका दिया जाएगा। जो नेता पहले चुनाव हार चुके हैं, उनसे कहा जा रहा है कि अब खुद के लिए टिकट मांगने की बजाए उन नेताओं को मौका दें, जो जीतने की काबलियत रखते हो। संगठन के पद में भी तेरा मेरा नहीं चलेगा। जो कांग्रेस के लिए काम करने वाला होगा, उसे आगे करेंगे। इस बार प्रदेश से भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाना है और हम यह मौका खोना नहीं चाहते हैं।
कांग्रेस इस बार भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहती है। इसके लिए हर तरह के फंडे अपनाने की तैयारी की गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस सत्ता के लिए गुजरात पैटर्न लागू करेगी तो संगठन के लिए केरल पैटर्न पर काम चलेगा। अगले साल होने वाले 6 राज्यों के चुनाव में नेताओं की सिफारिश पर उनके पट्ठों को टिकट नहीं मिलेगा। टिकट में सर्वे सहित रायशुमारी में नाम सामने आना बहुत जरूरी होगा। गुजरात में हुए चुनाव में भले ही कांग्रेस पराजित हो गई हो, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन से आम कार्यकर्ता रिचार्ज हुआ है। कांग्रेस के नए-नवेले प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया ने इंदौर की पहली यात्रा के दौरान कांग्रेसजन से कहा कि लोग मानकर चल रहे हैं कि हम गुजरात में हारे नहीं, जीते हैं। यदि वहां निष्पक्ष चुनाव होता तो सरकार कांग्रेस की ही बनती। गुजरात से चली हवा को हमें कायम रखना है। अगले मप्र सहित 6 राज्यों में होने वाले चुनाव में गुजरात पैटर्न लागू रहेगा। गुजरात में चुनाव के काफी पहले से ही कांग्रेस संगठन ने अपना काम शुरू कर दिया था। तीन-चार सर्वे करवाए गए थे और यह तय कर लिया गया था कि सिफारिश के आधार पर किसी को टिकट नहीं मिलेगा। यदि किसी बड़े नेता की सिफारिश होगी और सर्वे में उस व्यक्ति का जनाधार नहीं मिलेगा तो बड़े नेता के हाथ जोड़ लिए जाएंगे। ठीक इसी तरह का सिस्टम मप्र में भी लागू होगा। टिकट की चयन प्रक्रिया और संगठन की मजबूती का काम 15 जनवरी से शुरू हो जाएगा। बावरिया ने स्वीकार किया कि हमारे संगठन की कमजोरी का मूल कारण कार्यकर्ताओं का नेटवर्क से नहीं जुड़ा होना है। नेटवर्क ऐसा होना चाहिए कि एक तरफ से घंटी बजी तो हर कार्यकर्ता तक संदेश पहुंचे। अब इस नेटवर्क को बनाया जाएगा। स्ट्रीट लेवल, जोनल लेवल के पर्यवेक्षक, पदाधिकारी संगठन मजबूती और टिकट चयन के काम में जुटेंगे। संगठन में केरल पैटर्न लागू होगा। 80 बूथों पर एक ब्लॉक और हर एक विधानसभा में तीन ब्लॉक होंगे। ब्लॉक में मंडल, सेक्टर रहेंगे।
चेहरे की बहस में न पड़े कार्यकर्ता
भाजपा प्रदेश में शिवराज का चेहरा सामने कर चुनाव लड़ती आ रही है और कांग्रेस में हमेशा विधायक दल अपना नेता तय करता है। कांग्रेस के फेस पर चर्चा करना भाजपा का छुपा एजेंडा है। ऐसी बहस में हमारे कार्यकर्ता न पड़ें। हर राज्य में कांग्रेस के पास अनुभवी और योग्य नेता हैं। कांग्रेस में फेस कौन होगा, इसकी चिंता भाजपा या मीडिया को करने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस व्यक्ति विशेष को आगे कर चुनाव नहीं लड़ती है, बल्कि सबको साथ लेकर चलती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बनने के लिए करीब आधा दर्जन नेता सक्रिय हैं। ये नेता अपने समर्थकों के माध्यम से अपने आप को चेहरा घोषित करने की कवायद में लगे हुए हैं। अघोषित तौर पर माना जा रहा है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया आगामी चुनाव में कांग्रेस का चेहरा हो सकते हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कांग्रेस में चुनावी चेहरा घोषित करने की परंपरा नहीं है। इसके इतर पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी का मानना है कि अलग-अलग राज्यों की परिस्थिति के अनुसार कांग्रेस इसे तय करती है। पंजाब और असम में चुनाव के पहले ही वहां सीएम उम्मीदवार तय कर दिए थे।
-अजय धीर