01-Jan-2018 10:09 AM
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कोलारस उपचुनाव के कारण आदिवासी बहुल जिला शिवपुरी एक तरफ वादों, नारों, आरोप-प्रत्यारोप से गुंजायमान है, वहीं दूसरी तरफ गरीबी और कुपोषण से बेहाल आदिवासियों की सिसकियां सुनने वाला कोई नहीं है। आलम यह है कि जिले में कुपोषण के हालात बेहद खराब हैं, स्थिति यह है हर दूसरे गरीब के घर में बच्चा कुपोषण का शिकार है, वहीं सरकार द्वारा कुपोषित और गर्भवती महिलाओं के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भेजा जा रहा कुपोषण आहार पशु खा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, शिवपुरी जिले में 2 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण की चपेट में हैं। अतिकुपोषित जिलों की श्रेणी में आने वाले इस जिले में सरकार कुपोषण को कम करने के लिए व्यापक अभियान चला रही है, लेकिन यहां अधिकारी कुपोषित बच्चों को दिए जाने वाले पोषण आहार को बाजार में बेंच रहे हैं, जहां से पशु पालक उसे पशुओं के लिए खरीद कर ले जाते हैं।
दरअसल, जिले में पोषण आहार को पशुओं के खाने के लिए बेचने का कारोबार लंबे समय से चल रहा है। विगत दिनों एसडीएम रूपेश उपाध्याय को किसी व्यक्ति ने फोन पर सूचना दी कि कमलागंज क्षेत्र में स्थित गल्ला व्यापारी नंदू गोयल की दुकान और गोदाम में आंगनबाड़ी पर कुपोषित बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं को बंटने वाला रेडी टू ईट फूड, दलिया, चावल बिक रहा है। सूचना पर एसडीएम ने तहसीलदार यूसी मेहरा को मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद नायब तहसीलदार गजेन्द्र सिंह लोधी जब प्रशासनिक अमले के साथ नंदू गोयल की दुकान पर पहुंचे तो वहां सरकारी पोषण आहार बिकने के लिए पैकेटों में रखा मिला। साथ ही उसके गोदाम में भी कई कट्टों में पोषण आहार मिला। संभावना जताई जा रही है कि गोदाम में बड़ी मात्रा में सरकारी पोषण आहार भरा होगा।
कुपोषितों का पोषण दुकान में मिलने के बाद इसकी जानकारी महिला एवं बाल विकास अधिकारी ओपी पांडे को दी गई। इसके बाद सीडीपीओ डॉ. संजीव खेमरिया ने भी मौके पर पहुंच कर पूरे सामान को जब्त करवाया। सीडीपीओ ने बताया कि वह इस मामले में गल्ला व्यापारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की कार्रवाई कर रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग शिवपुरी की डीपीओ ओपी पांडे के अनुसार गोदाम को सील कर दिया गया है। हमने पुलिस को एफआईआर के लिए कहा है। जांच के बाद यह बात सामने आएगी कि इतना पोषण आहार व्यापारी के पास आया कहां से। उधर, कोतवाली थाना प्रभारी संजय मिश्रा का कहना है कि संबंधित विभाग के अधिकारी आवेदन लेकर आये थे लेकिन आवेदन में यह स्पष्ठ नहीं था कि कार्यवाही क्या होना है जिसके चलते वह आवेदन वापस लेकर चले गए, उनका आवेदन जब भी आएगा कार्यवाही की जायेगी। गल्ला व्यापारी का कहना है कि इस पोषण आहार को उसके यहां से दूधिए अपने जानवरों के लिए खरीद कर ले जाते हैं। ऐसे ही मामले पन्ना, छतरपुर में भी सामने आए हैं। ऐसे में कुपोषण कैसे दूर होगा?
कम खर्च करती है सरकार
मध्य प्रदेश में पिछले 10 सालों में करीब 11 लाख की आबादी गरीबी रेखा को पार कर गई है। बीते साल आई एमडीजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में कम निवेश करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट के मध्य प्रदेश सामाजिक क्षेत्रों में अपने बजट का 39 प्रतिशत हिस्सा ही खर्च करता है वहीं इसका राष्ट्रीय औसत 42 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश के जिले के दूरस्थ और आदिवासी गांवों में बच्चों में अब भी कुपोषण मुख्य समस्या बनी हुई है। इसकी बड़ी वजह ये है कि इन इलाकों में आंगनवाड़ी केंद्र जरूर हैं, लेकिन यहां कि व्यवस्थाएं बच्चों को पोषित करने के लिए अनुकूल नहीं हैं।
- बृजेश साहू