01-Jan-2018 10:07 AM
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भारतीय क्रिकेट टीम इस महीने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर है। इस दौरे में भारत 3 टेस्ट मैच, 6 एक दिवसीय और 3 टी-20 खेलने वाला है। यह दौरा विराट कोहली की कप्तानी के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने वाला है। पहले देखा गया है कि दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों को मदद करने वाली पिचों पर भारतीय बल्लेबाज लडख़ड़ा जाते हैं। वर्तमान टीम में भी दो-तीन खिलाडिय़ों पर ही पूरी टीम की बल्लेबाजी का दारोमदार रहेगा।
2017 में भारतीय टीम ने कोई भी टेस्ट या एक दिवसीय श्रृंखला नहीं हारी है। इस साल भारत ने अपने ज्यादातर मैच देश में ही खेले। जहां द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में उसे हराना प्रतिद्वंदियों के लिए मुश्किल होता है। देश के बाहर भारत ने वेस्ट इंडीज और श्रीलंका का दौरा किया। आंकड़ों के हिसाब से भारत ने वेस्ट इंडीज और श्रीलंका को भी उनके घर में हराया। लेकिन वर्तमान में यह दोनों टीम बहुत कमजोर है। इसलिए भारतीय क्रिकेट टीम के 2017 के प्रदर्शन से कोई सटीक निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा। भारत इस दौरे में कोई अभ्यास मैच नहीं खेल रहा है। श्रृंखला की शुरूआत में भारत ने पहले 2 दिन का अभ्यास मैच खेलना था। लेकिन भारतीय टीम ने अभ्यास मैच के बजाए ट्रेनिंग सत्र आयोजित करवाने का फैसला लिया। इसका मतलब है कि भारतीय बल्लेबाज बिना किसी अभ्यास के दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों का सामना करेंगे।
अभ्यास मैच की जगह ट्रेनिंग सत्र का निर्णय भारत के लिए घातक साबित हो सकता है। किसी भी श्रृंखला की दिशा प्राय: शुरूआती मैचों में ही तय हो जाती है। अगर भारत के पुराने दक्षिण अफ्रीकी दौरों पर नजर डालें तो पाएंगे की भारत का शुरूआती टेस्ट मैचों में खराब प्रदर्शन, एक दिवसीय मैचों पर भी असर डालता रहा है। ऐसा इतिहास होने के बाद भी श्रृंखला में अभ्यास मैच न रखना एक दम गलत नीति है। 1992/93 सीजन से लेकर अब तक भारत ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध, अफ्रीकी धरती पर 17 टेस्ट मैच खेले हैं। इनमें से भारत केवल 2 मैच ही जीत पाया है।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2010-11 में रहा था, जब धोनी के नेतृत्व में टीम तीन मैचों की सीरीज को 1-1 से ड्रॉ कराने में सफल रही थी। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका की धरती पर भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी खराब रहा है। भारत ने अफ्रीका में खेले गए 17 टेस्ट मैचों में केवल 2 में जीत दर्ज की है। जबकि 8 में उसे हार का सामना करना पड़ा है और 7 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। हालांकि साउथ अफ्रीका के खिलाफ विराट के रिकाड्र्स अच्छे रहे हैं। विराट ने दक्षिण अफ्रीका में खेले गए दो टेस्ट मैचों में 68 की औसत से 272 रन बनाये हैं, जबकि 119 उनका सर्वश्रेष्ट स्कोर रहा है।
विराट के अलावा चेतेश्वर पुजारा ही साउथ अफ्रीका में बेहतर प्रदर्शन कर सके हैं। पुजारा ने अफ्रीका में खेले गए 4 मैचों में 45 की औसत से 311 रन बनाये हैं। इन दोनों के अलावा भारतीय बल्लेबाज अफ्रीका की उछाल भरी पिचों पर संघर्ष करते ही दिखे हैं। ऐसे में भारतीय कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री पर यह दारोमदार होगा की साउथ अफ्रीका में भारतीय टीम के जीत के सूखे को खत्म करें। हालांकि हाल के वर्षों भारत के युवा खिलाडिय़ों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत इस बार अफ्रीका की धरती पर बेहतर प्रदर्शन करेगी।
इस दौरे पर भारतीय टीम को विराट की कप्तानी से बहुत उम्मीदें है। विराट की बल्लेबाजी का कौशल और आक्रामक कप्तानी ही भारत के लिए जीत और हार में फर्क लाएगी। भारतीय टीम में कई प्रतिभावान युवा खिलाड़ी हैं। विराट युवाओं से अच्छा खेल निकलवाना जानते हैं। अत: यही उम्मीद करनी चाहिए की भारतीय टीम अपनी क्षमता के अनुसार, सकारात्मक होकर खेलेगी और देश का नाम रौशन करेगी।
-आशीष नेमा