07-Dec-2017 09:05 AM
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चित्रकूट उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद अब कोलारस व मुंगावली उपचुनाव पर सबकी निगाहे टिक गई हंै, यहां भी अगर भाजपा को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते है तो भाजपा के मिशन 2018 के सारे समीकरण बिगड़ जायेंगे। वही चित्रकूट उपचुनाव में मिली जीत ने कांग्रेस को संजीवनी दे दी है। कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। इसी उत्साह के साथ कांग्रेस कोलारस और मुंगावली उपचुनाव में जुट गई है। वहीं भाजपा ने भी मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। यहां सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अग्नि परीक्षा है। इस अग्नि परीक्षा से पार पाने के लिए मुख्यमंत्री ने अपनी चौसर बिछा दी है।
कोलारस व मुंगावली में ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर होगी क्योंकि दोनों जगह उनका प्रभाव है। यही कारण है कि चित्रकूट उपचुनाव होते ही कोलारस विधानसभा के संभावित उपचुनाव को लेकर मुख्य दल कांग्रेस और भाजपा में राजनैतिक सरगर्मियां शुरू हो गई है। दोनों दल उम्मीदवारों को लेकर सर्वे करने में जुट गए है। भाजपा में मैराथन बैठकों का दौर जारी है। वहीं कांग्रेस ने पोलिंग बूथ स्तर की तैयारियां शुरू कर दी है। बाहरी कांग्रेसियों को पोलिंग बूथों की कमान सौंपी गई है और प्रदेश भर के सिंधिया समर्थक कांग्रेसियों ने कोलारस में डेरा डाल दिया है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो स्व. रामसिंह यादव के पुत्र महेन्द्र यादव या उनकी सुपुत्री जनपद पंचायत बदरवास की अध्यक्ष मुनिया यादव को टिकट मिलने की संभावना प्रबल मानी जा रही है। परंतु सहानुभूति के एंगल पर यदि विचार नहीं हुआ तो कांग्रेस में वरिष्ठ कांग्रेस नेता बैजनाथ सिंह यादव, नगर पंचायत कोलारस के अध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे और सांसद प्रतिनिधि हरवीर सिंह रघुवंशी भी उम्मीदवारी की कतार में है। तीनों कांग्रेस नेता भी सिंधिया समर्थक हैं।
भाजपा में संभावित उम्मीदवार को लेकर किसी तरह के संकेत उभरकर सामने नहीं आए है, लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी, पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन, ओम प्रकाश खटीक, वीरेन्द्र रघुवंशी और कट्टर यशोधरा राजे समर्थक रामस्वरूप रावत रिझारी में से किसी एक को टिकट मिल सकता है। हालांकि भाजपा में दूसरी लाईन के कई नेता भी दावेदारी की कतार में है, लेकिन उन्हें टिकट मिलने की संभावना नगण्य नजर आ रही है। वहीं यह भी चर्चा है कि क्या भाजपा कांग्रेस का मनोबल कमजोर करने के लिए शिवपुरी उपचुनाव जैसा प्रयोग दोहरा सकती है। दरअसल, अटेर और चित्रकूट उप चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद कोलारस उपचुनाव को लेकर भाजपा कोई कोर कसर छोडऩा नहीं चाहती। उप चुनाव की तिथि भले ही अभी घोषित नहीं हुई, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस से पहले इस सीट पर चुनावी शंखनाद कर दिया है। संगठन द्वारा कोलारस उप चुनाव के लिए कमान सौंपे जाने के बाद भाजपा के मंत्रियों व पदाधिकारियों राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, स्वास्थ्य व प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष व विधानसभा प्रभारी कोलारस रामेश्वर शर्मा ने मोर्चा संभाल लिया है। अब देखना है इन उपचुनावों में किसकी नैया पार होती है।
जनवरी में हो सकते हैं चुनाव
नियमानुसार कोलारस उपचुनाव विधायक के निधन के छह माह के भीतर कराया जाना चाहिए। इस नियम से कोलारस उपचुनाव 23 मार्च से पहले सम्पन्न होगा, लेकिन यह माना जा रहा है कि कोलारस और मुंगावली उपचुनाव जनवरी माह तक हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए कांग्रेस और भाजपा ने अपनी-अपनी रणनीति तय करना शुरू कर दिया है। भाजपा में उपचुनाव को लेकर कई नेताओं के दौरे अभी तक हो चुके है। वहीं कांग्रेस में चुनाव की पूरी कमान सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के जिम्मे है। सिंधिया ने प्रदेश भर के अपने समर्थकों को कोलारस उपचुनाव की ड्यूटी सौंपी है। उन्होंने अपने समर्थकों को निर्देशित किया है कि वह कोलारस के गांव-गांव में जाकर कांग्रेस के प्रचार में जुट जाए। सिंधिया द्वारा पार्टी कार्यकर्ताओं को कसने के बाद कोलारस में बाहरी कांग्रेसियों की बाढ़ आ गई है।
-बिंदु माथुर