07-Dec-2017 08:37 AM
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भोपाल में पीएससी की कोचिंग कर रही छात्रा से हुए गैंगरेप के बाद पुलिस की लापरवाही से सरकार की जमकर किरकिरी हुई। ऐसे में अब सरकार की कोशिश है कि ऐसी नौबत दोबारा न आए इसके लिए पुलिस प्रशासन को चुस्त दुरुस्त बनाने की कोशिश हो रही है। इसी दिशा में 21 नवंबर को मुख्यमंत्री की उपस्थित में पुलिस विभाग की समीक्षा की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह ध्यान रखें कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए किसी को भटकना न पड़े। उन्होंने पुलिस को महिलाओं के प्रति और संवेदनशील होने पर जोर दिया। वहीं पुलिस महानिदेशक ऋषिकुमार शुक्ला ने वरिष्ठ अधिकारियों से साफ शब्दों में संदेश दिया कि फील्ड में रहना है तो काम करो, नहीं तो हट जाओ।
मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक की सलाह, सुझाव और निर्देश के मद्देनजर देखें तो राजधानी भोपाल में ही पुलिस सुरक्षा भगवान भरोसे है। दरअसल, जुलाई के मध्य से ही राजधानी पुलिस में असंतोष पनपने लगा। इसका परिणाम यह हो रहा है कि राजधानी के थानों में पदस्थ कई टीआई अपना कार्य ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वे विभाग के एक आला अधिकारी से परेशान हैं। साहब ने उनकी नाक में इस कदर दम कर दिया है कि कई टीआई यहां से तबादला कराने की जुगाड़ में लग गए हैं। वहीं जिन लोगों की जुगाड़ नहीं हो पा रही है वे खराब स्वास्थ्य का बहाना कर सीक पर हैं। इस कारण राजधानी के 41 थानों में से 13 थानों की कमान सीधी भर्ती के एसआई, सिपाही से थानेदार और एएसआई बने अफसरों के हाथ में है।
बताया जाता है कि राजधानी में पुलिस थानों की बिगड़ी व्यवस्था को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने विगत दिनों बड़े साहब को तलब किया था। साहब ने सुझाव दिया कि जो टीआई सीक पर चल रहे हैं उन्हें सस्पेंड कर दिया जाए। इस पर पीएचक्यू ने सुझाव मांगा कि अगर इन्हें सस्पेंड किया जाता है तो उनकी जगह किसको पदस्थ किया जाए। इस पर पीएचक्यू को भिंड मुरैना के टीआईयों की सूची दे दी गई है। जब उक्त सूची में शामिल टीआईयों की फाइल खंगाली गई तो पता चला कि कोई शराब की चोरी तो कोई किसी अन्य मामले में दोषी है। ऐसे में उक्त सूची को टाल दिया गया है।
अब हालात यह हैं कि राजधानी के कई थाने टीआई विहीन हैं तो कई थाने जूनियरों के भरोसे चल रहे हैं। यह आला अफसरों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य और तीखा प्रहार भी है। ऐसा इसलिए कि कई टीआई यातायात और पुलिस लाइन में हैं, लेकिन उनकी जगह पर अफसरों ने जिम्मेदारी एसआई, सिपाही से थानेदार और टीआई बने (एआईसीएस) अफसरों को दे रखी है। भोपाल जिले में 41 थाने हैं और उनमें से तेरह थानों की कमान एसआई, सिपाही से थानेदार और एएसआई बने अफसरों के पास है। इनमें वे भी थाने हैंं, जिन्हें सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिहाज से काफी अहम और संवेदनशील माना जाता है। अभी तक दूर-दराज के छोटे थानों का जिम्मा एसआई स्तर के अधिकारियों को सौंपा जाता है। वे थाने सी-ग्रेड की सूची में हैं। उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय ने वर्ष 2010 में भोपाल के सभी थानों को अपग्रेड कर दिया था। पहले जिन थानों की कमान एसआई स्तर के अधिकारियों के पास होती थी, अपग्रेड होने के बाद उनकी जिमेदारी भी टीआई स्तर के अफसरों को सौंपी जाने लगी थी।
राजधानी पुलिस का माहौल कुछ दिनों से बदला है। कुछ समय पहले मैदानी अफसर भगाए जाने लगे थे और अब भागने लगे हैं। वजह जो भी हो, यह तो आला अफसर जाने, लेकिन पुलिस की सेहत के लिए तो इसे कतई ठीक नहीं कहा जा सकता है। इसी बदले माहौल की वजह से थानों की कमान सिपाही से एसआई बने अफसरों को सौंपी जाने लगी है। राजधानी में सीधी भर्ती के एसआई सतेन्द्र सिंह कुशवाह को गोविंदपुरा, अवधेश सिंह भदौरिया को चूना भट्टी, जीएस दांगी को मिसरोद, बीपी सिंह को श्यामला हिल्स थाने की कमान है वहीं सिपाही से थानेदार बने विजय सिंह सेंगर को बिलखिरिया, बलजीत सिंह को अयोध्या नगर, एमके मिश्रा को सूखी सेवनिया, एलडी मिश्रा को कटारा हिल्स, आरएस ठाकुर को कोलार, जयकरण सिंह को एमपी नगर, रामबदन यादव को हबीबगंज, डीपी सिंह को बजरिया, उमेश सिंह चौहान को मंगलवारा, सुदेश तिवारी को हनुमानगंज, एचसी लारिया को बैरसिया, केजी शुक्ला को गुनगा, चैन सिंह रघुवंशी को ईटखेड़ी थाने की कमान सौंपी गई है। अब ये जूनियर जैसे-तैसे थाने चला रहे हैं।
सिपाही से लेकर एएसपी तक जमें हैं वर्षों से
भोपाल पुलिस के 80 फीसदी एएसपी से टीआई रैंक के अफसरों ने भोपाल में ही अपनी पूरी नौकरी गुजार दी है। कोई एसआई से भर्ती होकर सीएसपी तक पहुंच गया। तो कोई सिपाही से थाना प्रभारी बन गया। नियम तीन साल में ट्रांसफर का है, लेकिन यह नियम सिर्फ डीआईजी पर ही लागू हो रहा है। मजबूत राजनीतिक पकड़ की बदौलत मैदानी पुलिस अफसर न सिर्फ जिले में जमे हुए है बल्कि अच्छा खासा स्टेटस भी खड़ा कर लिया हैं। जानकारी के अनुसार सीएसपी हबीबगंज भूपेंद्र सिंह का राजधानी में काफी लंबा कार्यकाल है। वे 84 बैच के सीधी भर्ती के एसआई है। वे जिले में एसआई के बाद मिसरोद और हनुमानगंज में टीआई भी रह चुके हैं। जहांगीराबाद सीएसपी भारतेंदु शर्मा टीआई मंगलवारा और बैरागढ़ के बाद सीएसपी जहांगीराबाद हैं। वह सीधी भर्ती 83 बैच के एसआई है। गोपाल सिंह चौहान बैरसिया और बैरागढ़ में लंबी पदस्थापना के बाद प्रमोशन के बाद वापस भोपाल के टीटीनगर संभाग में सीएसपी बनकर लौटे। गोविंदपुरा सीएसपी वीरेंद्र मिश्रा तो गोविंदपुरा थाने में ही एसआई थे, उसके बाद उसी थाने में टीआई और अब उसी गोविंदपुरा संभाग में सीएसपी हैं। शाहजहांनाबाद इलाके के सीएसपी नागेंद्र पटेरिया का तो नाम ही काफी है। मणप्पुरम डकैती के समय हनुमानगंज थाने के टीआई थे। उसके बाद पिपलानी में टीआई रहते सहगल हत्याकांड में उनकी जांच ने लंबी सुर्खियां बटोरी थी।
-नवीन रघुवंशी