कामयाब होंगे प्रिंस
07-Dec-2017 08:28 AM 1234811
रियाद के लग्जरी होटल रिट्ज काल्र्टन में उस वक्त अजीब हालात पैदा हो गए जब होटल को अचानक जेल बना दिया गया और कई जाने माने लोगों को हिरासत में ले लिया गया। होटल मैनेजमेंट ने बगैर किसी चेतावनी के लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी। बताया गया कि ऐसा अचानक आई किसी बड़ी बुकिंग की वजह से किया गया है। यह वाकया इस साल की चार नवंबर का है। होटल में उस वक्त दर्जनों मेहमान ठहरे थे जिनमें कुछ शहजादे, अरबपति और बड़े अधिकारी भी शामिल थे। उन्हें बताया गया कि जब तक होटल मैनेजमेंट इजाजत न दे, न कोई होटल में घुस सकता है और न ही कोई बाहर जा सकता है। होटल में बंदी बनाए गए लोगों की कुल संपत्ति 800 अरब डॉलर के करीब है। लोगों को हिरासत में लेने से कुछ घंटे पहले ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शाही फरमान के आधार पर भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक समिति बनाई गई थी जिसके अध्यक्ष वो खुद थे। जानकारों को लगता है यह कदम उठाकर मोहम्मद बिन सलमान एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं - भ्रष्टाचार से लड़ाई और विरोधियों का सफाया। गौरतलब है कि घटते तेल के दामों और यमन की लड़ाई की वजह से सऊदी अरब के पास नकदी बहुत कम हो गई है। ऐसी खबरें हैं कि 1700 बैंक खातों को सील कर दिया गया है जिसमें सलमान के चचेरे भाई मोहम्मद बिन नईफ का खाता भी शामिल है। नईफ कुछ महीने पहले तक सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस थे। मोहम्मद बिन सलमान की देखरेख में कई लोगों की ताकत को कमजोर किया जा रहा है। सऊदी नेशनल गार्ड के पूर्व अध्यक्ष और किंग अब्दुल्लाह के बेटे मितेब बिन अब्दुल्लाह ऐसे लोगों में से एक हैं। सऊदी नेशनल गार्ड कुछ-कुछ ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड की तरह ही काम करता है। एक अनुमान के मुताबिक इसमें 75 हजार से एक लाख लोग तक शामिल हैं। मोहम्मद बिन नईफ को गृह मंत्रालय से और मितेब बिन अब्दुल्लाह को नेशनल गार्ड से हटा दिया गया है, यह दोनों जिम्मेदारियां अब मोहम्मद बिन सलमान ने संभाल ली हैं। बिन सलमान जल्दी ही अपने पिता की जगह ले सकते हैं। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। सऊदी अरब को आधुनिक बनाने के पीछे एक मंशा ईरान के खिलाफ चल रहे संघर्ष में पश्चिमी देशों खासकर अमरीका का समर्थन हासिल करना भी है। बिन सलमान ने महिलाओं से किए वादे के मुताबिक उन्हें गाड़ी चलाने और स्टेडियम में घुसने की इजाजत दी। उनकी देखरेख में धार्मिक पुलिस कमजोर हुई और 30 साल बाद सरकारी टीवी पर एक महिला सिंगर का गाना दिखाया गया। अपनी ऐसी पहल से बिन सलमान ये संदेश दे रहे हैं कि उनके देश में धार्मिक चरमपंथ अब खात्मे की तरफ बढ़ रहा है। बिन सलमान के पास आने वाले समय के लिए भी योजनाएं हैं। वो स्टॉक मार्केट में दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के शेयर बेचना चाहते हैं। वह 500 अरब डॉलर से बनने वाला बेहद आधुनिक निओम शहर भी बनाएंगे जिसका सारा काम रोबोट संभालेंगे। साथ ही उनका इरादा 2030 तक सऊदी अरब की तेल पर निर्भरता घटाने का भी है। बिन सलमान कहते रहे हैं कि उन्हें युवाओं के समर्थन से बल मिलता है। हालांकि ये साफ नहीं है कि सलमान को देश के कितने फीसदी युवाओं का समर्थन हासिल है। साथ ही यह भी देखना होगा कि धार्मिक संस्थाएं बिन सलमान की योजनाओं पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं। पिछले 70 साल में सऊदी अरब के सभी शहजादों के बीच ज्यादातर बड़े मसलों पर सहमति रही है लेकिन बिन सलमान का मामला अलग है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़कर और सारी ताकत अपने हाथ में लेकर इस तंत्र को चुनौती दी है। देखना होगा कि वहां के ताकतवर और पैसे वाले लोग इसे कैसे लेते हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर बिन सलमान को अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है। भारी मानवीय संकट के चलते यमन उसके गले की फांस बन गया है, वहीं सीरिया में काफी पैसा लगाने के बाद भी कोई कामयाबी नहीं मिली। कतर के मामले में भी बिन अपनी मांगें मनवाने में नाकाम रहे हैं। सऊदी अरब को तरक्की के रास्ते पर चलाने की बिन सलमान की योजनाएं तभी काम कर सकती हैं जब उनको घरेलू और विदेशी मोर्चे पर थोड़ी शांति और स्थिरता मिले। अपने रास्ते की रुकावटें हटा रहे हैं क्राउन प्रिंस बताया जाता है कि अपनी योजनाओं को साकार करने के लिए बिन सलमान एक युवा सहयोगी की तलाश कर रहे हैं जिसकी उम्र 30 साल से कम हो। कहा जाता है कि बिन सलमान को सपना आधुनिक राष्ट्र बनाना है जिसमें लोग खुश रहें और रोजगार के भरपूर मौके हों। इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब नेशनल डे के मौके पर सऊदी अरब की सड़कों पर संगीत बजाया गया। कुछ साल पहले तक इसकी कल्पना करना भी मुश्किल था। बिन सलमान का कहना है, पिछले 30 साल में जो भी हुआ वह सऊदी संस्कृति नहीं है। 1979 में ईरान क्रांति के बाद सऊदी अरब समेत सभी देश इस मॉडल को अपनाना चाहते थे, लेकिन हमें पता नहीं था कि उन हालात में क्या करना चाहिए। अब उस स्थिति से निकलने का समय है। हम और 30 साल चरमपंथी विचारधारा से लडऩे में नहीं बिता सकते। हमारे पास यही रास्ता है कि हम ऐसी सोच को अभी खत्म करें। -माया राठी
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^