17-Nov-2017 07:42 AM
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उत्तर कोरिया ने एक बार फिर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। भूकंप संबंधी जानकारी देने वाली निगरानी संस्थाओं ने उत्तर कोरिया के मुख्य एटमी स्थल के पास 6.3 तीव्रता का विस्फोट दर्ज किया। यह बम उत्तर कोरिया की लंबी दूरी की मिसाइलों से भी दागा जा सकता है। इस धमाके की ताकत पिछले परीक्षण से 9.8 गुना ज्यादा थी। इससे कुछ ही घंटों पहले उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि उसने एक ऐसा हाइड्रोजन बम विकसित किया है जिसे देश की नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल में लोड किया जा सकता है। एटमी हथियारों से लैस उत्तर कोरिया 1950 के दशक से अपने कट्टर दुश्मन अमेरिका तक एटमी मिसाइल दागने में समक्ष होने के तरीकों को लंबे समय से तलाश रहा है।
इस वक्त दुनिया के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण का जवाब क्या है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी है कि उत्तर कोरिया को मिटा कर रख देंगे। इसके जवाब में उत्तर कोरिया ने धमकी दी है कि जापान को डुबो देंगे, अमेरिका को राख कर देंगे, लेकिन उत्तर कोरिया को मिटाना ट्रंप के लिए इतना भी आसान नहीं है। अगर कोरियाई प्रायद्वीप पर जंग छिड़ी तो युद्ध का हश्र किसी को भी मालूम नहीं होगा कि यह कितनी जानें लेकर थमेगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उत्तरी कोरिया खुद में ही महाबमÓ बन चुका है। लगातार एटमी परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने न सिर्फ अपनी तकनीक को उन्नत किया है बल्कि वह दुनिया के शक्तिशाली एटमी देशों में भी शामिल हो गया है। अमेरिका, आज के दौर में, उत्तर कोरिया को इराक या सीरिया समझने की गलती नहीं कर सकता।
उत्तर कोरिया ने जिस हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है वह नागासाकी पर गिरे बम से 5 गुना अधिक ताकतवर था। यह उत्तर कोरिया का छठा सबसे शक्तिशाली एटमी परीक्षण था। सैकड़ों किलोटन के इस बम के सभी उपकरण उत्तर कोरिया ने देश में ही तैयार किए। उत्तर कोरिया जब खुद को बुरी तरह घिरता या हारता देखेगा तब यह सोचना बेमानी होगा कि वह एटमी हमला नहीं करेगा। तानाशाह किम जोंग आज दुनिया की परवा न करते हुए परमाणु परीक्षण कर रहा है तो युद्ध के वक्त एटमी हमला करने में वह देर नहीं लगाएगा।
अमेरिका के लिए उत्तर कोरिया पर हमला करना एक और कारण से भी आसान नहीं है। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच चीन मौजूद है। उत्तर कोरिया के साथ चीन एक संधि से बंधा हुआ है। संधि के तहत चीन या उत्तर कोरिया पर किसी दूसरे देश के हमला करने पर दोनों को ही एक-दूसरे की मदद करनी होगी। साल 2021 तक इस संधि की मियाद है। आज के जो हालात हैं उन्हें देखते हुए अमेरिका 4 साल इंतजार करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में अमेरिका अगर हमला करता है तो चीन का युद्ध में कूदना मजबूरी होगी।
दरअसल, दोनों देशों के बीच तनाव तब चरम पर पहुंच गया था जब किम जोंग ने अमेरिकी द्वीप गुआम पर मिसाइल से हमला करने की धमकी दी थी। जिसके बाद गुस्साए ट्रंप ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया ने ऐसी गलती की तो अमेरिका आसमान से इतनी आग बरसाएगा जिसे पूरी दुनिया देखेगी, लेकिन किम जोंग पर अमेरिकी चेतावनियों का कोई असर नहीं पड़ रहा है। रक्षा विशेषज्ञ पिछले 3 दशकों में अब तक का सबसे गंभीर और भड़काऊ बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण बता रहे हैं। उत्तर कोरिया अपने मिसाइल कार्यक्रमों में जिस तेजी से काम कर रहा है उससे यह शक गहरा रहा है कि उसकी मिसाइलें 3 वर्षों में अमेरिकी शहरों को अपने दायरे में ले सकेंगी। उत्तर कोरिया ने इस बार अपनी सबसे विकसित ह्वासौग-12 मिसाइल का दुनिया के सामने नजारा पेश किया है जो एटमी हथियार ले जाने में कारगर है। उत्तर कोरिया की बढ़ती एटमी ताकत पूरे विश्व के लिए खतरा है। सनकी तानाशाह कब क्या कर दे किसी को पता नहीं है।
अमेरिका की लामबंदी
तकरीबन 60 साल के बाद अब उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव किसी भी वक्त महायुद्ध में बदल सकता है। अमेरिका बार-बार विश्व समुदाय को उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण से दुनिया के लिए बढ़ते खतरे को आगाह कर लामबंद करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि चीन और रूस भी उत्तर कोरिया पर लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का समर्थन कर रहे हैं लेकिन दुनिया यह जानती है कि बिना चीन की मदद के उत्तर कोरिया एटमी परीक्षण नहीं कर सकता था। कोरियाई प्रायद्वीप पर 1950 में छिड़े युद्ध का इतिहास आज भी दक्षिण कोरिया के जख्मों को हरा कर देता है। उत्तर कोरिया ने सियोल पर कब्जा कर लिया था जिसे दक्षिण कोरिया ने अमेरिकी मदद से छुड़ाया था। अब अगर दोनों देशों के बीच जंग छिड़ती है तो पिछले युद्ध की तरह करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। उत्तर कोरिया के पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है। उसके पास 60 लाख सैनिक हैं। अगर युद्ध होता है तो उत्तर कोरिया शुरुआती एक घंटे में हजारों मिसाइल दाग कर सियोल को खाक कर सकता है। वहीं, उसके पास इंटरकौंटिनैंटल बैलिस्टिक मिसाइलें भी हैं जो अमेरिकी शहरों को भी निशाना बना सकती हैं। दुनिया के लिए तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा तब पैदा हो जाएगा जब चीन और रूस भी इस युद्ध में उतर जाएंगे। क्रूर और सनकी तानाशाह किम जोंग उन इतिहास में कुछ शासक अपने सशक्त शासन के लिए जाने जाते हैं जिन्हें जनता ने भी बेहद प्यार दिया। इसके विपरीत कुछ ऐसे शासक भी रहे हैं जिन्होंने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं और इसी कारण इन्हें सबसे बड़े तानाशाह का दर्जा मिला।
-माया राठी