07-Dec-2017 07:34 AM
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भोपाल और सीहोर जिले में इन दिनों बाघों और तेंदुओं का आतंक मचा हुआ है। आलम यह है कि अब बाघ और तेंदुए किसी भी समय वन क्षेत्र के आसपास के गांवों के साथ ही सड़कों पर घूमने लगे हैं। इस कारण राजधानी भोपाल से लेकर बुदनी के जंगलों से लगे 50 से अधिक गांवों के आसपास बाघ और तेंदुए को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। राजधानी के आसपास दर्जनभर से अधिक बाघ सक्रिय हैं वहीं बुदनी क्षेत्र में वन विभाग को भी सात बाघ और एक तेंदुआ का मूवमेंट क्षेत्र में मिल रहा है। हालांकि वन विभाग 5 बाघ, एक तेंदुआ बता रहा है। बुदनी में वन विभाग ने कंट्रोल रूम बनाया है, इसमें 19 कर्मचारियों को तैनात करने के साथ ही जीप सहित अन्य उपकरणों से लैस किया गया है। वन अमला जंगली जानवरों को घने जंगल में खदेडऩे का प्रयास कर रहा है। विभाग को डर है कि बाघ इंसानों का शिकार न कर ले या कहीं बाघ ही शिकार न बन जाएं। इधर बाघ, तेंदुए का मूवमेंट बढ़ जाने से ग्रामीण दिन में भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
वन विभाग के जंगली क्षेत्र में 50 से ज्यादा गांव लगे हुए हैं। इनमें से 25 गांवों को वन विभाग ने संवेदनशील घोषित कर दिया है। साथ ही जंगल में अकेले न जाने की लोगों को सलाह दी है। इसके साथ ही बुदनी में कंट्रोल रूम बनाया गया है। 24 घंटे संचालित इस कंट्रोल रूम में 19 कर्मचारियों को वन विभाग की जीप सहित अन्य बचाव के उपकरणों से लैस किया गया है। पांच-पांच कर्मचारी 12-12 घंटे ड्यूटी देकर पूरी तरह से जंगली जानवर के मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। बुधनी की वर्धमान फैक्ट्री के आस-पास बाघ की मौजूदगी की सूचना लगातार मिल रही है। जिससे आसपास के रहवासी क्षेत्रों में सनसनी फैली हुई है। बुदनी ब्लाक में इस समय आठ बाघों और तेंदुआ का मूवमेंट मिल रहा है, लेकिन वन विभाग पांच बाघों के मूवमेंट अधिकृत रूप से मान रहा है। रेंजर एसएन खरे की माने तो इस समय बाघ के मूवमेंट जर्रापुर-जोशीपुर, वर्धमान फेक्ट्री के पास, खांडाबड़, भीमकोठी और यारनगर-ऊंचाखेड़ा के पास मिल रहे हैं। वन विभाग को इनके पगमार्क भी मिले हैं। जबकि सूत्रों की माने तो खटपुरा में भी दो बाघ और रेहटी में तेंदुआ लोगों ने देखे हैं, लेकिन वन विभाग ने इनकी अभी तक पूरी तरह से पुष्टि नहीं की है। वन विभाग का कहना है कि बाघ और तेंदुआ को पहाड़ी पर खदडऩे के प्रयास किए जा रहे हैं।
भोपाल से सटे जंगल में तेंदुए सक्रिए हैं जो आए दिन आबादी तक पहुंच रहे हैं। फिर भी वन विभाग इनकी खोज खबर नहीं रख रहा है। यहीं वजह है कि तेंदुए जंगल से बाहर आबादी तक पहुंच जाते हैं लेकिन वन विभाग की टाइगर पेट्रोलिंग और क्रैक टीम को भनक नहीं लगती। बीते छह महीने में ऐसी आधा दर्जन घटनाएं हो चुकी है जिनमें तेंदुए के आबादी तक पहुंचने के कारण ग्रामीणों को परेशान होना पड़ा है। समरधा रेंज के बालमपुर घाटी के पास लालू दादा के टपरा बस्ती के नजदीक भी तेंदुआ पहुंचा था जो दो दिन तक बस्ती के आसपास घूमता रहा। तेंदुए ने धर्मेंद्र बंजारा नामक रहवासी की बकरी का भी शिकार किया था। तेंदुए की दहशत से ग्रामीण परेशान थे नौबत यहां तक आ गई की पुलिस बुलानी पड़ी थी। साथ ही वन विभाग ने तेंदुए को जंगल में खदेड़ा था तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सास ली थी। यहीं स्थित नेहरू नगर के आसपास की भी बन जाती है यह क्षेत्र इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट (आईआईएफएम) से सटा है जहां तेंदुए पहुंच जाते हैं इसकी जानकारी टीम को नहीं होती और रहवासियों को परेशान होना पड़ता है। कंजरवेटर फॉरेस्ट डॉ. एसपी तिवारी कहते हैं कि गश्ती टीम बाघों के साथ-साथ जंगल में घूमने वाले तेंदुए की खबर रखती है।
लगातार हो रहे हैं पशुओं पर हमले
मासूम बालक शेखर का शिकार करने के बाद बुदनी वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले समनापुर में बाघ ने चार मवेशियों का शिकार किया। इसमें एक पाड़ा, बैल और दो बकरियों का शिकार किया। इसके बाद से लगातार हमले हो रहे हैं। आलम यह है कि ग्रामीण डरे हुए हैं। अफवाह यह भी फैल रही है कि कुछ बाघ आदमखोर हो गए हैं। फिलहाल वन विभाग ने वनकर्मियों के तीन दल गठित किए हैं, जो दो दर्जन भर प्रभावित ग्रामों में जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक कर उन्हें जंगल नहीं जाने की समझाइश दे रहे हैं। साथ ही दो वाहनों पर माइक लगाकर ग्रामीणों को हिदायत दी जा रही है कि वह आरक्षित क्षेत्र में ना जाएं। साथ ही रात के समय घरों से बाहर ना निकलें। बुदनी में बाघ और गर्भवती बाघिन की दहाड़ रहवासी क्षेत्र तक सुनाई दे रही है। यानी अब ये रहवासी इलाकों के नजदीक पहुंच रहे हैं। अभी तो वे अपनी टेरेटरी में बताए जा रहे हैं, लेकिन लोगों को डर है कि वे कभी भी कहीं भी आ-जा सकते हैं। बुदनी के जंगल में लगातार बाघ और बाघिन की हलचल बढ़ रही है। मिड घाट सेक्शन, वर्धमान फैक्टरी, रेलवे लाइन, खांडाबड़, देव गांव के बाद अब बाघ गडरिया नाले तक गया है। बुदनी वन परिक्षेत्र अधिकारी एसएन खरे कहते हैं कि ग्रामीणों को किसी भी हालत में जंगल में नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है।
-धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया