07-Dec-2017 07:08 AM
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मप्र में मनरेगा में किस तरह धांधली हो रही है, इसका ताजा मामला शिवपुरी में सामने आया है। राजधानी भोपाल में बैठे अधिकारियों की मिलीभगत से यहां सरपंच और सचिव भूतों से भी मजदूरी करा रहे हैं। 10 से 15 साल पहले मरे इन मजदूरों को लाखों रूपए की मजदूरी भी दी गई है। आदिवासियों की शिकायत पर पोहरी के तत्कालीन एसडीएम अंकित अस्थाना ने मामले की जांच की तो मृतकों से मनरेगा में मजदूरी करवाने की बात सही निकली और पाया कि मजदूरी के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया गया है।
आरोप है कि जिले में मनरेगा के तहत निरंतर घोटाले हो रहे हैं और जिसके चलते कई सहायक सचिव और सचिवों को विभागीय कार्यवाही के साथ सस्पेंड किया गया है। उसके बावजूद भी उक्त कर्मचारी अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहे है। आदिवासियों ने पोहरी के तत्कालीन एसडीएम अंकित अस्थाना को शिकायत दर्ज कराई कि पंचायत सचिव विनोद शर्मा ने ग्राम गोहरा के मृतक आदिवासी गुड्डी पत्नी सुजान आदिवासी, बाबू आदिवासी, कंचन आदिवासी, पार्वती पत्नी सुरेश आदिवासी आदि से मनरेगा में मजदूरी करवा कर घोटाला किया है। जब इस मामले की जांच अंकित अस्थाना ने की तो पार्वती आदिवासी की मौत करीब 12 साल पहले हो चुकी है, इसी प्रकार कंचन आदिवासी व गुड्डी आदिवासी की मौत के संबंध में कंचन आदिवासी की पत्नी बैजंती आदिवासी ने बताया कि कंचन की मौत करीब 15 साल पहले हो चुकी है और उसकी बहू गुड्डी आदिवासी की मौत लगभग 9 साल पहले। कंचन की मौत गोवर्धन थाने में दर्ज तहरीर के आधार पर 2008 में होना पाया गया। बाबू आदिवासी के संबंध में उसकी पत्नी कमला ने बताया कि उसके पति की मौत 12 साल पहले हुई थी और उन्होंने मनरेगा में कोई मजदूरी नहीं की।
ग्राम पंचायत ठेवला में जिन आदिवासियों की मृत्यु 10 से 15 वर्ष पहले हो चुकी है उन्हें जीवित बताकर मनरेगा में मजदूरी पर दर्शाकर लाखों रूपये का भुगतान प्राप्त कर लिया गया। मृतक आदिवासियों को वर्ष 2013-14 में मनरेगा में मजदूरी पर दर्शाया गया और इस गलत काम को जायज ठहराने के लिए वर्ष 2014-15 के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए गए। लाखों रूपए का आहरण करने का यह कारनामा ग्राम पंचायत ठेवला के पूर्व सचिव विनोद शर्मा, पूर्व सरपंच और पूर्व ग्राम रोजगार सहायक ने कर दिखाया है। वहीं वर्तमान सरपंच श्याम बिहारी शर्मा ने 10-15 साल पहले मृत हो चुके आदिवासियों को 2014-15 में मृत बताकर मृत्यु प्रमाण पत्र पुस्तिका में फर्जी प्रविष्टि की है।
पंचायत द्वारा हमें कोई मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। उस समय बिंदा जाटव सरपंच और विनोद शर्मा पंचायत सचिव थे। कंचन आदिवासी पुत्र बलदेव आदिवासी की मृत्यु के संबंध में थाना गोवर्धन का रोजनामचा क्रमांक 4703 दिनांक 2 मार्च 2008 संलग्न किया गया। जिसमें कंचन आदिवासी के नाम से बंदूक होने से उनकी मृत्यु हो जाने के बाद उनके नाम से जारी बंदूक कंचन के पुत्र ओमप्रकाश द्वारा थाना गोवर्धन में जमा कराई गई थी। थाना गोवर्धन के अभिलेखों में दर्ज तहरीर से कंचन आदिवासी की मृत्यु वर्ष 2008 में होना पुष्ट पाई गई। बाबू आदिवासी की मृत्यु के संबंध में बाबू की पत्नि कमला आदिवासी द्वारा बताया गया कि मेरे पति की मृत्यु 10 से 12 वर्ष पूर्व हुई थी तथा उनके द्वारा कोई मजदूरी नहीं की गई थी एवं न ही उसे मजदूरी का पैसा मिला है। पति का मृत्यु प्रमाण पत्र पंचायत द्वारा नहीं दिया गया है।
अंकित अस्थाना ने जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि मृतक व्यक्तियों के संबंध में जो तथ्य शिकायत में उल्लेखित हैं, जांच में उनकी मौत 10-12 वर्ष के बीच में होना पाई गई। इसके अलावा ग्राम पंचायत द्वारा अनुक्रमांक 6 व 7 से मृतक व्यक्तियों को जारी किए गए प्रमाण पत्र संदिग्ध की श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा मृतक व्यक्तियों से निर्माण कार्यों में मजदूरी करना दर्शाए जाने संबंधी आरोप पुष्ट पाए जाने से तत्समय पदस्थ रहे सरपंच, सचिव, ग्राम रोजगार सहायक को धनराशि गबन का दोषी तथा वर्तमान सचिव श्याम बिहारी शर्मा को गुड्डी व बाबू के कूट रचित दस्तावेज तैयार कर मृत्यु दर्शाए जाने का दोषी पाया जाता है।
पिता को भी बना दिया मजदूर
शिवपुरी जनपद की ग्राम पंचायत गोपालपुर में ग्रामीणों की शिकायत पर अधिकारियों द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ है कि पंचायत के पूर्व सचिव ने गांव वालों से जॉब कार्ड में फर्जी मजदूरी करवा डाली। सचिव ने ऐसे लोगों के नाम भी जॉब कार्ड में भर दिए जो गांव में नहीं रहते। पंचायत का पूर्व सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ जब गोपालपुर में पदस्थ था, तब उसने पिता निहाल सिंह वशिष्ट सहित अन्य ग्रामीणों के नाम पर जॉब कॉर्ड बनाकर उनसे फर्जी मजदूरी करवाई। इस शिकायत की जांच के लिए पंचायत विभाग ने पंचायत समन्वय अधिकारी आरके चौधरी, खंड पंचायत अधिकारी दौलत सिंह जाटव, सहायक यंत्री मनरेगा मुकेश जैन की तीन सदसीय टीम बनाकर मामले की जांच करवाई। जांच के दौरान टीम ने ग्रामीणों के बयान लेकर पंचनामा बनवाया, जिसके आधार पर टीम ने यह पाया कि पूर्व सचिव रोशन सिंह वशिष्ठ ने पंचायत में मनरेगा के जॉब कार्डों को संबंधितों को वितरित न करते हुए उनका दुरुपयोग किया है।
-सत्यनारायण सोमानी