ये कैसी चुनावी चौसर
07-Dec-2017 06:56 AM 1234814
मप्र में पिछले एक दशक से सरकार के चुनिंदा आईएएस अफसरों को इधर से उधर बदली हो रही है। इससे ऐसा लगता है कि प्रदेश में 356 के कॉडर में से पंच प्यारे ही काम के हैं। बाकी सब निशाने पर हैं। एक बार फिर सरकार ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए 15 आईएएस अफसरों का तबादला किया है। परंतु सरकार ने अपने पंच प्यारों पर फिर भरोसा कर उन्हें उसी विभाग का कार्य दे दिया जिस विभाग में वो पहले अफसरी कर चुके हैं। सरकार का मानना है कि उन्हें उस विभाग का तजुर्बा पहले से है और वह अपनी इच्छा से काम करते हैं न कि राजनीतिक हस्तक्षेप से। सरकार की मजबूरी है कि उन्हें वही पोस्टिंग देनी है जो वह चाहते हैं। ऐसी खबर गलियारों में चर्चा में है और दूसरे अफसर अपनी बगले झांककर खोज में लगे हैं कि आखिर हम में क्या कमी है। मजे की बात यह है कि सरकार ने मोहम्मद सुलेमान पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर उन्हें उद्योग के साथ-साथ लोक निर्माण और अप्रवासी विभाग का जिम्मा देकर प्रमोद अग्रवाल को नाराज कर दिया। प्रमोद अग्रवाल ने लोक निर्माण विभाग में कार्य की गुणवत्ता के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया था और कई जगह उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई का उपयोग करते हुए उन्होंने खुद गुणवत्ता की जांच कर संबंधितों पर कार्यवाही की थी। एक समय तो उन्होंने विभाग के उपयंत्री से लेकर अधीक्षण यंत्री तक के अधिकारियों की नाक में दम कर उन्हें विभाग में काम करना सिख दिया था। परंतु मंत्री रामपाल सिंह की नाराजगी के कारण मुख्यमंत्री को उनसे यह विभाग छीनना पड़ा और उन्हें उनकी काबिलियत को देखते हुए प्रदेश की सबसे बड़ी पेयजल समस्या का मुखिया बना दिया। वहीं आईसीपी केसरी को उनकी अपनी पारिवारिक समस्या के चलते हुए दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर ऊर्जा विभाग से भेजा था। अब वह उसी विभाग के फिर दोबारा से मुखिया बनकर लौटे हैं। परंतु उन्हें दिल्ली में भी मध्यप्रदेश भवन का इंचार्ज बना रखा है। अब वह दिल्ली और प्रदेश की समस्या को एक ही जगह पर बैठकर निपटाएंगे। सरकार ने राधेश्याम जुलानिया को फिर सिंचाई का रकबा बढ़ाने का दोबारा से ईनाम दिया है। उन्हें किसानों की फसल को ज्यादा से ज्यादा नहरों के माध्यम से पानी मिल सके इस उद्देश्य से उन्हें विभाग में रखा है। परंतु कूटनीति यह भी है कि उन्होंने प्रदेशभर के 15 सौ से अधिक पंचायत सचिव और सरपंचों को नाराज किया है वह आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें इधर से उधर किया है। परंतु राधेश्याम जुलानिया से पहले वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव नाराज रहते थे अब सरकार ने नरोत्तम मिश्रा के माथे पर जुलानिया को बिठा दिया है। इकबाल सिंह बैंस को पंचायत एवं ग्रामीण विकास का जिम्मा देकर प्रदेशभर के 20 हजार से अधिक पंचायतों में यह संदेश दे डाला है कि अफसरों की दादागिरी नहीं चलेगी। यह सरकार गरीबों की, किसानों की और आम पब्लिक की है न कि अफसरों की। पंकज अग्रवाल और मनोज गोविल को अपने वित्त में काम करने का अनुभव मिला है उन्हें दोबारा से वित्त विभाग में पदस्थ किया गया है। सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह प्रशासनिक फेरबदल किया है। अब विभागों की समीक्षा होने के बाद दूसरा अफसरों का रीशफल होगा फिर सरकार फील्ड में तैनात कमिश्नर, कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टरों के तबादले होने के संकेत मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री की मंशा दोबारा से मंत्रीमंडल का रीशफल करने की भी है। परंतु राजनीतिक हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री अब कोई जोखिम उठाने की मूंड में नहीं है। मुख्यमंत्री ने अपने सफल और शानदार और भाजपा के लिए ऐतिहासिक रूप से 12 वर्ष पूरे कर फिर नई पारी की तैयारियों में जुट गए हैं। ऐसे में उन्हें अपने कुछ मातहतों पर भरोसा बताना ही होगा। उसी के परिणाम स्वरूप अब तबादलों की झड़ी जारी रहेगी। प्रभार देते समय क्षेत्र का ध्यान नहीं सरकार ने अपने खास अफसरों को प्रमुख और उनके पुराने पदों पर बिठाया ही है साथ ही कइयों को प्रभार भी दिया है। इस तबादले में संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है जब अधिकारी को एक से अधिक विभाग का प्रभार देते समय क्षेत्र का ध्यान नहीं रखा गया। मसलन केशरी को प्रमुख सचिव ऊर्जा तो बनाया गया, लेकिन उनके पास विशेष आयुक्त (समन्वय) मप्र भवन नई दिल्ली का प्रभार रहेगा। यानी वल्लभभवन भोपाल में ऊर्जा का दफ्तर रहेगा, जबकि मप्र भवन का नई दिल्ली में। इसी तरह डॉ. एमके अग्रवाल को राजस्व मंडल का सदस्य बनाया गया, जिसका कार्यालय ग्वालियर में है। साथ ही उन्हें चंबल संभाग का कमिश्नर बना दिया गया, जिसका मुख्यालय मुरैना है। -भोपाल से राजेन्द्र आगाल
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