अब सीधे कार्रवाई
17-Nov-2017 06:59 AM 1234824
मप्र में अब भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों-कर्मचारियों पर सरकार सीधे कार्यवाही करेगी। इसके संकेत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों अधिकारियों के साथ हुई बैठक में दिए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सरकार ने भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों की कुंडली तैयार कर ली है। हर विभाग के ऐसे अफसर और कर्मचारियों का डाटा-रिकॉर्ड बना लिया गया है, जो भ्रष्टाचार के मामले में विभागीय जांच या फिर सख्त कार्रवाई के घेरे में हंै। सरकारी विभागों में ऐसे करीब 1800 अफसर-कर्मचारी सामने आए हैं। इनके अलावा लोकायुक्त संगठन में 2696 और ईओडब्ल्यू में करीब दो सौ प्रकरण वाले अफसर-कर्मचारी भी सरकार के निशाने पर हैं। सरकार की पहली प्राथमिकता विभागीय जांच और सख्त कार्रवाई वाले प्रकरण में उलझे अफसर-कर्मचारियों की नौकरी का फैसला करने की है। इन अफसर-कर्मचारियों पर 50 साल की उम्र या 20 साल की नौकरी का फार्मूला लगाया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि इतनी सेवा अवधि या उम्र पूरी करने वाले अफसर-कर्मचारी भ्रष्टाचार और अन्य मापदंडों पर नौकरी के लिए अब भी खरे उतरते हैं या नहीं। अनफिट पाने पर इन्हें नौकरी से बाहर किया जा सकता है, लेकिन इसका फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस पूरे प्रेजेंटेशन के बाद होगा। भ्रष्टों के इस डाटा-बैंक के प्रेजेंटेशन के लिए सीएम से वक्त मांगा जा रहा है। जीएडी एसीएस प्रभांशु कमल के स्तर पर यह डाटा तैयार किया गया है। सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त मध्यप्रदेश के लिए भी राज्य स्तरीय कमेटी बनाई थी। इसकी रिपोर्ट सीएम को दी गई थी, जिसके बाद सीएम ने सीएस स्तर पर एक कमेटी बनाकर उसे इसका आंकलन करके रिपोर्ट देने के लिए कहा है। जिन विभागों व कलेक्टर्स ने 20-50 के फार्मूले पर रिपोर्ट नहीं भेजी है, उन पर सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। विभागों को एक प्रपत्र दिया गया है, जिसे उन्हें भरकर जमा करना है। इसमें छानबीन समिति की बैठक की तारीख, छानबीन के दायरे में रखे गए अधिकारियों-कर्मचारियों की श्रेणीवार संख्या और सेवा के लिए अयोग्य पाए गए अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या रहेगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार अयोग्य व्यक्तियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त देने का फैसला लेगी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन करते हुए पुलिस मुख्यालय 20-50 के फॉर्मूले पर राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की सेवा का परीक्षण कर चुका है। इसकी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपी जा चुकी है पर निर्णय के लिए बैठक नहीं हो सकी है। मुख्यमंत्री द्वारा बीते महीने भ्रष्टाचारी अधिकारी-कर्मचारियों को चिह्नित करने की घोषणा पर अमल शुरू हो गया है। जिले में तैनात अधिकारी-कर्मचारियों पर आरोपित भ्रष्टाचार के मामलों के आधार पर जिले की रैंकिंग तय की जाएगी। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। कलेक्टर से हर माह ऐसे मामलों की जानकारी मांगी गई है। प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है जब सिविल सेवा आचरण संहिता के आधार पर जिले की ग्रेडिंग तय होने जा रही है। जिस जिले का अंक सबसे कम होगा वह सबसे ज्यादा सुशासन वाला जिला माना जाएगा। सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 14 के तहत अधिकारी-कर्मचारी पर अवचार व कदाचार के मामले में मुख्य शास्ति (बड़े दंड) जिसमें सेवा से बर्खास्तगी तक शामिल है की प्रक्रिया लागू की जाती है। नियम 16 के तहत अपचारी व कदाचारी अधिकारी-कर्मचारी पर लघु शास्ति अधिरोपित की जाती है। वेतनवृद्धि रोकने या परिनिंदा जैसे दंड शामिल होते हैं। जिस तरीके से जिले की रैंकिंग तय की जानी है उसके अनुसार जिस जिले के जितने अधिक अंक मिलेंगे वह जिला उतना ही भ्रष्टाचारी माना जाएगा। यह भी हिदायद दी गई है कि नियम 14 व 16 के तहत दर्ज प्रकरणों की संख्या यदि जिले से तय समय में नहीं पहुंचेगी तो उस जिले को दर्ज प्रकरणों की श्रेणी में सर्वाधित अंक प्राप्त जिले के साथ वर्गीकृत किया जाएगा। 20-50 के फॉर्मूले पर शुरू हुई जांच काम नहीं करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने के लिए 20-50 के फॉर्मूले का सख्ती से पालन करने के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से 15 जनवरी तक 31 दिसंबर की स्थिति में छानबीन समिति की रिपोर्ट मांगी है। इसमें विभागों को यह भी बताना होगा कि उन्होंने कितने अधिकारियों-कर्मचारियों का परीक्षण किया और उनमें कितने व किस श्रेणी के लोग अयोग्य पाए गए। सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव सीबी पडवार ने इसके निर्देश जारी किए हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में लंबे समय से विभागों ने 50 साल की आयु और 20 साल की सेवा पूरी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के प्रदर्शन का आंकलन नहीं किया है। सामान्य प्रशासन विभाग को ज्यादातर विभागों ने छानबीन समिति की रिपोर्ट तक नहीं दी है। जबकि हर साल दो बार छानबीन समिति की बैठक होनी चाहिए। -कुमार राजेंद्र
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