17-Nov-2017 06:52 AM
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मप्र में पिछले एक दशक से यह देखा जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान सरकार की कार्यप्रणाली से न तो सत्तापक्ष और न ही विपक्ष के विधायक संतुष्ट होते हैं। इसलिए इस सत्र के दौरान सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी विधायकों का विश्वास जीतने की। इसके लिए विधायकों के सभी लंबित सवालों का जवाब देने के साथ ही वर्तमान प्रश्नों के उत्तर दिलवाने का दबाव सरकार पर है। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने पिछले दिनों विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकर विधानसभा के लंबित मामलों को तत्परता से निपटाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने अपूर्ण उत्तर के साथ आश्वासन शून्यकाल की सूचनाओं के जवाब भी समयसीमा के भीतर देने को कहा है।
यही नहीं सरकार के सामने कांग्रेस भी इस सत्र में बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है। इसको देखते हुए सरकार अभी से सजग हो गई है। विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा के दौरान लगने वाले गंभीर आरोपों से बचने के लिए अब सरकार नई रणनीति पर काम करने जा रही है। इसके तहत अब विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाए इसके पहले ही सरकार विश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष के मंसूबे ध्वस्त कर देगा। इसके लिए विधानसभा सचिवालय स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई है। जिसके तहत नियमों के बदलाव पर मंथन शुरू हो गया है। सदन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की पूरी जोर-शोर से तैयारी कर रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। कानून व्यवस्था खराब है, महिला अत्याचार बढ़े हैं, गैंगरेप की घटनाएं ताजा उदाहरण हैं, परेशान किसान आत्महत्या को मजबूर हैं और उन्हें फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इसके बाद भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
सरकार सदन और सदन के बाहर विपक्ष के एक-एक आरोप का जबाव देने को तैयार है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी के बीच विश्वास प्रस्ताव की भी तैयारी शुरू हो गई है। प्रयास है कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाए इसके पहले सरकार की ओर से विश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया जाए। सदन में विश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद अविश्वास का महत्व ही समाप्त हो जाएगा।
बिहार विधानसभा सचिवालय ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखकर पूछा था कि आपके यहां विश्वास प्रस्ताव का प्रावधान है कि नहीं। इस पत्र में यह सुझाव भी दिया गया था कि इसे मध्यप्रदेश में भी लागू किया जा सकता है। बिहार ने यह पत्र सभी राज्यों को लिखा था। बिहार राज्य के इसी पत्र पर यहां मंथन शुरू हुआ है।
सदन के कार्य संचालन के लिए वैसे तो नियम निर्धारित हैं, लेकिन इसमें यदि कोई संशोधन करना है तो सदन की नियम समिति को यह अधिकार है। मंथन हो रहा है कि विश्वास प्रस्ताव के लिए नियमों में संशोधन की जरूरत है या वर्तमान प्रावधानों के तहत ही इसे सदन में पेश किया जा सकता है। जरूरत पड़ी तो समिति के विचार के लिए प्रस्ताव जा सकता है।
उधर चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस की पूरी कोशिश रहेगी कि वह इस सत्र में सरकार को जमकर घेरे ताकि जनता के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बने।
मनोरंजन कर वसूल करेंगे निकाय आएगा विधेयक
देशभर में जीएसटी लागू होने के बाद मनोरंजन कर की वसूली वाणिज्यकर विभाग के बजाय नगरीय निकायों से कराने की तैयारी है। ये अधिकार निकायों को दिए जाने के लिए राज्य सरकार इसी विधानसभा सत्र में विधेयक लाने जा रही है। आरक्षण का दायरा बढ़ाने, निजी विद्यालयों की फीस वसूली पर शिकंजा कसने, मकान-मालिक और किराएदारों के लिए किराएदारी परिसर सहित एक दर्जन विधेयक राज्य सरकार इस विधानसभा सत्र में लाने जा रही है। शहरों में स्थित बड़ी कॉलोनियों, निजी कालोनियों, दुकानों व सार्वजनिक स्थानों पर जनसहयोग से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए राज्य सरकार मध्यप्रदेश जन सुरक्षा विनियमन विधेयक लाने जा रही है ताकि महिलाओं की सुरक्षा खासतौर पर हो सके। इनके अलावा मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, दंड विधि संशोधन विधेयक, भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक, अध्यादेश के स्थान पर प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक, अध्यादेश के स्थान पर नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक, मध्यप्रदेश लोक सेवा (अजा-अजजा और पिछड़े वर्गो के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2017 के तहत प्रदेश में सहकारी सोसायटियों और 51 फीसदी सरकारी अंश वाले अनुदान प्राप्त निजी संस्थानों में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की तैयारी में है।
-अजय धीर