17-Nov-2017 06:36 AM
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गुजरात के सियासी हालात पहले से काफी बदल चुके हैं। पीएम मोदी की दिल्ली की कमान सम्भालने के बाद से भाजपा के गुजरात कैडर में कोई सर्वमान्य नेता नहीं दिखता है। दूसरी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस और भाजपा जैसे दो सियासी ध्रुवों के अलावा जातीय समीकरण तेजी से उभरा है। जिस जातीय समीकरण की वजह से कांग्रेस और भाजपा अब तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहीं वह पाटीदार आंदोलन के बाद बिखरता और टूटता दिख रहा है। इसके बाद जातीय नेताओं के उभार से स्थिति और भी बदल गई है। पाटीदारों के आरक्षण आंदोलन के बाद तो गुजरात में सियासत का नया क्षितिज उभरा है। जिसका लाभ कांग्रेस लेना चाहती है। भाजपा को राज्य से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए दलित, पटेल और ओबीसी नेताओं से एक नया गठजोड़ बनेगा जो हिन्दुत्ववादी होते हुए भी गैर भाजपाई होगा। क्योंकि सत्ता में होने की वजह से भाजपा सभी दलों को टक्कर देगी। सभी की लड़ाई भाजपा से होगी जबकि भाजपा से सीधा मुकाबला करने में अभी कांग्रेस ही सबसे बड़ा विकल्प है। उस स्थिति में जातीय आधार पर बने दल भाजपा को पराजित करने के लिए एक साथ कांग्रेस से हाथ मिला सकते हैं। क्योंकि जातीय नेताओं को अपनी ताकत दिखाने का आम चुनाव से बढिय़ा मौका भी नहीं मिलेगा।
दूसरी बात अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो 2019 का गुजरात प्रयोग गैर भाजपाई दलों और डूबती कांग्रेस के लिए संजीवनी होगी। हालांकि, राज्य में भाजपा बेहद मजबूत स्थिति में है, क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सत्ता है। हाल में पीएम ने कई हजार करोड़ की विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी है। गुजरात में अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो केंद्र से संचालित योजनाओं पर बुरा असर पड़ सकता है। वैसे भी मोदी एण्ड शाह कंपनी अपनी जमीन कभी खिसकने नहीं देगी। क्योंकि अगर भाजपा के हाथ से गुजरात गया तो 2019 की राह उसके लिए इतनी आसान नहीं होगी। हालांकि अगड़ी जाति अगर भाजपा का साथ छोड़ती है, तो हालात बदल सकते हैं।
बीजेपी गुजरात में सारे तीर आजमा रही है। तरकश के तीर तो पहले से ही मोर्चे पर तैनात हैं, स्टोर से कुछ और निकाल कर भी मैदान में ले जाये जा रहे हैं। इनमें वे भी हैं जिनमें वो समझती रही कि जंग लग चुके हैं - और वे भी जिन्हें वो दागदार मानकर सामने लाने से बच रही थी। जो राम विलास पासवान यूपी चुनावों में कहीं नजर नहीं आये वो गुजरात पहुंच चुके हैं - और जिन मुकुल रॉय को ममता बनर्जी के खिलाफ इस्तेमाल के लिए बीजेपी में लाया गया है उनकी भी गुजरात में चुनावी ड्यूटी लगा दी गयी है। यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके मुकुल रॉय के जिम्मे कांग्रेस के खिलाफ पोल खोल कार्यक्रम पेश करना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल फिलहाल खुद तो गुजरात के कई चक्कर लगा ही चुके हैं, राहुल गांधी के ताजा दौरे के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी डटे हुए हैं - वो खुद तो सक्रिय हैं ही, बाकियों पर करीब से निगरानी भी रख रहे हैं। बीजेपी ने चुनाव अभियान में जिन केंद्रीय मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है वे हैं - रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, कृषि और किसान कल्याण मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री मनसुख मंडविया के साथ-साथ खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान।
राहुल का वार पर वार
गुजरात के विकास मॉडल की देशभर में चर्चा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांगे्रस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के विकास के मुद्दे पर ही इस कदर घेर दिया है कि बार-बार प्रधानमंत्री को गुजरात आना पड़ रहा है। आलम यह है कि मोदी एण्ड शाह कंपनी पर राहुल लगातार वार पर वार कर रहे हैं। एक अकेले राहुल गांधी को घेरने के लिए पूरी केंद्र सरकार और भाजपा संगठन पसीने बहा रहा है। उधर राहुल ने असंतुष्ट नेताओं को अपने साथ लाकर भाजपा की मुश्किले बढ़ा दी हैं।
द्यबिन्दु माथुर