01-Nov-2017 08:06 AM
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किसी ने सही कहा है कि कृषि प्रधान इस देश में किसानों की मुसीबत कभी भी कम नहीं हो सकती है। महाराष्ट्र में सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया तो वहां के किसान खुशी से उछल पड़े, लेकिन इस कर्जमाफी की स्कीम में ऐसी धांधली सामने आई है कि प्रधानमंत्री कार्यालय तक हिल गया है। दरअसल कर्जमाफी की धांधली में कई वास्तविक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है वहीं कई अनाम किसानों को फायदा पहुंचा दिया गया है। मामला पीएमओ पहुंच गया है। पीएमओ जानना चाहता हैं कि किन दिक्कतों के चलते किसानों के बैंक अकाउंट में पैसा रिलीज नहीं हो पा रहा है। बैंक किस तरह से आधार कार्ड के गलत आंकड़े मुहैया करा सकते हैं और ऐसा कैसे हुआ कि इस तरह के गलत आंकड़े राज्य के आईटी डिपार्टमेंट ने अपलोड कर दिए और इन आंकड़ों को क्रॉस-चेक क्यों नहीं किया गया था? लिस्ट में फर्जी किसानों के नाम कैसे शामिल हो गए और कर्ज माफी के प्रमाणपत्र बिना कर्ज माफी की रकम के कैसे बन गए?
सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र काडर के आईएएस अफसर श्रीकार केशव परदेसी, जो कि पीएमओ में बतौर डायरेक्टर प्रतिनियुक्ति पर हैं, ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (एग्रीकल्चर) विजय कुमार, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (आईटी) विजय कुमार गौतम, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (कोऑपरेशन) सुखबीर सिंह संधू और मुख्यमंत्री कार्यालय के संबंधित अफसरों को कॉल किया। विजय कुमार ने बताया, मैंने पीएमओ को बताया कि मैं अकेला इस मामले को नहीं देख रहा हूं। मैंने पीएमओ को बताया कि राज्य के आईटी और कोऑपरेशन डिपार्टमेंट भी किसान लोन माफी स्कीम को देख रहे हैं। विजय कुमार ने हालांकि इस बारे में ज्यादा ब्योरा देने से इनकार कर दिया। हालांकि, जब फस्र्टपोस्ट ने श्रीकार परदेसी को कॉल किया तो उन्होंने इस मसले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। किसानों के कर्ज माफ करने की योजना को लागू करने में हुई गड़बड़ी अब राज्य का एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। विपक्षी पार्टियों ने इस नाकामी का ठीकरा राज्य सरकार के सिर फोड़ा है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि अगर सरकार लाभार्थियों के खातों को आधार नंबर से वेरिफाई करने पर जोर देने की बजाय पैसा सीधे किसानों के खातों में डाल देती तो यह योजना कहीं तेजी से पूरी हो जाती। इस योजना में गड़बडिय़ों का खुलासा होने के बाद से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है। पवार कहते हैं कि फडणवीस का अपने विभाग और नौकरशाहों पर ही भरोसा नहीं है। वह अफसरों की एक समानांतर संस्था तैयार कर रहे हैं जो कि राज्य की बजाय केवल उनके लिए काम कर रही है। मैंने इस तरह के बचपने वाला मुख्यमंत्री अब तक नहीं देखा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो महाराष्ट्र में भी किसान सरकार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं।
इस तरह सामने आई गड़बड़ी
जब 273 लाभार्थी किसानों के नामों वाली एक लिस्ट की समीक्षा की गई तो लिस्ट में करीब 35 बैंकों द्वारा जमा की गई प्रविष्टियों में गंभीर गड़बडिय़ां पाई गईं। इन बैंकों में निजी, सरकारी और जिला सहकारी बैंक शामिल हैं। इस लिस्ट को एसएलबीसी को जमा किया गया था। 273 प्रविष्टियों में 10 में अंधाधुंध तरीके से तैयार किए गए आधार नंबरों को किसानों की कई प्रविष्टियों के लिए इस्तेमाल किया गया था। आंकड़ों के मुताबिक, संतोष जयराम शिंदे एक किसान हैं जिनका आधार नंबर 111111110157 है। दिलीप आनंद कुटे भी एक किसान हैं और इनका भी यही आधार नंबर 111111110157 है। ऐसा ही मामला दिलीप रामचंद्र कचले के साथ है। इसी तरह से, बलवंत बंधु वजनारी, संग्राम वसंत चाह्वाण, केशव रंगराव चाह्वाण, सुमन विलासराव पाटिल, गणपतराव रामचंद्र पवार, चंद्रकांत वसंत याधव, जयवंत शामराव साटपे, संगीता हनमंत चाह्वाण और कई अन्य किसानों के आधार नंबर 100000000000 एक जैसे हैं।
-ऋतेन्द्र माथुर