17-Nov-2017 06:16 AM
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अब इसे अपनी सरकार की दरियादिली कहें या नासमझी दिल्ली को हम बिजली दे रहे हैं पर वहां की दरें एमपी से कम हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राज्य के दौरे में यह बात कही भी कि एमपी में बिजली दरें, दिल्ली से ज्यादा क्यों हैं? उधर यह सवाल उठाया गया इधर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की जेब फिर काटे जाने की तैयारी कर ली गई है। प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली दर वृद्धि से करारा झटका देने की कवायद की जा रही है। विद्युत राज्य नियामक आयोग के सामने दिसंबर में पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से टैरिफ याचिका पेश करने का काउंट डाउन शुरू हो गया है। पूर्व, मध्य व पश्चिम वितरण कंपनियों से आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
कर्मियों को सातवें वेतनमान देने का आर्थिक बोझ और लाइन लॉस कम कर पाने में कंपनियों की नाकामी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ेंगी। आयोग ने कंपनियों को लाइन लॉस कम करने की हिदायत दी थी। कंपनियों ने टैरिफ याचिका में औसत 33 प्रतिशत हानि को 16 प्रतिशत पर लाने का दावा कर कहा था, यह बिजली बेच वे 27544 करोड़ का राजस्व जुटाएंगी, लेकिन कंपनियां लाइन लॉस महज 25 प्रतिशत ही कर सकी हैं।
दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, सौभाग्य योजना, मुख्यमंत्री कृषि स्थाई पम्प योजना, आईपीडीएस , 44 लाख घरों को बिजली पहुंचाना आदि योजनाओं के लिए बिजली कंपनी को ही दायित्व दिया गया है। ये योजनाएं कंपनी पर भारी पड़ रही हैं।
पिछली बार तीनों वितरण कंपनियों की तरफ से पावर मैनेजमेंट ने टैरिफ याचिका में 4529 करोड़ की भरपायी के लिए बिजली की दरों में 10 प्रतिशत बढ़ाने की डिमांड नियामक आयोग के सामने रखी थी और आयोग ने 9.48 प्रतिशत बिजली दर बढ़ाए जाने की मंजूरी दी थी। इस बार यह अंतर करीब पांच हजार करोड़ पहुंचने का अनुमान है। इसकी भरपायी के लिए कंपनियां 12 से 15 प्रतिशत बिजली दर बढ़ाए जाने का प्रस्ताव तैयार कर रही हैं।
हाल ही में नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे की रिपोर्ट जारी हुई थी। यह सर्वे पारिवारिक जरूरतों से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजों को लेकर हुआ था। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में सरकार सिर्फ 89.9 प्रतिशत घरों में ही बिजली पहुंचा पाई है। यानी 11 फीसदी आबादी आज भी अंधेरे में रहने को मजबूर है। यह स्थिति सिर्फ ग्रामीण इलाकों की नहीं है। शहरी क्षेत्रों में भी सरकार वर्तमान में 97.9 प्रतिशत घरों में बिजली दे पा रही है। जबकि ग्रामीण इलाकों में 1458 घर ऐसे है, जहां आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में विद्युत सुविधा देने का आंकड़ा प्रतिशत 86.4 है। कुल मिलाकर केंद्रीय सर्वे में यह सामने आया था कि मध्यप्रदेश की गिनती उन दस राज्यों में है जहां आज भी कई घरों में सरकार बिजली नहीं पहुंचा पाई है।
सौभाग्यÓ से होगा अंधेरे घरों में उजाला
अब तक जिन घरों में अंधेरा था वह जल्द ही उजाले से जगमगाएंगे। इसके लिए सरकार ने कवायद तेज कर दी है। दरअसल प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत विद्युत विहीन घरों को कनेक्शन देना है। इसलिए भोपाल और ग्वालियर की विद्युत वितरण व्यवस्था का जिम्मा संभालने वाली मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण ने अपने सभी 16 जिले के अधिकारियों को निर्देश जारी कर ऐसे विद्युत विहीन घरों की पूरी जानकारी मांगी है। इसके साथ ही इन्हे बिजली कनेक्शन कैसे मुहैया कराया जाए? पूरी रिपोर्ट तैयार करके इस सवाल का जवाब भी मांगा गया है। प्रधानमंत्री द्वारा सौभाग्य योजना की घोषणा की गई थी। इस योजना के तहत हर घर में बिजली पंहुचाना है। इसमें उपभोक्ताओं को सहज रूप से विद्युत कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने अपने बिजली अधिकारियों से जिलेवार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए सात दिन के अंदर कार्ययोजना बनाकर मुख्यालय भेजने के आदेश दिए है।
- सिद्धार्थ पाण्डे