दूर हुआ भ्रम
17-Nov-2017 05:51 AM 1234954
शुभारंभ के साथ ही भावांतर भुगतान योजना को लेकर किसानों में जो भ्रम की स्थिति थी, उसे सरकार ने दूर कर दिया है। मुख्यमंत्री ने विदेश से लौटते ही उच्च स्तरीय बैठक कर मॉडल रेट शीघ्र तय करने के निर्देश दिए, इस कारण अब प्रत्येक 15 दिनों में मॉडल रेट तय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि किसान किसी के बहकावे में न आएं यह योजना जारी रहेगी। अक्टूबर महीने में प्रदेश की मंडियों में 6,98,000 टन आवक हुई, वहीं वर्ष 2016 में ये 7,33,000 टन थी और 2015 में 8,70,000 टन रही। इस वर्ष अक्टूबर महीने में कम आवक की वजह फसल का कमजोर होना, त्यौहारी महीना और भावांंतर की गफलत मानते हैं प्रेक्षक। भावान्तर भुगतान योजना में 19 लाख 63 हजार से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है इसमें 2 हेक्टेयर तक जोत वाले 60 फीसदी किसान हैं। अब तक 35 लाख क्विंटल से अधिक कृषि उपज इस योजना के माध्यम से मंडियों में आ चुकी है जिसका भुगतान लगभग 168 करोड़ रुपये किसानों को किया जाएगा। 31 अक्टूबर तक एक लाख 17 हजार से अधिक किसानों ने मक्का, तुअर, सोयाबीन, मूंगफली, उड़द, मूंग, तिल एवं रामतिल मंडियों में विक्रय की है। पूर्व में रामतिल की आवक मंडियों में नहीं थी परंतु अब भावान्तर की राशि मिलने की चाह में उसकी आवक भी प्रारंभ हो गई है। मुख्यमंत्री की घोषणा के पश्चात मंडी बोर्ड ने भुगतान संबंधी व्यापारियों की शंका का समाधान किया है। मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री फैज अहमद किदवई ने कहा है कि आयकर नियम 269 एसटी के अनुसार व्यापारी किसान को 2 लाख रुपये तक नगदी राशि का भुगतान कर सकते हैं। इस नियम के अंतर्गत भुगतानकर्ता के ऊपर यह नियम प्रतिबंधात्मक नहीं है। इसी तरह आयकर नियम की धारा 40-ए (3) के अनुसार कृषि उपज एवं वनोपज खरीदी में 10 हजार रुपये नगद भुगतान की सीमा 6 डीडी के अनुसार लागू नहीं होती। राज्य में गत 15 दिनों का औसत मॉडल भाव ट्रेंड के मुताबिक सोयाबीन के लिये 2580, मक्का के लिए 1190, मूंग 4120, उड़द 3000, मूंगफली 3720 एवं तिल का 5440 रुपये प्रति क्विंटल तय है इसमें समर्थन मूल्य से भाव में अंतर की राशि सोयाबीन 470, मूंग 1455, मूंगफली 730, उड़द 2400 एवं मक्का 235 रुपये प्रति क्विंटल आ रहा है जो किसानों को भुगतान किया जाएगा। योजना में दिन-प्रतिदिन बदलाव किए जा रहे हैं। अब चिन्हित 8 जिन्सों को बेचने के लिये अगर खेत से 15 किलोमीटर या इससे अधिक दूरी पर स्थित कृषि उपज मण्डी, उप मण्डी तक फसल ले जाना पड़ेगी तो उसे प्रति किलोमीटर के आधार पर परिवहन व्यय मिलेगा। परिवहन दर का निर्धारण जिला कलेक्टर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी तथा जिला स्तर की मण्डी के सचिव की समिति करेगी। परिवहन व्यय के लिये चयनित जिन्सों में सोयाबीन, मक्का, तिल, रामतिल, मूंगफली, मूंग, उड़द और तुअर शामिल हैं। परिवहन व्यय भुगतान की शर्तें और प्रावधान भी तय कर दिये गये हैं। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र के जिलों में जिला प्रशासन एग्रीगेटर के तौर पर ट्रैक्टर-ट्रॉली/वाहन को अधिकृत करेंगे। मुख्यमंत्री स्वयं इस योजना की मानिटरिंग कर रहे हैं, और उनके निर्देशों पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारीगण जिलों में मंडियों में जाकर भावांतर योजना का क्रियान्वयन भी देख रहे हैं। उम्मीद है किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने और किसानों की आय दुगनी करने के रोडमैप में यह योजना मील का पत्थर होगी। भण्डारण पर अनुदान सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि जो किसान अपनी फसल का भण्डारण करना चाहते हैं और बाद में उचित मूल्य मिलने पर फसल की बिक्री करना चाहते हैं, उनको लायसेंसी गोदाम में भण्डारण करने पर प्रति क्विंटल प्रति माह 9.90 रुपए का अनुदान शासन द्वारा दिया जाएगा। गैर आदिवासी क्षेत्रों के जिलों में कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा खुलवाये गये कस्टम हायरिंग सेन्टर के उपलब्ध ट्रैक्टर-ट्रॉली/वाहन से परिवहन का भुगतान किया जायेगा। परिवहन की गई फसल की मण्डी के दस्तावेजों के आधार पर विक्रय का सत्यापन करने के बाद संबंधित जिला कलेक्टर की समिति द्वारा निर्धारित की गई प्रति किलोमीटर परिवहन दर से निकटतम मंडी की दूरी का जहां फसल बेची गई है, परिवहनकर्ता को व्यय का भुगतान किया जायेगा। - नवीन रघुवंशी
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