17-Nov-2017 05:44 AM
1234792
अभी जिस मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की किरकिरी हो रही है वह है दो साल पहले व्यापमं घोटाले में निलम्बित और गिरफ्तार हुए काटजू अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. नर्मदा प्रसाद अग्रवाल के निलंबन से संबंधित। दरअसल डॉ. अग्रवाल पर अपनी बेटी निष्ठा अग्रवाल को प्रीपीजी-2012 में व्यापमं के पूर्व प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा के जरिए मॉडल आंसर शीट दिलवाने का आरोप है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर सरकार ने डॉ. अग्रवाल को निलंबित कर दिया था।
निलंबन के बाद डॉ. एनपी अग्रवाल ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। दायर याचिका क्रमांक 313/16 की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 13 जनवरी 2016 को अभ्यावेदन का निराकरण करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि विभाग के प्रमुख सचिव मामले का परीक्षण कर अपना अभिमत दें। इस मामले का परीक्षण करने के बाद 2 अगस्त 2017 को संचालनालय स्वास्थ्य सेवा ने अपने आदेश में कहा कि डॉ. अग्रवाल को जिस प्रकरण में गिरफ्तार किया गया था वह प्रकरण आज भी लंबित है। वह समाप्त नहीं हुआ है अत: अभ्यावेदन को निलंबन से बहाल करने संबंधी मांग पूर्ण विचारोपरान्त अमान्य की जाती है। लेकिन ठीक इसके अगले दिन यानी 3 अगस्त 2017 को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने डॉ. अग्रवाल को निलंबन से बहाल करने का निर्णय ले लिया। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर एक ही दिन में सरकार ने अपनी जांच में ऐसा क्या पा लिया कि संचालनालय के आदेश को खारिज कर डॉ. अग्रवाल को बहाल करने के निर्देश दे दिए। दरअसल यह विभाग के एक बाबू की सारी कारस्तानी है।
सूत्र बताते हैं कि उक्त बाबू ने डॉ. का निलंबन बहाल करने के लिए लाखों रुपए का लेन-देन किया है। उक्त बाबू को यह मालूम है कि विभाग के अधिकारी बिना पढ़े आदेशों-निर्देशों पर हस्ताक्षर करते हैं इसलिए उनसे यह आदेश पारित करा लिया गया। वहीं ऐसे ही एक मामले में सिविल अस्पताल पांढुर्णा जिला-छिंदवाड़ा के पूर्व बीएमओ डॉ. अनिल कड़वे आज भी निलंबित हैं। डॉ. कड़वे पर उनके बेटे विक्रम को एमबीबीएस में फर्जी तरीके से दाखिला दिलाने का आरोप है। अब वे डॉ. एनपी अग्रवाल की बहाली के मामले को लेकर न्यायालय पहुंचे हैं और अपनी बहाली उसी आधार पर कराने की मांग संबंधी याचिका दायर की है। इससे सरकार की जमकर फजीहत हो रही है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग के अफसर जिस तरह बाबू पर मेहरबान हैं उसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ रहा है।
छह माह बाद भी नहीं निकला आदेश
उक्त बाबू की दादागिरी का खामियाजा एक क्षेत्रीय संचालक भुगत रही हैं। दरअसल क्षेत्रीय संचालक इंदौर डॉ. लक्ष्मी बघेल की दो वेतनवृद्धि रोकने का आदेश दिया गया था। उन्होंने इस संबंध में प्रमुख सचिव से अपील की। इस मामले की सुनवाई विभाग की तत्कालीन सचिव सूरज डामोर ने की और उनकी वेतनवृद्धि रोकने के निर्देश को अमान्य कर दिया। सूरज डामोर को रिटायर हुए छह माह का अरसा बीत गया लेकिन अभी तक आदेश नहीं निकल पाया।
करोड़ों की रिकवरी कब तक
स्वास्थ्य विभाग में भर्राशाही का आलम यह है कि करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने वाले पूर्व संचालक योगीराज शर्मा से विभाग आज तक करोड़ों रुपए का रिकवरी नहीं कर पाया। दरअसल जनवरी 2014 को उनके खिलाफ दोबारा विभागीय जांच शुरू हुई तो वे कोर्ट चले गए। इस पर कोर्ट ने कहा कि शासन सही है। उसके बाद उनके खिलाफ विभागीय जांच हुई और उनके घर पर रिकवरी का नोटिस चस्पा किया गया। यही नहीं मामले की सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया में सरकार ने लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ आज दिनांक तक किसी भी मामले में एक भी एफआईआर नहीं हुई। जब दीनदयाल कार्ड छपाई मामले में एफआईआर की बारी आई तो वे फिर कोर्ट चले गए। इस पर कोर्ट ने याचिका वापस लेने का निर्देश दिया, लेकिन विभाग अभी तक ईओडब्ल्यू में एफआईआर की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया है। यही नहीं विभाग ने खानापूर्ति के लिए एक बाबू के हाथ कागज भेजकर ईओडब्ल्यू भेज दिया और लोकायुक्त को गलत जानकारी दी कि एफआईआर दर्ज कर दी गई है।
- अक्स ब्यूरो