ये अंधा कानून है!
01-Nov-2017 09:06 AM 1234957
एकतरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाकर सुशासन की स्थापना करने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार नेताओं, अफसरों और जजों को संरक्षण प्रदान करने के लिए एक ऐसा अध्यादेश लेकर आई है जिसे काला कानून नाम दिया गया है और जिसका सब ओर विरोध हो रहा है। क्या विपक्ष क्या सत्तापक्ष सभी इस बिल के खिलाफ हैं। खिलाफत होता देख सरकार बैकफुट पर आ गई है और उसने सरकारी कर्मचारियों और जजों के भ्रष्टाचार के रक्षा संबंधी अपराध कानून विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया है। इसका मतलब ये है कि अभी तत्काल इस विवादित विधेयक पर कोई चर्चा नहीं होने जा रही है। असल बात तो यह है कि सरकार का विवादित बिल अंतत: कचरे की टोकरी में ही जाएगा पर भाजपा की ठीक से फजीहत कराने के बाद ही। यह किसी चुनी हुई सरकार का बिल तो लगता नहीं बल्कि राजशाही के दौर का शाही फरमान जैसा नजर आता है। महारानी का जो अंदाज है उससे लगता भी यही है कि उन्होंने कोई शाही फरमान जारी कर दिया है। महारानी की सरकार पहले से ही विवादित है। वैसे भी देश की सबसे अलोकप्रिय राज्य सरकारों में राजस्थान की सरकार भी शामिल है जो अपने कामकाज के चलते बदनाम हो रही है। राजस्थान का दौरा कर लौटे उत्तर प्रदेश के एक आला अफसर ने बताया कि लोग अब अशोक गहलौत और उनकी स्वास्थ्य, शिक्षा से संबंधित योजनाओं को याद कर रहे हैं। जब खुद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार के मंत्री विधायक इस कथित बिल के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हों तो पार्टी का रुख भी समझा जा सकता है। वैसे महारानी ने समय भी खूब चुना है इस विवाद को राष्ट्रीय फलक पर चर्चा में लाने के लिए- भारत जैसे बड़े लोकतंत्रों में भ्रष्टाचार पर नकेल और बढ़ती पारदर्शिता के पीछे नागरिक आंदोलनों के साथ ही सरकारी प्रयासों की भी महती भूमिका रही है। ऐसे प्रयास भारत को महानतम लोकतंत्रों में बनाए रखने में महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अब भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा देने वाली भाजपा ही लगता है, देश से सुशासन को बाहर निकालने में जुट गई है। इस दिशा में राजस्थान की सरकार ने कदम बढ़ाया है। नए अध्यादेश के अनुसार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) एवं 190 (1) में संशोधन किया गया है। ये बिल सितंबर में लाए गए उस अध्यादेश की जगह लेगा जिसमें किसी जज, मजिस्ट्रेट या लोकसेवक के उस काम के खिलाफ सरकारी मंजूरी के बिना जांच पर प्रतिबंध लगाया गया है, अगर वह उसके आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने के दौरान किया गया है। यानी अब कोई भी मजिस्ट्रेट किसी लोकसेवक के खिलाफ तत्काल जांच के आदेश नहीं दे सकता। जांच के आदेश के लिए सक्षम प्राधिकारी को 180 दिन का समय दिया गया है। हालांकि 180 दिन में मंजूरी नहीं मिलती है तो इसे मंजूरी ही माना जाएगा। नए कानून में कई बातें समझ से परे हैं मसलन, जजों को पहले ही इस तरह की छूट मिली हुई है तो फिर उनके लिए नए सिरे से जरूरत क्यों? दूसरे, इसमें लोकसेवक भी स्पष्ट परिभाषित नहीं हैं। सीनियर एडवोकेट और सामाजिक कार्यकर्ता एके जैन का कहना है कि लोकसेवक बहुत ही विस्तृत शब्द है। बिना किसी स्पष्टता के लोकसेवक की परिभाषा में नगर पालिका के सफाईकर्मी से लेकर मुख्यमंत्री तक को शामिल किया जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि राजे सरकार ने ऐसा अंधा कानून क्यों बनाया है? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पहली बार इस कानून में पत्रकारों और भ्रष्ट आचरण का पर्दाफाश करने वाले दूसरे सामाजिक दबाव समूहों को भी जेल में बंद करने की धमकी दी गई है। हालांकि विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई है। लेकिन ये समझ से परे है कि अचानक भाजपा के थिंक टैंक को हुआ क्या है। एक के बाद एक लगातार वे काम क्यों प्राथमिकता से किए जा रहे हैं जो न व्यवहारिक हैं और न समय की जरूरत। क्या ये लगातार जीत से आया दंभ है या आने वाले समय को न पहचान पाने की अक्षमता। इसे कहते हैं अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात बचाने के लिए जब सारे घोड़े खोल चुके हो तो उस वक्त महारानी ने भी एक पत्थर तो जोर से उछाल ही दिया है। यह अंतत: मोदी के ही खाते में जाने वाला है। ठीक उसी तरह जैसे मध्य प्रदेश का व्यापम हो या छतीसगढ़ का अनाज घोटाला या फिर अन्य भाजपा सरकारों का कारनामा। यह सब मोदी के ही बहीखाते में दर्ज होता जा रहा है। भाजपा के नेता तो वसुंधरा राजे सरकार के इस फैसले के समय को लेकर हैरान है ही विपक्षी भी नहीं समझ पा रहे हैं। जिस तरह इस विवादित बिल को ड्राफ्ट किया गया है और जिस तरह मीडिया के पर कतरने वाले प्रावधान इसमें डाले गए हैं उससे यह सर्वोच्च न्यायलय में टिकने वाला भी नहीं है। यह संविधान विरोधी भी है। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^