17-Oct-2017 09:39 AM
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पिंकसिटी के नाम से मशहूर जयपुर के विकास के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण को मुख्य जिम्मेदार संस्थान माना जाता है। जेडीए की वेबसाइट पर लिखा है कि मेट्रोपोलिटन सिटी के तौर पर उभर रहे जयपुर का नियोजित, समग्र और समावेशी विकास उसका मिशन है। जेडीए दावा करता है कि उसके अधिकार क्षेत्र में 725 गांव और 3 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका है। जेडीए ही बताता है कि शहर के विस्तार और बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह एक सशक्त संस्था है। अपनी तारीफ में वह और भी बहुत कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लिखता है। जयपुर से बाहर वाले ये जानकारी पढ़ कर सोचते होंगे कि जेडीए कितनी महान संस्था है, लेकिन हकीकत क्या है, ये बयां करते हैं जयपुर के नींदड गांव में गले तक जमीन के अंदर गड़े लोग।
राजस्थान की राजधानी जयपुर से सटे गांव नींदड के सैकड़ों किसानों ने खुद को गड्ढे में गाड़ कर किसान आन्दोलन को एक नया रूप दिया है, वहीं ये तरीका यह भी बताता है कि जब आम आदमी की आवाज सरकारी संस्थाएं नहीं सुनती हैं, तो उन्हें क्या-क्या नहीं करना पड़ता है। इन किसानों ने अपने इस आन्दोलन को जमीन समाधि आंदोलन का नाम दिया है। किसानों ने उसी जमीन पर गड्ढे खोदकर अपना आन्दोलन शुरू किया, जिस जमीन को जयपुर विकास प्राधिकरण एक आवासीय योजना के लिए अधिग्रहित कर रही है। करीब 51 खोदे गए गड्ढों में बैठकर पुरुष और महिलाएं अपना विरोध दर्ज कराने लगे। इन लोगों का कहना है कि जब तक जयपुर विकास प्राधिकरण अधिग्रहण के अपने फैसले को नहीं बदलती और इस अधिग्रहण को रद्द नहीं करती, तब तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा। उधर नींदड बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नागेन्द्र सिंह शेखावत कहते हैं कि यह आन्दोलन अब थमने वाला नहीं है। अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी, तो हम इस आन्दोलन को आमरण अनशन में बदल देंगे।
जेडीए ने नींदड गांव की 1350 बीघा जमीन पर एक आवासीय योजना डेवलप करने की योजना बनाई है। वहीं, किसानों का कहना है कि एक तो उनके पास जमीन बहुत कम है और ये जमीन ही उनके जीने-कमाने का जरिया है, ऐसे में वे अपनी जमीन नहीं देंगे। किसानों का कहना है कि जयपुर विकास प्राधिकरण ने जमीन अधिग्रहण के लिए जो सर्वे किया है, वो सर्वे ही गलत है। इसी वजह से वे इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। इस योजना की वजह से नींदड गांव के करीब 20 ढाणी (टोला), 18 कॉलोनी और इस तरह तकरीबन 12 से 15 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं। नगेन्द्र सिंह शेखावत बताते हैं कि यहां के लोगों के पास मुश्किल से आधा बीघा से 1 बीघा जमीन है। यहां के लोग इसी जमीन पर खेती या पशुपालन कर अपना जीवनयापन करते हैं। ऐसे में अगर वह जमीन भी उनसे छिन जाएगी तो लोगों का जीवन तबाह हो जाएगा।
शेखावत बताते हैं कि अभी तक सिर्फ 274 बीघा जमीन ही किसानों ने सरेंडर की है। बाकी जमीन पर अभी तक जेडीए का कब्जा नहीं हुआ है। वे बताते हैं कि आन्दोलन शुरू होने के बाद जिन लोगों ने पहले जमीन सरेंडर की थी, वे भी अब जेडीए के विरोध में आ गए हैं। उनका कहना है कि हमारी कोई भी मांग मुआवजे से संबंधित नहीं है, हमें मुआवजा नहीं अपनी जमीन चाहिए। उन्होंने जेडीए पर ये भी आरोप लगाया कि जेडीए ने जमीन अधिग्रहण के लिए जो सर्वे किया है, वो किसानों के दादा-परदादा के नाम से किया है, क्योंकि जमाबन्दी में उनका ही नाम है। असलियत ये है कि परिवार बढऩे से जमीन का टुकड़ा छोटा होता चला गया। आज तो यहां के किसानों के पास बमुश्किल 1 बीघा जमीन ही है। इतनी कम जमीन होने के बाद भी अगर सरकार उसे अधिग्रहित कर लेती है तो फिर बेचारे किसान कहां जाएंगे? उन्होंने बताया कि ये सभी जमीन खेती की है और खेती की जमीन का अधिग्रहण भी गलत है। इसके लिए कम से कम 80 फीसदी किसानों की सहमति जरूरी है, जो जेडीए के पास नहीं है। हमारी मांग है कि इस अधिग्रहण को तत्काल निरस्त किया जाए। उनका कहना है कि सरकार उनकी खेती की जमीन जबर्दस्ती ले रही है। वे खेती नहीं करेंगी तो जिएंगे कैसे?
इस देश में किसानों की यह कैसी प्रगति
जब प्रधानमंत्री दिल्ली में कंपनी सेक्रेटरी की एक सभा में देश की आर्थिक स्थिति के गुलाबी आंकड़े पेश कर रहे थे, उसी वक्त दिल्ली से सटे नोएडा विकास प्राधिकरण में सैकड़ों किसान धरना दे रहे थे और दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर जयपुर में 50 से अधिक किसानों ने खुद को जीते जी गड्ढेे में गाड़ कर जयपुर विकास प्राधिकरण के खिलाफ आन्दोलन की मुनादी कर दी थी। तकरीबन उसी वक्त टीकमगढ़ में सैकड़ों किसानों को पुलिस नंगा कर के पीट रही थी। उधर, महाराष्ट्र में खेतों में दवा का छिड़काव करते हुए 18 किसानों की मौत हो गई और 70 अस्पताल में भर्ती हैं। इन घटनाओं के जरिए हम आपको देश के किसानों की बदहाल स्थिति बताना चाहते हैं। इस कहानी को पढऩे के बाद, आप खुद तय करें कि जय जवान, जय किसान का नारा लगाने वाले इस देश में आखिर किसकी जय है और किसकी पराजय है।
-जयपुर से आर.के. बिन्नानी