क्या हेडली का प्रत्यर्पण हो सकेगा
04-Feb-2013 10:27 AM 1234775

पाकिस्तानी मूल के अमरीकी नागरिक डेविड कोलमन हेडली को मुंबई और डेनमार्क में आतंकवादी हमले का दोषी पाते हुए 35 वर्ष की सजा सुनाई गई है। हेडली को मार्च 2010 में ही दोषी घोषित कर दिया था। मुंबई हमलों के लगभग 18 माह बाद उस पर दोष सिद्ध हो गया था। अक्टूबर 2009 में जब वह अमेरिका छोडऩे वाला था उसी समय उसे गिरफ्तार करके अमेरिकी खूफिया एजेंसी ने मुंबई हमलों में एक बड़ी कामयाबी हासिल की थी, किंतु अजमल कसाब की फांसी के अलावा भारत के खाते में मुंबई हमले से जुड़ी कोई बड़ी कामयाब चार वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी हासिल नहीं हुई है। हेडली के प्रत्यर्पण के प्रयास भी सफल नहीं हो सके हैं और अब तो अमेरिका की अदालत ने उसे 35 वर्ष के लिए जेल में डालने का हुक्म भी दे दिया है। ऐसे हालात में हेडली के प्रत्यर्पण की उम्मीद धूमिल हो चली है। मुंबई हमले से ही जुड़े एक अन्य आरोपी और डेविड हेडली के सहयोगी तहव्वुर राणा को भी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को साजो-सामान मुहैया कराने और डेनमार्क के अखबार पर हमले के षड्यंत्र में शामिल होने के गंभीर अपराध के लिए 14 वर्ष की सजा सुनाई गई है। ये दोनों अपराधी पाकिस्तान से जुड़े रहे हैं। डेविड हेडली पाकिस्तान में ही जन्मा है उसका मूल नाम दाउद सैय्यद गिलानी है। वह शिकागो में लंबे अरसे से निवास कर रहा था, लेकिन उसके संबंध पाकिस्तान के आतंकवादियों से थे कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेवा को भी वह खुफिया जानकारी मुहैया कराता था।
डेनमार्क में समाचार पत्र पर हमले में हेडली भी सहयोगी था इस समाचार पत्र ने पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून प्रकाशित कर मुस्लिम जगत की नाराजगी मोल ले ली थी इसके बाद सारी दुनिया में विरोध हुआ और उस समाचार पत्र के कार्यालय पर भी हमला हुआ। यह दोनों अपराधी भारत में भी लंबे समय से वांछित है। हालांकि राणा को 2009 में गिरफ्तार कर मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने के आरोपों से बरी करते हुए बाद में रिहाई दे दी थी, लेकिन भारतीय जांचकर्ताओं ने राणा को अभी तक क्लीनचिट नहीं दी है और उनकी मांग है उसको भी भारत प्रत्यर्पित किया जाए, लेकिन भारत प्रत्यर्पण का मामला इतना आसान नहीं है। राणा स्वास्थ्य कारणों से भी प्रत्यर्पण से बचने में कामयाब रहा है। जून 2012 में उसे दिल का दौरा पड़ा था और उसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था तभी से राणा के वकील अदालत द्वारा राणा के संबंध में नरमी बरतने का आग्रह करते रहे हैं। राणा की किडनी भी खराब है और उसे डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। इन्हीं कारणों से हेडली तथा राणा दोनों लगातार प्रत्यर्पण से बच रहे हैं वैसे भी जिस तरह से भारतीय एजेंसियों ने इन दोनों अपराधियों के खिलाफ अभियान चलाया है वह कोई ज्यादा प्रभावी नहीं है और अमेरिका की अदालतों से किसी भी अपराधी का प्रत्यर्पण कराना आसान नहीं है। हालांकि अबु सलेम के मामले मेें भारत को कामयाबी मिल गई थी, किंतु विदेशी अदालतों में सामान्य तौर पर प्रत्यर्पण के मामले लटका दिए जाते हैं। राणा और हेडली को सजा मिलने के बाद अब यह तय हो गया है कि अमेरिका में मुंबई हमलों से जुड़े सारे साजिशकर्ताओं को सजा दी जाएगी। इस मामले में कुल छह अन्य आरोपी भी शामिल हैं जिनमें लश्कर ए तैयबा का नेता हाशिम सईद प्रमुख है। एक आरोपी इलियास कश्मीरी के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने की खबर है जबकि हाशिम सईद उर्फ पाशा, साजिद मीर, अबु कहफा, मजहर इकबाल और मेजर इकबाल ये पांचों आरोपी पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हैं तथा इस बात की आशंका है कि आईएसआई इन पांचों आरोपियों की सहायता कर रही है।
-अरुण दीक्षित

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