17-Oct-2017 09:43 AM
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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र अमेठी, इन दिनों नेताओं के दौरों से थर्रा रहा है। एक नेता वहां से निकलता है, तो दूसरा नेता एंट्री मार देता है। खुद राहुल गांधी आधे मन से वहां का दौरा करके लौटे कि इसके तुरंत बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, अपनी फौज लेकर वहां पहुंच गए। इस दौरान स्मृति इरानी और योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ में थे। दरअसल, देश की राजनीति में इनदिनों भाजपा-कांग्रेस में एक-दूसरे को गढ़ में घेरने का खेल चल रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह राहुल गांधी के घर अमेठी में उन्हें घेरना चाहते हैं। राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र अमेठी, जो राहुल ही नहीं बल्कि गांधी-नेहरू परिवार का पुश्तैनी चुनाव क्षेत्र रहा है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बतौर सांसद राहुल गांधी के काम पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। आरोप है सांसद बनने के बाद भी वो क्षेत्र से नदारद रहे लेकिन, चुनाव हारने वाली स्मृति ईरानी को अमेठी के लोगों के हितों की चिंता सता रही है। अमेठी पहुंचकर अपने भाषण की शुरुआत करते हुए शाह ने कहा, अमेठी की जनता का धन्यवाद करने के लिए यहां उपस्थित हुआ हूं।Ó उन्होंने कहा कि जीता हुआ प्रत्याशी यहां लौटकर कभी नहीं आया, लेकिन हारे हुए प्रत्याशी ने इस इलाके को गले लगा लिया है। शायद यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के वक्त पांच में से चार सीटें भाजपा ने जीती हैं। अमित शाह ने अमेठी में विकास की कई योजनाओं की शुरुआत भी की लेकिन, ऐसा करते वक्त विकास के मॉडल पर फिर से राहुल गांधी पर हमला बोल दिया। अमित शाह ने कहा कि इस देश में विकास के दो मॉडल हैं एक मोदी मॉडल और दूसरा गांधी परिवार का मॉडल। गांधी परिवार के मॉडल से अमेठी के पिछड़ेपन को जोड़कर अमित शाह ने सीधे राहुल गांधी के परिवार को कठघड़े में खड़ा कर दिया।
अमित शाह अमेठी में उस वक्त थे जब राहुल गांधी गुजरात में भाजपा और संघ परिवार पर हमलावर हैं। विकास के नारे की हवा निकालने के लिए कांग्रेस ने विकास पागल हो गया हैÓ का नारा दिया है, लेकिन भाजपा विकास के मुद्दे से ध्यान भटकने देना नहीं चाहती। गुजरात पहुंचे राहुल को भाजपा उनके घर पहुंचकर आईना दिखा रही है और यह कोई और नहीं, सीधे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कर रहे हैं। भाजपा राहुल को गुजरात में गरजने देना नहीं चाहती। पार्टी को लगता है कि गुजरात में भाजपा कार्यकाल में हुए विकास के मुद्दे की हवा निकालने वाले राहुल का तोड़ जरूरी है। जवाब देने की तैयारी में ही राहुल को घेरा जा रहा है, आईना दिखाया जा रहा है और इसके लिए अमेठी से बेहतर जगह और क्या हो सकती है।
दरअसल, भाजपा अभी से ही 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लग गई है। लेकिन, इस रणनीति के तहत पार्टी ना सिर्फ अपने मजबूत किलों को बचाए रखने की रणनीति पर चल रही है बल्कि अपने विरोधियों के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है। एक-एक सीट पर नजर गड़ाए अमित शाह अमेठी और रायबरेली पर भी फोकस कर रहे हैं जिसे अब तक वॉक ओवर दे दिया जाता था। लेकिन अब राहुल को घेर कर अमित शाह ने एक बड़ा संदेश भी देने की कोशिश की है। राहुल गांधी भले ही कांग्रेस की लाइन ऑफ कमांड में दूसरे नंबर पर हों, लेकिन कांग्रेस के कामकाज को जानने-समझने वाले जानते हैं कि दरअसल आज की तारीख में व्यावहारिक अर्थों में वही कांग्रेस के शीर्ष नेता हैं। हालांकि राहुल गांधी की राजनीतिक समझदारी को लेकर राजनीतिक विश्लेषक और समीक्षक हमेशा संदेह में रहते हैं।
राहुल गांधी की चाल ढाल से लेकर हाव भाव तक तमाम तब्दीलियां नोटिस की जा सकती हैं। राहुल में सबसे बड़ा बदलाव ये देखने को मिला है कि वो आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रहे हैं। पहले वाले राहुल से तुलना करें तो तब वो ओवर कॉन्फिडेंस हुआ करते थे, अब हकीकत से रू-ब-रू लग रहे हैं। आत्मविश्वास का ये नमूना कुछ वैसे ही है जैसे 2014 के आम चुनाव के प्रचार के आखिरी दौर में नरेंद्र मोदी कहने लगे थे - वोट मुझे दीजिए भाइयो बहनों। इसके बाद तो मोदी सामने नजर आ रहे थे और भाजपा पीछे छूट जा रही थी, लेकिन यही बात लोगों को अच्छी लगी और उन्हें अच्छे दिनों के आने का यकीन भी हो गया। राहुल गांधी भी अब लोगों से उसी अंदाज में बात कर रहे हैं। हो सकता है अमेरिका में उनके उस बयान के बाद ऐसा हो रहा हो जिसमें उन्होंने कहा था - अगर पार्टी चाहती है तो वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने को तैयार हैं। अब तक राहुल के भाषण में सिर्फ सरकार की आलोचना वाले स्लोगन छाये रहते थे - सूट बूट की सरकार, फेयर एंड लवली स्कीम। कोई अपना प्रोग्राम नहीं नजर आता था। अब वो बता रहे हैं कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर जीएसटी की समीक्षा की जाएगी। रोजगार के इंतजाम पर जोर होगा और किसानों के हितों के लिए काम करेंगे। एक तरह से राहुल ने जीएसटी के बहाने व्यापारियों, रोजगार के बहाने युवाओं और किसानों की बात कर बड़े तबके पर फोकस किया है।
हाल ही में अमेरिका में दिए गए उनके भाषण को उनमें परिपक्वता आने के एक सबूत के तौर पर प्रचारित किया गया, लेकिन भाजपा और आरएसएस को महिला विरोधी बताने के उत्साह में वडोदरा की एक जनसभा में उन्होंने जो कहा, वह सेल्फ गोल मारने के अलावा कुछ और नहीं है।
भारत की राजनीति में भी अजीब गड़बड़ झाला है। ऐसा गड़बड़झाला जिसे सिर्फ देश के राजनेता ही समझ सकते हैं। जनता को तो आज तक न समझ में आ पाया है और न ही समझ में आने की उम्मीद है। गुजरात-हिमाचल प्रदेश के चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दल और इसके नेता एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा करने में जुट गए हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांगे्रस, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र के बहाने भाजपा को घेर रही है तो भाजपा राहुल गांधी को। राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा रहे हैं तो मोदी पूरी कांग्रेस को जमानत पर चल रही पार्टी बता रहे हैं। खास बात ये कि हर राजनीतिक दल और हर राजनेता सिर्फ विरोधी से ही सवाल पूछ रहा है। जवाब देने को कोई राजनीतिक दल तैयार नहीं। न अपने विरोधियों को और न अदालतों को। दिल्ली हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से एक बार फिर सवाल किया है। पूछा है कि सरकार छह सप्ताह में जांच करके बताए कि भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों को विदेशों से कितना चंदा मिला है? अदालत पहले भी अनेक बार पूछ चुकी है लेकिन जवाब है कि मिल ही नहीं रहा। सवाल यह है कि केन्द्र सरकार विदेशी चंदे की आवक के बारे में तथ्य छिपाना क्यों चाह रही है? क्या विदेशों से चंदा लेकर उसे सार्वजनिक नहीं करने को भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं माना जाए? विदेशी चंदा ही क्यों, देशी चंदे का हिसाब भी आज तक साफ नहीं हो पाया है। दरअसल, यह पूरा खेल इमोशन का है। पार्टियां जानती हैं कि जनता भाव से विभोर हो जाती है, इसलिए भाव दिखाया जाता है।
अर्थव्यवस्था चौपट: राहुल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात दौरे के दौरान केंद्र सरकार के फैसलों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी जैसे निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। बेरोजगारी की स्थिति गंभीर हो गई है, लेकिन सरकार किसी की सुन नहीं रही है। राहुल ने कहा कि अगर जीडीपी की वृद्धि दर पुरानी प्रणाली के अनुसार गिना जाए तो यह गिर कर 4.2 प्रतिशत पर आ गई है। उन्होंने कहा कि भारत की व्यवस्था जटिल है और ऐसे में यहां छोटे से छोटे निर्णय जनता की राय के आधार पर लिये जाने चाहिए पर सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी को बिना राय मशविरे के थोप दिया। जब कांग्रेस की सरकार आएगी तो हम जनता के मन की बात सुनेंगे।
स्थानीय निकाय चुनाव में प्रदर्शन से भाजपा उत्साहित
उधर महाराष्ट्र और गुजरात के स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने इस जीत पर खुशी जताते हुए कहा है कि जहां-जहां राहुल गांधी जाते हैं, वहां-वहां इसी तरह का परिणाम आता है। जावडेकर ने राहुल गांधी के गुजरात दौरे और वहां स्थानीय निकाय के चुनाव परिणाम में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन को लेकर व्यंग्य किया था। भाजपा राहुल गांधी पर चौतरफा हमला कर उनकी गुजरात में सक्रियता की धार को कुंद करना चाहती है। कोशिश है किसी न किसी बहाने उनको बैकफुट पर धकेला जाए। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के कैंपेन और उनकी टीम की सक्रियता भी भाजपा को चुभ रही है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की तरफ से राहुल गांधी की सक्रियता की कोशिश पर पानी फेरने की कोशिश की गई। कांग्रेस के कम जनाधार का हवाला देकर जावडेकर ने कहा कि राहुल गांधी का केवल ट्वीट पर राजनीति करना दिवालियापन है।
-इंद्रकुमार