17-Oct-2017 09:32 AM
1234803
करीब दो माह पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने अफसरों को राजस्व रिकार्ड दुरुस्त करने की हिदायत दी थी। रिकार्ड दुरुस्त न करने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की धमकी भी दी गई थी, लेकिन इन हिदायतों और धमकियों के बाद भी अफसरों ने आंकड़ेबाजी करके सरकार की मंशा पर पानी फेरने में कोई कोस कसर नहीं छोड़ी है। मुख्य सचिव ने जब पहली बार संभागवार राजस्व मामलों की समीक्षा की तो अफसरों ने आंकड़ेबाजी कर खूब वाहवाही लूटी, लेकिन स्थिति यह है कि रेवेन्यू कोर्ट में अभी भी 3,74,195 प्रकरण पेंडिंग हैं।
अब मुख्य सचिव दूसरी बार संभागों की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने पहली समीक्षा भोपाल और होशंगाबाद संभाग के राजस्व विभाग की तो अधिकारियों की आंकड़ेबाजी सामने आ गई। राजस्व मामलों को निपटाने में लेटलतीफी के चलते गैरतगंज के नायब तहसीलदार सुनील प्रभास सहित एक पटवारी को निलंबित करने के निर्देश मुख्य सचिव ने बैठक में ही दिए। वहीं नटेरन में एक तहसीलदार के बारह सौ केस पेंडिग चल रहे थे। उनसे जब पूछा गया कि इतने केस पेंडिंग क्यों तो उन्होंने कहा कि 286 मामले लंबित हैं। इस पर सीएस ने कहा कि आरसीएमएस में दर्ज नहीं किए होंगे। आगे से ध्यान रखे, वर्ना कार्यवाही होगी। मुख्य सचिव ने टीएण्डसीपी और राजस्व के समन्वय न होने के कारण लटके मामलों को पंद्रह दिन में निपटाने के निर्देश मुख्य सचिव ने दिए।
मुख्य सचिव ने अफसरों को कहा कि अविवादित नामांतरण के मामले निपटाने के लिए 15 नवंबर की समयसीमा है। अभी भी अधिकारी सुधार कर लें अभी माहौल बहुत सख्त है। नहीं सुधरे तो कड़ी कार्यवाही से कोई नहीं बचा पाएगा। ज्ञातव्य है कि प्रमुख सचिव राजस्व की टीम ने भोपाल संभाग के राजस्व न्यायालयों की जांच में व्यापक गड़बड़ी पकड़ी है। भोपाल में हद तो तब हो गई जब जांच अफसरों के सामने परसोरा के दो ग्रामीण पहुंच गए और शिकायत की कि पटवारी उनका नामांतरण चार माह से 40 हजार रुपए नहीं दिए जाने के कारण नहीं कर रहा है। मामले की तस्दीक किए जाने के बाद पटवारी विमलेश गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया है। भोपाल के हुजूर तहसील में गलत कैलकुलेशन कर डायवर्सन शुल्क कम निकाला गया। जिसमें रिकवरी निकाली जा रही है। वहीं 40 फीसदी केस बिना कारण निरस्त किए गए हैं। जांच दल ने माना है कि आवेदन खारिज करने से सरकार को नुकसान हुआ है। इसके बाद शहडोल संभाग की समीक्षा के दौरान भी अफसरों की कारस्तानी सामने आई है। इससे यह बात साफ हो गई है कि अफसर केवल आंकड़ेबाजी कर सरकार को संतुष्ट कर रहे हैं कि सब बेहतर चल रहा है।
इन कोर्ट की क्यों नहीं हुई जांच
भोपाल के संभागायुक्त व अपर आयुक्त कोर्ट में कुल 4818 मामले लंबित हैं। वहीं कलेक्टर, अपर कलेक्टर के कोर्ट में 466 मामले लंबित हैं। भोपाल संभाग के राजस्व कोर्ट में ये कोर्ट भी आते हैं, लेकिन न तो इनकी जांच की गई और न ही पेंडेंसी पर बैठक में चर्चा हुई। संभागायुक्त कोर्ट में तो वर्ष 2012 से एक अपील का मामला लंबित है। अभिषेक त्रिपाठी ने श्रीराम शरणम परिवार के विरुद्घ अपील दायर की है। इसी कोर्ट में 2012 में ही कमल सिंह ने भी अपील दायर की थी, कोमल बाई के खिलाफ। यह भी लंबित चल रहा है। राजस्व कोर्ट की खामियां तलाशते-तलाशते यह भी पता चला कि राजधानी में 53 मामले ऐसे हैं, जिनका रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा है। इसमें एसडीएम हुजूर 47, एमपी नगर 2, एसडीएम टीटी नगर के 4 मामले शामिल हैं।
215 राजस्व मामलों को अफसरों ने बिना सुने ही कर दिया खारिज
राजस्व मामलों को जल्द निपटाने की होड़ में राजस्व अधिकारियों ने कई मामले बिना सुने (अदम पैरवी) ही खारिज कर दिए। यह खुलासा विगत दिनों हुई राजस्व कोर्ट की जांच के दौरान हुआ है। राजधानी में ऐसे 215 मामले पाए गए हैं। 6 अक्टूबर को समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव बीपी सिंह ने ऐसा करने वाले राजस्व अधिकारियों को फटकार भी लगाई थी। अदम पैरवी के आधार पर मामलों का निराकरण करने के बजाय अधिकारियों को गुण-दोष के आधार पर और सुनवाई करके निर्णय लेना था। अदम पैरवी में मामले खारिज करने वालों में एसडीएम हुजूर 38, नायब तहसीलदार गोविंदपुरा 24, तहसीलदार एमपी नगर 19, बैरागढ़ एसडीएम 14 और हुजूर तहसीलदार 9 सबसे आगे हैं। समीक्षा में निराकृत मामलों पर अमल, 2 से 5 साल और उससे अधिक समय के लंबित मामले, धारा 59 व 172 में किए मामलों में वसूली, अविवादित नामांतरण, बंटवारा, निराकृत मामलों के रिकॉर्ड भेजने, पीठासीन अधिकारियों की राजस्व न्यायालय में बैठने के दिन, सीएम हेल्पलाइन, लोक सेवा गारंटी, नजूल लीज नवीनीकरण और सुप्रीम व हाईकोर्ट में लंबित मामलों की समीक्षा की गई।
-भोपाल से सुनील सिंह