30-May-2013 07:19 AM
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस में इस बार अभूतपूर्व एकता देखने को मिली। इसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं की हत्या से उपजे आक्रोश का प्रभाव कहें या फिर आगामी चुनाव की तैयारी की झलक, लेकिन इस

बार मध्यप्रदेश में कांग्रेसी अपेक्षाकृत ज्यादा संगठित दिखाई दिए। इसी कारण कांग्रेस द्वारा आयोजित एक दिवसीय बंद भी पहले की अपेक्षा ज्यादा सफल कहा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में हुई घटना का लाभ मध्यप्रदेश में भी मिल सकता है। किंतु इसके लिए एकता जरूरी है। शायद कांग्रेस को यह समझ में आ गया है। हालांकि इससे पहले ही कांग्रेस ने जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी स्वयं प्रदेश कांग्रेस के बड़े कार्यक्रमों में रुचि ले रहे हैं और उन्होंने नेताओं की गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है। समझा जाता है कि जून माह में कांग्रेस की कुछ महत्वपूर्ण बैठकें हो सकती हैं जिनमें आगामी रणनीति पर विचार किया जाएगा। चौथे चरण की परिवर्तन यात्रा में भी कांग्रेस को अच्छा रुझान देखने को मिला है। सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, मंडला, डिंडोरी और बुंदेलखंड के अन्य क्षेत्रों में परिवर्तन यात्रा के दौरान मतदाताओं और कार्यकर्ता का उत्साह देखकर कांग्रेसी नेताओं के मायूस चेहरों पर मुस्कान देखने को मिली है। बड़वानी की परिवर्तन यात्रा में केंद्रीय मंत्री जयराम स्वयं शामिल हुए थे इसके पीछे राहुल गांधी की रणनीति काम कर रही है। राहुल ने स्वयं आगे बढ़कर दिल्ली के नेताओं को पार्टी की पोजीशन के सही आंकलन में तैनात किया हुआ है ताकि उन तक अतिरंजित समाचार न पहुंचे। समझा जाता है कि बीके हरिप्रसाद, कमलनाथ सिंधिया और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गिज नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि चुनावी वर्ष में कांग्रेस ज्यादा एकजुट दिखाई दे।
केंद्रीय नेताओं के दौरे भी प्रदेश में बढ़ गए हैं। हाल ही में फिल्म अभिनेत्री और कांग्रेस नेत्री नगमा ने मध्यप्रदेश में होशंगाबाद में आयोजित अलंकरण सम्मान में शामिल होने के बाद बलात्कार पीडि़त छोटी बच्ची से मुलाकात कर सियासी गतिविधियों को हवा दी। नगमा ने जिस अंदाज में सरकार की आलोचना की उससे यही लगा कि कांग्रेस जीत के लिए सक्रिय हो चुकी है। लेकिन इस जीत में भी कई पेंच है कुछ नेता सुरक्षित सीटों पर आधिपत्य जमाने के लिए मनमानी पदयात्रा कर रहे हैं। ऐसे ही एक नेता महेंद्र सिंह चौहान ने नरेगा विधानसभा क्षेत्र में पदयात्रा निकाली जिसके विरोध में उनकी पदयात्रा के दौरान ही पर्चा बंट गया। हालांकि बाद में स्वाभाविक रूप से इस पर्चे को भाजपा की साजिश करार दिया गया। लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि सुनील सूद के समर्थकों ने इस पदयात्रा का पहले ही विरोध किया था जब चौहान नहीं माने तो उन्होंने कार्यकर्ताओं को भड़काने के लिए पर्चा बांट दिया। इस घटनाक्रम से पता चलता है कि कांग्रेस में अंदरूनी राजनीति तेजी से चल रही है। इसका एक उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांतिलाल भूरिया ने एक कार्यकर्ता को जमकर फटकार लगाई इस कार्यकर्ता का कहना था कि पद नहीं दोगे तो कौन काम करेगा। लेकिन भूरिया की इस डांट का कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। इस घटना के बाद ही अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ नेताओं ने भूरिया से भोपाल में 3 सीटें अल्पसंख्यकों को दिए जाने की मांग की थी जिसे लेकर भूरिया के निवास पर ही विवाद शुरू हो गया था। जमकर नारेबाजी भी होने लगी जब मीडिया वहां पहुंचा तो भूरिया दोनों गुटों को शांत करते नजर आए। कांग्रेस महासचिव वीके हरिप्रसाद भी इन घटनाओं पर खासे चिंतित दिखाई दिए हैं। माना जाता है कि नरेगा में जन जागरण पद यात्रा कर रहे चौहान को नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह का भी समर्थन था क्योंकि अजय सिंह ने ही उनकी यात्रा का शुभारंभ किया था। इस प्रकरण को अब लक्ष्मण सिंह के उस बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में इलाकेदारी बंद होनी चाहिए।
इस बीच मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा को लेकर कांग्रेस में एक बार फिर खींचतान देखने में आई है। कांग्रेस के कुछ नेता चाहते हैं कि प्रमुख विपक्ष पार्टी होने के नाते प्रदेश में कांग्रेस को भावी मुख्यमंत्री घोषित करके चुनाव लडऩा चाहिए। वहीं कुछ नेता इससे सहमत नहीं हैं। हाल ही में एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि बूथ स्तर तक की बात किए बगैरद नेतृज्त्व की बात करना बेमानी है।