विधायकों को छह माह का अल्टिमेटम
17-Oct-2017 09:03 AM 1234771
आगामी विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर मिशन 2018 में जुटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा विधायकों को अल्टीमेटम दिया है कि वे छह माह के अंदर अपनी परफॉमेंस सुधार लें वर्ना टिकट कटना तय है। दरअसल, विधायकों के काम का सर्वे कराने के बाद सीएम शिवराज सिंह ने विगत दिनों विधायकों के साथ वन टू वन की। सीएम ने वन टू वन में विधायकों को उनके काम का आंकलन दिखाया तो उनके क्षेत्र की सर्वे रिपोर्ट भी उन्हें दिखाई। जिन विधायकों का परफॉर्मेंस ठीक नहीं है सीएम ने उन्हें छह महीने में काम सुधारने की चेतावनी भी दी। जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने विधायकों को निर्देश दिया था कि वे सरकारी योजनाओं की मानिटरिंग करें। लेकिन उसके बाद भी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की गति धीमी होने के कारण सरकार ने विधायकों के काम को लेकर सर्वे कराया था। सर्वे रिपोर्ट में अधिकांश विधायकों की परफॉमेंस खराब बताई गई है। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों से वन-टू-वन चर्चा कर उन्हें उनकी स्थिति से अवगत कराया। सीएम ने हर विधायक को दस मिनट दिए। सूत्रों की माने तो सीएम ने विधायकों को परफॉर्मेंस रिपोर्ट में आर्इं उनकी कमियां बताई और उन्हें सुधारने की नसीहत दी। बताया जाता है कि सर्वे में कई विधायकों से कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात सामने आई है। सीएम ने विधायकों को नसीहत दी कि वे अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे और कार्यकर्ताओं के कामों को पहली प्राथमिकता दें। ज्ञातव्य है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस साल 29 नवंबर को प्रदेश की कमान संभालते हुए 12 साल पूरे हो जाएंगे। उनके 12 साल के कार्यकाल को पार्टी संगठन और सरकार द्वारा आगामी विधानसभा के आम चुनाव के मद्देनजर बेमिसाल 12 साल का नारा तैयार किया गया है। पार्टी द्वारा इस दौरान बड़ा आयोजन कर चुनावी शंखनाद करने की तैयारी की जा रही है। बेमिसाल 12 सालÓ शिवराज के इस कार्यकाल को लेकर पूरे प्रदेश में भाजपा संगठन द्वारा एक सर्वे भी कराया जा रहा है जिसमें क्षेत्र की मैदानी हकीकत से लेकर स्कूलों से लेकर महाविद्यालयों में मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी भी एकत्र कराई जा रही है। इसमें मौजूदा विधायकों की स्थिति सहित विपक्षी दल के भावी प्रत्याशी के बारे में भी पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। पार्टी द्वारा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। यही वजह है कि वर्तमान में पार्टी और सरकार को लेकर लोगों में क्या सोच है इसको लेकर हर दो माह में सर्वे कराया जा रहा है। अगले माह श्री चौहान अपने सीएम रहने के 12 साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। पार्टी इस अवसर को बेहतर तरीके से भुनाना चाहती है। उसकी सोच है कि इसी दौरान सीएम मिशन 2018 के लिए चुनावी शंखनाद कर दें। पार्टी इससे पहले पूरे प्रदेश की तस्वीर से भी रूबरू होना चाहती है। इसके मद्देनजर सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के राजनीतिक हालात पर एक रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। इसमें मौजूदा विधायक के बारे में स्पष्ट राय होगी कि उसकी स्थिति चुनाव जीतने लायक है या नहीं। यदि कमजोर स्थिति है तो क्या उसे सुधारा जा सकता है अथवा नहीं। बहुत बुरी हालत है तो विकल्प क्या होगा, इस बारे में विस्तार से पड़ताल करवाई जा रही है। सभी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस किन क्षेत्रों से किसे प्रत्याशी बना सकती है। ऐसे संभावित प्रत्याशियों की सूची तैयार कर भाजपा अपनी रणनीति तैयार करेगी। जैसे-जैसे 2018 का समय निकट आता आ रहा है सरकार अपने कामों के प्रदर्शन की ओर गंभीरता दिखाने की तैयारी कर रही है। उसी के तहत जनता के सामने जल्द ही किए गए कामों को दिखाने के लिए लोकार्पण और भूमिपूजन के कार्यक्रम सीएम और उनके मंत्रियों द्वारा किए जाने हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस संबंध में निर्देश भी जारी हो गए हैं। ऐसे में सरकार की मंशा है कि विधायक अभी से अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे ताकि मिशन 2018 को फतह करने में किसी प्रकार की कोई समस्या न आए। भाजपा का मिशन-2018 चुनौतियों की भरमार 2018 में मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे- वैसे प्रदेश में राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है। वैसे तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी बीते 14 सालों से सत्ता में है, लेकिन शिवराज शासन की अगर बात की जाए तो विगत 12 वर्षों से प्रदेश की बागडोर उनके हाथों में है। इन बारह सालों में शिवराज सिंह सरकार के नाम कई उपलब्धियां रहीं तो कुछ दाग भी उसके दामन पर लगे। अगर उपलब्धियों की बात की जाए तो उनकी सबसे बड़ी सफलता मप्र के माथे से बीमारू राज्य का तमगा हटाना रहा, लेकिन बेरोजागारी, भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है। प्रदेश में अवैध खनन ने भी सरकार की साख ही नहीं राज्य के राजस्व पर भी गहरा वार किया है। अगर सरकार की नाकामयाबियों के कारणों को टटोला जाए तो बात प्रदेश की नौकरशाही पर आकर रुक जाती है। ऐसे में विपक्ष इसे मुख्यमंत्री की नाकामी मानता है। इन सारी चुनौतियों से मुख्यमंत्री को स्वयं निपटना होगा। - भोपाल से अजयधीर
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