क्या लौटेगी एबीवीपी की साख
17-Oct-2017 08:22 AM 1234806
छह साल बाद प्रदेश सरकार ने कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने जा रही है। सरकार ने चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया है। सरकार के निर्णय के बाद प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में छात्र संगठनों में हलचल शुरू हो गई है। इस बार के चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) की छात्र संगठन छात्र युवा संघर्ष समिति चुनाव में ताल ठोकेगी। इससे मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं, लेकिन इन चुनावों में एबीवीपी की साख दांव पर है। दरअसल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), राजस्थान, ओडीशा और चंडीगढ़ के छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी की हार से देशभर के कैंपस में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। ऐसे में भाजपा को मप्र में होने जा रहे छात्रसंघ चुनाव में साख लौटने की आस जगी है। अगर देखा जाए तो पिछले 14 साल में प्रदेश में एबीवीपी का तेजी से विस्तार हुआ है। संगठन निरंतर कालेजों में सक्रिय रहा है। इस कारण संगठन के पदाधिकारियों का दावा है कि प्रदेश के कालेजों में एबीवीपी का परचम लहराएगा। 1987 में आखिरी बार प्रत्यक्ष रूप से चुनाव हुए। 2002 तक अप्रत्यक्ष रूप से हुए। 2003 में कांग्रेस सरकार ने झगड़े के कारण प्रतिबंध लगा दिया। 2005 में फिर से मेरिट के आधार पर चुनाव होना शुरू हुए। 2006 में उज्जैन के माधव कॉलेज में प्रोफेसर सबरवाल कांड होने से 2007 से चुनाव बंद हुए। 2010-11 और 2011-12 में आखिरी बार चुनाव हुए। राज्य सरकार द्वारा सत्र 2017-18 के लिए छात्रसंघ चुनाव की तारीख घोषित होते ही छात्र संगठनों ने तैयारी शुरू कर दी है। संगठनों ने एजेंडों पर काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि, प्रत्यक्ष के बजाए अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की घोषणा से छात्र संगठन नाराज हैं। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का कहना है कि इस समय कॉलेजों में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर झुकाव वाले प्राचार्य ज्यादा है। ऐसी स्थिति में दूसरे छात्र संगठनों के साथ कितना न्याय हो सकेगा फिलहाल यह कहना संभव नहीं है। खासकर एनएसयूआई को इस बात का डर है कि कॉलेज प्रबंधन उन्हें सहयोग नहीं करेगा। यह चुनाव प्रत्येक कक्षा के कक्षा-प्रतिनिधि के लिए एवं प्रत्येक कॉलेज के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव एवं सह-सचिव पदों के लिए होंगे। राज्य शासन के निर्णय अनुसार सभी पदों पर छात्राओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण रहेगा। उच्च शिक्षा विभाग ने गृह विभाग के परामर्श से छात्रसंघ चुनाव की आचरण संहिता एवं रूप-रेखा तैयार की है। उच्च शिक्षा विभाग के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभिन्न न्यायालयीन प्रकरणों में जारी मार्गदर्शी सिद्धांत एवं लिंगदोह समिति की अनुशंसाओं के आधार पर छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया तैयार की है। एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रफुल्ल अकांत कहते हैं कि इसमें भी शत-प्रतिशत छात्रों को वोटिंग का अधिकार मिलेगा। कॉलेज में एडमिशन लेने वाले हर छात्र को अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलेगा। एबीवीपी की मांग रही है कि प्रत्यक्ष प्रणाली से ही हो, लेकिन कुछ न होने से कुछ बेहतर है। प्रत्यक्ष प्रणाली के लिए आगे भी संघर्ष करते रहेंगे। उधर एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी कहते हैं कि सरकार और एबीवीपी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने से डर रही है। इसमें भी सरकार का षड्यंत्र है। छात्रों की हमेशा से मांग रही है कि छात्रसंघ का गठन प्रत्यक्ष प्रणाली से ही होगा। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है, लेकिन विश्वविद्यालयों के छात्रों को दूर करके उनके साथ अन्याय किया है। छात्राओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण छात्रसंघ चुनाव में छात्राओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण रखा गया है। प्रदेश के कॉलेजों में होने वाले छात्र संघ चुनाव में अगर किसी सेक्शन में तीन से कम छात्राएं हैं तो वहां महिलाओं का 50 फीसदी आरक्षण वाला नियम लागू नहीं होगा। यह ओपन फॉर होगा यानि कोई भी चुनाव में अपनी उम्मीदवारी कर सकता है। कॉलेजों में 30 अक्टूबर को छात्र संघ चुनाव होना है। उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अगर किसी कॉलेज में 30 सेक्शन हैं तो उनमें से 15 सेक्शन छात्राओं के लिए आरक्षित होंगे। लेकिन यह देखा जाएगा कि अगर किसी सेक्शन में तीन से कम छात्राएं हैं तो उसे लॉटरी से बाहर कर दिया जाएगा। उक्त सेक्शन में कोई भी चुनाव के लिए खड़ा हो सकता है। राज्यपाल से हरी झंडी मिलने के बाद इसकी अधिकारिक घोषणा की गई है। इसमें कॉलेज के छात्रों को कक्षा स्तर पर ही मतदान कर कक्षा प्रतिनिधि चुनने की आजादी रहेगी। पदाधिकारियों के चुनाव में सीआर मुख्य भूमिका में रहेेंगे। दावेदारी व मतदान का अधिकार सिर्फ सीआर के पास होगा। प्रक्रिया 23 अक्टूबर से शुरू होगी। 30 को मतदान, मतगणना एवं निर्णयों की घोषणा होगी। उधर, एनएसयूआई का आरोप है कि सरकार विवि के छात्रों को भूल गई है। -विशाल गर्ग
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^