30-May-2013 07:14 AM
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दो दशक पहले जब संजय दत्त सलाखों के पीछे गए थे उस वक्त सारे देश में मुंबई बम ब्लास्ट की दहशत देखी जा सकती थी। लेकिन तब भी इस देश ने संजय को एक भटका हुआ नौजवान ही माना। इस

सच्चाई के बावजूद कि संजय दत्त की दाउद इब्राहिम से नजदीकी थी जिसने मुंबई में मासूम लोगों को मौत की नींद सुलाया था। संजय दत्त मुंबई बम कांड में शामिल नहीं थे लेकिन वे भयभीत थे उन्हें डर था कि उनके परिवार को मार दिया जाएगा। इसीलिए उन्होंने माफिया डॉन के मार्फत एके-47 राइफल हासिल की और अपने परिवार को सुरक्षित कर लिया। लेकिन यह जवाब आज तक नहीं मिला कि संजय दत्त ने इस रायफल से किन लोगों को मारने की प्लानिंग की थी क्या उन लोगों को जो कथित रूप से उनके परिवार पर हमला करने वाले थे या फिर उन लोगों को जिन्हें यह मालूम ही नहीं है कि उनकी दुश्मनी किनसे है। इसीलिए अदालत में जब संजय दत्त से इस घातक विनाशक हथियार को रखने का कारण पूछा गया तो वे कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। सिवाय इसके कि उन्हें अपने परिवार की फिक्र है। परिवार की फिक्र में देश और समाज को भुलाना, देश के कानून की मखौल उड़ाना, उन लोगों से सांठगांठ रखना जो देश को तोडऩे की साजिश रच रहे हैं-संजय दत्त को महंगा पड़ा। आज वे एक बार फिर जेल की सलाखों के पीछे हैं। पिछली बार 18 माह तक जेल काटी थी इस बार लंबी यात्रा पर गए हैं। शायद जेल में यह पुनरागमन उन्हें सोचने विचारने और मनन करने को प्रेरित करेगा।
संजय दत्त अभिनेता बहुत शानदार हैं लेकिन उतने ही भावुक भी हैं। फ्रायड का मनोविज्ञान कहता है कि भावुक लोग कई बार भयंकर अपराधी भी हो सकते हैं। संजय दत्त के जीवन को पलटकर देखें तो उनकी परवरिश के दौरान जो परिस्थतियां उत्पन्न हुई उनके चलते वे किशोरावस्था में ही भटक गए थे। मां की कैंसर से मृत्यु, पिता का टूट जाना, बहनों के प्रति पिता की जिम्मेदारी और इन सबके बीच संजय दत्त का अकेलापन। सुनील दत्त के जीवन में नर्गिस के बाद कोई दूसरी स्त्री नहीं आई। वे नर्गिस को बेतहाशा चाहते थे और उनकी मौत के बाद अंदर ही अंदर घुटन महसूस करने लगे थे। इस घुटन का असर परिवार पर भी आया। उनका इकलौता पुत्र ड्रग्स लेने लगा। ड्रग्स की लत अपराध की दुनिया में खींच ले जाती है संजय दत्त के साथ भी यही हुआ। दाउद इब्राहिम से उनकी दोस्ती बहुत पुरानी है। कहा तो यहां तक जाता है कि जेल से बाहर आने के बाद भी संजय दत्त ने दाउद इब्राहिम से कई बार बात की। इस बात की रिकार्डिंग भी चैनलों पर सुनाई गई थी। क्या यह सच था? यदि हां तो एक बेमिसाल अभिनेता के जीवन का यह स्याह पहलू ही कहा जाएगा। जिस अपराध की दुनिया में अंधेरा ही अंधेरा है वहां बार-बार लौटना कहीं न कहीं मनोवैज्ञानिक भटकन का ही परिणाम है। संजय दत्त कभी भी संतुलित नहीं दिखे उस दौर में भी नहीं जब अपनी पत्नी को कैंसर की लड़ाई में हारने के बाद वे एक बार फिर से माधुरी दीक्षित की तरफ आकर्षित हो गए थे और दोनों बहुत गहराई से एक-दूसरे से जुड़े बताए जाते थे, इस जुड़ाव के बावजूद संजय दत्त के अवचेतन में बैठा अपराधी सुधरने को तैयार नहीं था। कहीं न कहीं उन्हें यह गुमान था कि उनका रुतबा इतना है कि वे सबकुछ कर सकते हैं। एके-47 तो क्या तोप भी खरीद सकते हैं। इसी गुमान में उन्होंने दाउद इब्राहिम से अपनी दोस्ती कायम रखी जबकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि दाउद इब्राहिम का इतिहास क्या है और वह किस तरह भारत की अस्मिता को घायल करने का इरादा रखता है।
बहरहाल अब संजय एक बार फिर सलाखों के पीछे हैं। लगभग 3 सौ करोड़ रुपए का दांव फिल्म जगत ने उनके पीछे लगा रखा था अब यह दांव उल्टा पड़ गया। जितनी अधिक शूटिंग वे कर सकते थे उतनी उन्होंने दिन-रात मेहनत करके की है। जेल जाने से पहले वे हफ्तों सोएं नहीं हैं। अपने किए का पश्चाताप उनके चेहरे पर है। लेकिन उनके शुभचिंतकों से कहीं ज्यादा गमगीन वे लोग हैं जो संजय दत्त की फिल्मों में फायनेंस करते थे। संजय दत्त की फिल्में कमाई के मामले में टॉप अभिनेताओं से कहीं बेहतर साबित होती हैं। अब देखना यह है कि बाकी अवधि के बाद संजय दत्त जब जेल से बाहर आएंगे तो उन्हें फिल्म इंडस्ट्री किस तरह से अपने में समाहित करती है। वैसे फिल्मी दुनिया में भी अपराधियों की कमी नहीं है। सलमान खान, सैफ अली खान जैसे अभिनेताओं पर कई मुकदमें चल रहे हैं। 2009 में शाइनी आहूजा बलात्कार के आरोप में जेल जा चुके हैं।
आदित्य पंचोली पर भी अपनी नौकरानी से बलात्कार का आरोप लगा था। मधुर भंडारकर और मॉडल प्रीति जैन का मामला भी सभी को जुबानी याद है। ऐसे कई अभिनेता हैं और अभिनेत्रियां भी हैं जिन्होंने छोटे-बड़े अपराध किए हैं बहुतों के मामले पेंडिंग हैं। प्रश्न यह भी है कि जो सख्ती संजय दत्त के साथ बरती गई क्या वैसी ही सख्ती अन्य अभिनेताओं के साथ भी बरती जाएगी। संजय दत्त के बाद अब कौन सा अभिनेता जेल जाएगा क्या शाइनी आहूजा, सलमान खान, सैफ अली खान को भी सजा होगी। इन सब के बावजूद सुकून इस बात का है कि संजय दत्त ने अपनी गलती मान ली है। उन्होंने स्वीकारा है कि उनके कदम बहक गए थे। देखना है यह परिवर्तन कब तक कायम रहता है।