03-Oct-2017 08:46 AM
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करीब छह महीने पहले यूपी के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद यह कहा जाने लगा था कि उत्तर प्रदेश में योगीराज 2019 में बनने वाली केंद्र सरकार का भविष्य तय करेगा, लेकिन क्या योगी कार्ड भाजपा को सफलता दिला पायेगा या यह मोदी को भारी पड़ेगा। अभी कुछ कहना कठिन है, लेकिन अपनी सत्ता के करीब छह माह में योगी सरकार ने जिस तरह से काम किया है उससे भाजपा के लिए स्थितियां आसान नहीं दिखती हैं।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि वह तेजी से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन क्या सरकार को मालूम है कि यह लक्ष्य एवरेस्ट की चढ़ाई चढऩे जैसा है। भाजपा ने वादा किया था कि वह किसानों के कर्ज माफ करेगी। इस मामले पर उनकी सरकार कामयाब दिखती है। कर्ज माफी के प्रमाण पत्र गांवों में बांटे जा रहे हैं। इसका लाभ किसानों को मिला है। यह अलग बात है कि पार्टी ने जो वादा किया था, उसका अक्षरश: पालन नहीं किया। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि पूरा फसली ऋण माफ किया जायेगा, लेकिन कर्ज माफी सिर्फ एक लाख रुपये तक हुई है। पार्टी अपनी उपलब्धियों में एक और बड़ा मुद्दा बताती है वह है गेहूं की खरीद। राज्य सरकार ने इस बार किसानों का पूरा गेहूं खरीदा। दलालों को इस खरीद से बाहर कर दिया, लेकिन क्या इन दो उपलब्धियों के बल पर पार्टी उन चुनौतियों से जूझ पायेगी, जो सरकार बनते ही उसके सिर पर आ गिरी हैं, ऐसा लगता नहीं है।
सबसे बड़ी चुनौती तो कानून व्यवस्था को लेकर है, जिस पर भाजपा ने बड़े-बड़े दावे और वादे किये थे। पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि गुंडे प्रदेश छोड़कर भाग जायेंगे, लड़कियों की सुरक्षा होगी। छह माह बीतने को है, लेकिन इस मोर्चे पर अभी तक परिणाम बहुत सकारात्मक नहीं आये हैं। आपराधिक वारदातें हो रही हैं, लड़कियों से छेड़छाड़ की घटनाएं रुकी नहीं हैं। साफ है कि सत्ता की हनक अभी तक अपराधियों के कानों में नहीं गूंजी है। इसके विपरीत पुलिस पर गंभीर आरोप हैं। यह आरोप और किसी ने नहीं भाजपा के विधायक और सांसद लगा रहे हैं।
सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाये। लेकिन व्यवहारिक राजनीति में वह कदम भारी पड़ रहे हैं। अवैध खनन की शिकायतें पिछले दस वर्षों से आ रही हैं। मायावती और अखिलेश सरकार ने अपने-अपने चहेतों को जमकर खनन के पट्टे बांटें। आरोप यह लगे कि इसमें भारी धांधली की गई है। वास्तव में उत्तर प्रदेश में अवैध खनन उगाही का एक धंधा बन गया है।
राज्य सरकार ने भू-माफियाओं के खिलाफ एक अभियान चलाया है। यह अभियान प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक चल रहा है। लेकिन इस अभियान को अधिकारियों ने पलीता लगा दिया है। उन गरीबों के पास नोटिस भेजे जाने लगे, जिन्होंने ग्राम सभा की जमीन पर कभी मकान बना लिये थे।
गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत का मामला इसी लूट तंत्र की एक कड़ी भर है। बिना कमीशन के न दवाएं पहुंच रही हैं, न रूई, पट्टी और आक्सीजन। वास्तव में भ्रष्टाचार तो हमेशा रहा है। लेकिन पिछले 15 वर्षों में इस बेईमानी को और भी मजबूती दे दी गई। जांच से यह साफ हो गया कि आक्सीजन का भुगतान इसलिए नहीं हो पा रहा था, क्योंकि बिना कमीशन के कोई भुगतान यहां होते ही नहीं। योगी सरकार जनहित के काम करना चाहती है, लेकिन उसने जो मार्ग पकड़ा है वह कंटकाकीर्ण है। पार्टी के तमाम विधायक और सांसद किनारे लग गये हैं। अधिकारियों पर भरोसा ज्यादा है, उनसे निजात पाने के रास्ते पूछे जा रहे हैं। जब-जब इस तरह के प्रयास हुए है, तब तब असफलता ही हाथ लगी है।
योगी की उपलब्धि छह माह में 430 एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि उनके राज में उत्तर प्रदेश की हालत में सुधार हुआ है और यहां अपराध में कमी आई है। आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के पहले छह महीने का लेखा जोखा पेश करते हुए अपराध पर नकेल कसने, राज्य में बिजली की स्थिति में सुधार, भू-माफिया, डिजिटल इंडिया समेत कई मुद्दे पर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने बताया कि पिछले छह महीने में 430 एनकाउंटर हुए। मेरठ में 193, आगरा में 84 तो बरेली में 60 एनकाउंटर हुए। 17 दुर्दांत अपराधी ढेर किए गए। 1106 अपराधी गिरफ्तार किए गए। छह महीने के कार्यकाल के दौरान हर जिले में भू-माफिया टास्क फोर्स स्थापित करके 8,038.38 हेक्टेयर जमीन भू-माफिया के कब्जे से मुक्त कराई गई। 1,434 भूमाफिया चिह्नित भी किए गए। उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होगी।
द्यमधु आलोक निगम