छवि में क्या रखा है...
17-Oct-2017 09:45 AM 1234803
शेक्सपीयर ने लिखा है - नाम में क्या है? लेकिन आजकल नाम और छवि को ही सबसे अधिक महत्व दिया जा रहा है। इन दिनों उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छवि बदलने की सलाह दी जा रही है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ये सलाह एक किताब में दी गयी है। ये किताब लिखी है संघमित्रा मौर्य ने जो योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय तक मायावती के साथ रहे लेकिन चुनावों से पहले उन्होंने बीएसपी छोड़ कर भाजपा ज्वाइन कर ली। सवाल ये है कि अगर योगी आदित्यनाथ अपनी छवि बदलने की कोशिश भी करें तो किसे और क्या फायदा होगा? कहीं आडवाणी बन जाने का खतरा तो नहीं? चमचमाता प्रचार तंत्र योगी सरकार की कुछ ऐसी तस्वीर पेश कर रहा है जैसे कुछ समय पहले तक अखिलेश सरकार की पेश कर रहा था। एलसीडी लगी गाडियां और होर्डिंग दिन में भी अपनी चमक बिखेरते सरकार का प्रचार कर रहे हैं। प्रचार में ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे 6 माह में ही योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश का कायाकल्प कर दिया हो। सरकार खुद ऐसी रिपोर्ट पेश कर रही है जिससे लग रहा है कि वह अपनी पीठ खुद थपथपा रही हो। योगी सरकार ने अभी तक एक भी ऐसा काम नहीं किया है जो इस सरकार की अपनी सोच को दिखा सके। यह सच है कि उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है। यहां 6 माह में बदलाव दिखना बहुत मुश्किल काम है। पर 6 माह में योगी सरकार को ऐसा कोई काम करना चाहिये था जिससे जनता को यह लगता कि यह सरकार कुछ अलग करना चाहती है। योगी सरकार ने जमीनी स्तर पर एक भी ऐसे काम की शुरुआत नहीं कि है जो इस सरकार की पहचान बन सके। उत्तर प्रदेश के विकास की एक भी योजना धरातल पर उतरते नहीं दिख रही है। उत्तर प्रदेश के लोगों को रोजगार और दूसरी विकास योजनाओं का इंतजार है। जमीनी स्तर पर इस तरह का कोई प्लान सामने नहीं दिख रहा है। प्रशासनिक रूप से योगी सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे जनता को राहत पहुंचे। भ्रष्टाचार से लेकर अपराध तक बढ़ा हुआ है। सरकार की गलत नीतियों के कारण मंहगाई बढ़ रही है। सरकार की खदान नीति न स्पष्ट होने से बालू और मौरंग जैसी जरूरीं चीजों की कीमत कई गुना बढ़ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केवल भाजपा के पोस्टर ब्वायÓ बन कर रह गये हैं। भाजपा उनको हिन्दुत्व का चेहरा बनाकर वोट हासिल करने के लिये प्रयोग कर रही है। अपने भगवा वस्त्रों के कारण वह भीड़ में अलग दिखते हैं। भाजपा अखिलेश यादव की आलोचना करते कई मुख्यमंत्री होने का आरोप लगाती थी। आज भाजपा के 3 घोषित मुख्यमंत्री भी प्रदेश को कोई अलग पहचान नहीं दे पा रहे हैं। जानकार लोग कहते हैं कि भाजपा के 3 मुख्यमंत्रियों के ऊपर भी रिमोट कंट्रोल है। इस वजह से केवल योगी आदित्यनाथ ही नहीं दूसरे 2 उप मुख्यमंत्री डाक्टर दिनेश शर्मा और केशव मौर्य अपनी मर्जी का कुछ कर नहीं पा रहे हैं। भाजपा कांग्रेस के जिस रिमोट कंट्रोल की आलोचना करती थी, आज वही रिमोट कंट्रोल वह अपनी पार्टी में प्रयोग कर रही है। भाजपा योगी आदित्यनाथ का उपयोग उत्तर प्रदेश के बाहर दूसरे प्रदेशों में करने का काम कर रही है। जिससे हिन्दुत्व के वोट हासिल किये जा सके। भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर विकास का जो सपना दिखाया था वह साकार होते नहीं दिख रहा। नोटबंदी और जीएसटी को लेकर अब पार्टी में ही अलग-अलग बयान मुखर हो रहे हैं। अब तो सरकारी आंकडे भी गवाही देने लगे है कि यह नीतियां देश के विकास में सबसे बड़ा रोडा बन गई। उधर सरकार ने अभी तक कोई ऐसा कार्य करके नहीं दिखाया जिससे योगी जनता के बीच अपनी छवि बदलकर जा सके। नकारात्मक छवि से लोग होंगे परेशान संघमित्रा की किताब का भी कुछ वैसा ही हाल है, किताब का थीम तो योगी के राजनीतिक अवतार की गाथा सुनाना है, लेकिन हकीकत खुद-ब-खुद सामने आ गयी है। दरअसल, इस किताब में संघमित्रा ने योगी के भड़काऊ भाषणों का उल्लेख तो किया ही है, उनके अतीत को लेकर भी काफी बातें की है और उसी में एक सलाह भी दी गयी है। किताब में संघमित्रा ने योगी को आगाह किया है कि अब उन्हें अपनी भावनाओं को काबू में रखना चाहिये क्योंकि वो सूबे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। संघमित्रा लिखती हैं - उन्हें राज्य में अच्छे शासन पर जोर देना चाहिये, नहीं तो उनकी नकारात्मक छवि लगातार लोगों को परेशान करेगी। संघमित्रा की किताब में योगी का जिक्र महज एक सेक्शन में है और बाकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कामयाबी पर फोकस है। किताब में योगी के सांसद बनने से लेकर सीएम की कुर्सी पर बैठने तक के सफर को उनका राजनीतिक अवतार बताया गया है। -मधु आलोक निगम
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