03-Oct-2017 08:42 AM
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कांग्रेस के भीतर इंतजार की घड़ी खत्म होती दिख रही है। अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो अक्टूबर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हो जाएगी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी में युवा पीढ़ी को कमान देने की तैयारी लगभग पूरी हो रही है। इस पर अक्टूबर में अंतिम मुहर लग जाएगी। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि अध्यक्ष पद पर उनकी ताजपोशी महज सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव के आधार पर ही कर दी जाए। राहुल गांधी संगठन चुनाव की प्रक्रिया के तहत ही अध्यक्ष पद पर अपनी ताजपोशी चाहते हैं। लिहाजा कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया अक्टूबर में कराने की तैयारी हो रही है जिसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस की कमान संभाल लेंगे।
अपनी हर रैली और संबोधन में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के बाकी नेताओं की तरफ से कांग्रेस में वंशवाद को लेकर निशाना साधा जाता है। जब राहुल गांधी कांग्रेस की कमान संभालेंगे तो वंशवाद का मुद्दा भाजपा फिर से उठाएगी। लगता है राहुल ने इसी वजह से चुनावी प्रक्रिया के तहत ही कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेने का फैसला किया है। अक्टूबर के मध्य यानी 15 अक्टूबर के आस-पास अध्यक्ष पद के लिए कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा। अगर राहुल के मुकाबले किसी ने पर्चा दाखिल नहीं किया तो नामांकन की अंतिम तिथि के बाद उन्हें अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा। नया अध्यक्ष चुनने के बाद कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन बुलाया जाएगा जिसे नया अध्यक्ष संबोधित करेगा। उसी वक्त जरूरत पडऩे पर कांग्रेस कार्यकारिणी के 12 सदस्यों का चुनाव भी होगा। पार्टी संविधान के मुताबिक 25 सदस्यों वाली सीडब्ल्यूसी के आधे सदस्यों का चुनाव होना चाहिए या फिर पार्टी अध्यक्ष को ही इन सदस्यों को भी नामित करने का अधिकार दे सकती है। 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस राहुल गांधी को अध्यक्ष के रूप में पर्याप्त समय देना चाहती है। लिहाजा चुनाव की जल्दी पार्टी को भी है। भाजपा इसे एक परिवार का आतंरिक मामला बताते हुए चुटकी ले रही है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि राहुल के अध्यक्ष बन जाने के बाद संगठन में निर्णय तेजी से होंगे और नए जोश के साथ कार्यकर्ता चुनावी तैयारी में लग जाएंगे। पार्टी में सत्ता के दो केंद्र काफी दिनों से काम कर रहे थे, लेकिन राहुल के अध्यक्ष बन जाने के बाद अब सारी ताकत उनके पास होगी। राहुल के सामने न सिर्फ पार्टी के पुराने नेताओं से सामंजस्य बैठाने की चुनौती है बल्कि खुद को नेता साबित करने की भी। जाहिर है 2019 में मोदी से मुकाबला राहुल के लिए आने वाले वक्त की सबसे बड़ी चुनौती है।
हालांकि जनवरी 2013 में ही राहुल गांधी को पार्टी महासचिव से पार्टी उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की भूमिका सौंप दी गई थी। उसके एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अब तक की सबसे बुरी हार हुई। फिर महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और असम समेत कई राज्यों में कांग्रेस के हाथ से सत्ता खिसकती चली गई। इसे राहुल गांधी की नाकामी के तौर पर भी देखा गया।
लेकिन, कांग्रेस आलाकमान सही वक्त के इंतजार में था। सोनिया गांधी को लगता था कि सही वक्त पर ही सही फैसला लिया जाएगा। सीडब्ल्यूसी की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष से राहुल को कमान सौंपने की गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन, अब जबकि लोकसभा चुनाव में डेढ़ साल का वक्त बचा है, तब कांग्रेस के भीतर चेंज ऑफ गार्डÓ की तैयारी हो रही है। जेनेरेशनल शिफ्टÓ की इस कवायद के बाद कांग्रेस की नई पीढ़ी टीम मोदी से भिडऩे को तैयार होगी। भाजपा की रणनीति का जवाब देने के लिए अब राहुल गांधी की तरफ से सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक तरीके से मोदी सरकार और भाजपा के कामों की आलोचना हो रही है।
2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाकर भाजपा ने मोदी के पक्ष में खूब माहौल बनाया था। अभी भी प्रधानमंत्री की कोशिश यही रहती है। लेकिन, 2019 की लड़ाई के पहले अब कांग्रेस की तरफ से भी नए अंदाज में टीम मोदी को जवाब देने की तैयारी हो रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि भाजपा को उसी की भाषा में जवाब देकर ही उसे घेरा जा सकता है। अपने अमेरिका के मौजूदा दौरे के वक्त राहुल गांधी ने भी वर्केले स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कहा था कि हजार लोगों की एक टीम सोशल मीडिया पर उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है। अब जवाब देने की तैयारी राहुल की तरफ से हो रही है। राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो फिर उनकी टीम भी काफी युवा होगी। टीम राहुल में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट और जतिन प्रसाद जैसे युवा चेहरे काफी मजबूत स्थिति में होंगे। ऐसे में पुराने चेहरों की छुट्टी भी संभव है।
कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल गांधी के हाथों में पार्टी की कमान आने के बाद नए सिरे से युवाओं को पार्टी से जोडऩे में मदद मिलेगी। जिन युवाओं से समर्थन के दम पर पिछले चुनाव में मोदी विजय रथ पर सवार हुए थे। अब राहुल के रणनीतिकार उस रथ पर राहुल को बैठाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, कांग्रेस के रणनीतिकारों को समझना होगा, महज युवा होने भर से पार्टी में जोश नहीं आने वाला। इसके लिए ठोस रणनीति की जरूरत है।
विपक्ष में साझा चेहरा ही नहीं!
विपक्ष अगर अपनी तमाम मुश्किलों से निकल भी आता है या विपक्षी नेताओं के इस तर्क को मान लिया जाए कि अब सरकार विपक्षी नेताओं को ज्यादा परेशान नहीं करेगी और अगर करेगी तो उनके प्रति सहानुभूति पैदा होगी, तब भी यह सवाल अपनी जगह है कि उनके पास आम सहमति वाला चेहरा कौन सा है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष कौन सा चेहरा लेकर चुनाव में उतरेगी? कुछ समय पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आम सहमत उम्मीदवार बनते दिख रहे थे। उनके भाजपा के साथ जाने के बाद पार्टी में बगावत करने वाले शरद यादव जरूर देश भर में घूम रहे हैं और साझी विरासत बचाओ सम्मेलन करके विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर रहे हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि उनके पास कोई पार्टी नहीं है और न कहीं बड़ा जनाधार है। इसलिए वे वैचारिक आधार तो दे सकते हैं, लेकिन चुनावी राजनीति में सफल होने के लिए जनमत के जिस आधार की जरूरत होती है, वह वे नहीं दे सकते हैं। दो महिला नेताओं का चेहरा अखिल भारतीय राजनीति में आगे हो सकता है। एक बसपा प्रमुख मायावती हैं और दूसरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। पर मुश्किल यह है कि इनके राज्यों की राजनीतिक बाध्यता के चलते दूसरी पार्टियों इनको स्वीकार नहीं करेंगी।
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे राहुल?
कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने जा रहे राहुल गांधी के प्रधानमंत्री
पद की उम्मीदवारी को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। इन चर्चाओं
को खुद राहुल गांधी ने ही हवा दी है। विपक्ष के सभी नेताओं को एक मंच पर आने की अपील भी राहुल गांधी की तरफ से की जा रही है। राहुल को लगता है कि मोदी विरोधी कोई मोर्चा बनता है तो फिर वो उस मोर्चे की तरफ से पीएम उम्मीदवार हो सकते हैं। अब जबकि विरोधी मोर्चे से नीतीश कुमार भी छिटक गए हैं तो ऐसे में राहुल गांधी की उम्मीदें ज्यादा बढ़ गई हैं। अक्टूबर में राहुल गांधी की अगर अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो जाती है तो फिर उनके पास एक से डेढ़ साल का वक्त रहेगा। राहुल इसके लिए अपने-आप को तैयार करने में लगे हैं।
राहुल के लिए माहौल बनाने की कोशिश!
राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने-आप को इस नए रोल के लिए तैयार करने में लगे हुए हैं। इसके लिए कांग्रेस के रणनीतिकारों की एक टीम भी लगातार काम कर रही है। राहुल की टीम उन्हें उसी अंदाज में आगे कर रही है जिस अंदाज में लोकसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी ने अपनी रणनीति को अंजाम दिया था। देश में अध्यक्ष बनने की चर्चा के बीच राहुल गांधी खुद इस वक्त विदेश दौरे पर हैं। अपने दो हफ्ते के अमेरिका के प्रवास के दौरान राहुल गांधी लगातार अलग-अलग यूनिवर्सिटी में युवाओं से संवाद कर रहे हैं। हर मुद्दे पर अपने विचार रख रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी अमेरिका के कई चिंतक, राजनीतिक विश्लेषक और अर्थव्यवस्था से जुड़े लोगों के साथ संवाद कर अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी की अमेरिकी संसद के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात हो रही है। अपने पहले के रहस्यमयी विदेश दौरों के उलट अब राहुल गांधी सीधे विदेशों में भी प्रबुद्ध तबके से संवाद कर अपने व्यक्तित्व को एक मंझे हुए राजनेता की तरह ढालने में लगे हैं। शायद राहुल के रणनीतिकारों ने उन्हें इस बात की सलाह भी दी है जिसके जरिए मोदी के विदेशी दौरों और देश-विदेश में बनी उनकी छवि के मुकाबले राहुल को इस कदर तैयार किया जा रहा है।
-इन्द्र कुमार