परफॉमेंस से खुश नहीं सीएम
03-Oct-2017 08:35 AM 1234801
मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सख्ती के बाद राजस्व मामलों के निराकरण में तेजी आई है, लेकिन उससे सीएम खुश नजर नहीं आ रहे हैं। दरअसल, राजस्व मामलों के निराकरण में संभागायुक्तों की भूमिका कमजोर नजर आ रही है। यही बात है कि गत दिनों संभागायुक्तों की बैठक में मुख्यमंत्री नाखुश नजर आए। बैठक शुरू होते ही मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि फील्ड से संभागायुक्तों के पद समाप्त कर देना चाहिए। मेरी समझ में नहीं आता है कि संभागायुक्त अपने अधिकार का उपयोग क्यों नहीं करते हैं। दरअसल, भले ही इन दिनों राजस्व का निराकरण तेजी से किया जा रहा है, लेकिन हालात अभी भी खराब हैं। खुद मुख्यमंत्री भी इससे नाखुश हैं। तभी तो उन्होंने बैठक में अपने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि फील्ड में जाकर हालात देखता हूं, तो दिल कराह जाता है। स्थिति ही कुछ ऐसी है। मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव के प्रयासों के बाद भी हालात आशानुरूप नहीं सुधर पा रहे हैं। उधर जानकारों का कहना है कि प्रदेश के राजस्व विभाग में दशकों से जो झोल है वह इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला। जिस तरह का रुख इस समय मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने अपना रखा है अगर ऐसा ही रुख रहा तो स्थिति सुधरने में कुछ साल तो जरूर लग जाएंगे। खैर एक बात तो यह साफ हो गई है कि अगर किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री यदि तय कर ले कि उसे कोई काम किस अवधि में अफसरों व कर्मचारियों से कराना है तो वह असंभव नहीं रह जाता है। इसका ताजा उदाहरण राजस्व विभाग के प्रकरणों के निराकरण है। इस विभाग में लाखों प्रकरण कई वर्षों से लंबित चल रहे थे जिससे किसानों में सरकार व प्रशासन के प्रति जमकर नाराजगी थी। इससे नाराज मुख्यमंत्री ने कुछ समय पहले यहां तक कहा कि तीन माह बाद यदि लंबित प्रकरण मिले तो कलेक्टरों को उल्टा लटका दूंगा। मुख्यमंत्री ने यह चेतावनी कई बार सार्वजनिक स्थानों पर दोहराई भी। इस दौरान उन्होंने मुख्यसचिव बसंत प्रताप सिंह को अभियान चलाकर राजस्व प्रकरणों की समीक्षा करने के निर्देश भी दिए। इसके बाद राजस्व अभियान के प्रकरणों के निराकरण का प्रतिशत 51 से बढ़कर 108 हो गया है। 10 जुलाई तक कुल दर्ज प्रकरण 8 लाख 3 हजार 70 में से मात्र 4 लाख 9 हजार 598 प्रकरण निराकृत हुए, जबकि 11 जुलाई से 20 सितंबर के बीच 4 लाख 49 हजार 724 प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें 4 लाख 86 हजार 260 प्रकरणों का निराकरण किया गया। राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि सीमांकन के प्रकरणों का निराकरण 135ए बंटवारा के प्रकरणों का 151 और नामांतरण के प्रकरणों का 291 प्रतिशत निराकरण 11 जुलाई से 20 सितंबर के बीच हुआ है। बाहर आएंगे राजस्व कोर्ट में दबे राज राजधानी के 35 राजस्व कोर्ट में कितने राज दबे है? दो माह का समय देने के बावजूद कितने मामलों का समय रहते निपटारा किया गया ? आरसीएमएस में कितने मामले दर्ज नहीं किए गए? इसका खुलासा तीन व चार अक्टूबर को होगा। मुख्य सचिव बीपी सिंह की टीम भोपाल के राजस्व कोर्ट का निरीक्षण करने आ रही है। लिहाजा, सभी राजस्व न्यायालयों के अफसर विशेषतौर पर सुनवाई और मामलों की पेंडेंसी खत्म करने में लगे हुए है। 31 जुलाई को भोपाल के राजस्व अधिकारियों की समीक्षा बैठक मुख्य सचिव ने ली थी। जिसमें अविवादित सीमांकन, नामांतरण और बंटवारे के मामलों का निराकरण करने के लिए आदेशित किया गया था। दो माह में किस राजस्व अधिकारी ने कितना काम किया और किसने कितने लंबित मामले निपटाएं। इसकी दोबारा समीक्षा बैठक 6 अक्टूबर को की जाएगी। बैठक में राजस्व अधिकारी और बाबुओं पर कार्रवाई हो सकती है। हर जिले में विकास कार्यों की निगरानी कर रहे जासूस मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और भाजपा चौथी बार सरकार बनाने की तैयारी में है। इसलिए सीएम शिवराज सिंह का अब पूरा ध्यान गुड गवर्नेंस पर है। सीएम शिवराज सिंह चौहान अब हर जिले में अपना एक जासूस तैनात करने जा रहे हैं जो सीएम सचिवालय को डायरेक्ट फीड बैक देंगे। दरअसल, मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान जानना चाहते हैं कि उनकी सरकार की योजनाएं जनता तक किस रूप में पहुंच रहीं हैं और इसका कितना लाभ लोगों को मिल रहा है। इसके लिए सीएम शिवराज सिंह ने आईआईटी, एनआईटी, लॉ ग्रेजुएट्स, टीआईएस जैसे बड़े संस्थानों से पास आउट और डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं की एक टीम तैयार की है जो प्रदेश के जिलों में तैनात रहकर सीएम सचिवालय को डायरेक्ट फीडबैक देगी। इस कवायद का मकसद प्रदेश में भाजपा की चौथी बार सरकार बनाने की राह आसान करना है। -कुमार राजेंद्र
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