03-Oct-2017 08:21 AM
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नरेगा में उल्लेखनीय कार्यों के लिए मप्र विगत वर्षों में कई राष्ट्रीय अवार्ड पा चुका है। इसके बावजूद प्रदेश में मनरेगा मजदूरों के लिए लाभप्रद नहीं रही है। सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं फर्जी जॉब कार्ड बनाकर हर साल करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। अभी हाल ही में प्रदेश के 85 हजार जॉब कार्ड फर्जी पाए जाने पर निरस्त कर दिए गए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि निरस्त हुए कार्डों में सरकारों ने बगैर काम के मजदूरी का पैसा डाला है जो लोगों ने निकाला भी है। ऐसे ही करीब 80 हजार जॉब कार्ड जबलपुर में सामने आए हैं जिनके धारकों ने एक भी दिन कार्य नहीं किया है। अब ये जॉब कार्ड निरस्त करने के लिए भोपाल भेजे गए है।
दरअसल, मनरेगा में ऐसे भ्रष्टाचार का कारण है मनरेगा मैनेजमेंट का फेलियर होना। जिलों में पदस्थ आईएएस अफसर, जिला पंचायत सीईओ और ग्रामीण विकास में तैनात तमाम अधिकारियों का मनरेगा मैनेजमेंट में फेल हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में 15.50 करोड़ मानव दिवस सृजित करने के लक्ष्य के विरुद्ध तीन माह में सिर्फ 3 करोड़ 60 लाख ही मानव दिवस सृजित हुआ है। वहीं अगर राज्य सरकार के निर्णय अनुसार अगले साल जनवरी माह से वित्तीय वर्ष शुरू हुआ तो मनरेगा की प्रोग्रेस थम जाएगी। अफसरों के खराब परफारमेंस पर एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने कड़े पत्र लिखे हैं, तो आयुक्त मनरेगा जीवी रश्मि ने फरमान जारी किया है कि अब हर तीन दिन में उन्हें वाट्सएप पर रिपोर्ट दें।
मनरेगा का प्रोग्रेस बढ़ाने के लिए आयुक्त जीवी रश्मि ने नया प्लान तैयार किया है। इसके अनुसार मैदानी अमला गांव-गांव जायेगा और मानव दिवस सृजित करने के लिए काम करेगा। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, सहायक यंत्री जनपद पंचायत हर दिन नियमित चर्चा करेंगे। सभी उप यंत्री रोस्टर बनाकर चर्चा करेंगे और हर दिन जानकारी वाट्सएप ग्रुप तथा ईमेल से रिपोर्ट पेश करेंगे। मनरेगा आयुक्त को भी हर तीन दिन में वाट्सएप पर जानकारी उपलब्ध कराना होगा। एसीएस ने कलेक्टरों को फटकारा था पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने विभाग की बागडोर संभालने के बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की थी। कई लापरवाह अफसर निलंबित किये गये। कलेक्टर और सीईओ को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से फटकारा गया। संभागीय बैठकें करके अफसरों से दो टूक कहा कि ग्रामीण विकास की योजनाओं में लापरवाही मिली तो बख्शा नहीं जायेगा। जुलानिया के रहते दो सौ से अधिक अफसरों को इधर से उधर किया गया। ये अफसर करेंगे जिलों की निगरानी आयुक्त ने विभाग के एक दर्जन अफसरों को जिले आवंटित किये गये हैं जो हर दिन फीडबैक लेंगे।
वहीं अब मनरेगा का काम करवाने वाले संविदा उपयंत्री अब सभी तरह के निर्माण कार्य करवा सकेंगे। सरकार ने डेढ़ हजार संविदा उपयंत्रियों की सेवाएं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सौंप दी है, ये उपयंत्री अब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) के क्लस्टर को संभालेंगे। गौरतलब है कि उक्त उपयंत्री लगभग 13 साल से मनरेगा में संविदा आधार पर तैनात हैं। आरईएस में तैनात होने से उपयंत्रियों के नियमितीकरण की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।
सरकार ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के पदों का युक्तियुक्तकरण कर जनपद स्तर पर क्लस्टर का निर्माण किया है। प्रदेश में आरईएस के दो हजार 299 क्लस्टर बनाए गए हैं। इसमें आरईएस की नियमित सेवा के 877 और 1422 संविदा उपयंत्री को तैनात किया गया है। यह पहला मौका है जब संविदा वाले उपयंत्रियों को आरईएस में तैनात किया गया। संभावना जताई जा रही है कि उपयंत्रियों की सेवाएं भविष्य में आरईएस में मर्ज की जा सकती हैं। इसकी वजह यह है कि कई जिलों में आरईएस के नियमित उपयंत्री नहीं हैं। खासतौर पर ये हालात उन जिलों में है जो आदिवासी बाहुल्य हैं। इसमें अनूपपुर, बालाघाट, पन्ना और टीकमगढ़ जैसे जिले शामिल हैं।
आबादी से ज्यादा मनरेगा मजदूर पंजीकृत
मध्यप्रदेश में मनरेगा में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि मंत्रियों के जिलों में ही सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। कई मंत्रियों के गृह जिले में मनरेगा मजदूरों की संख्या कुल आबादी से ज्यादा दर्ज कर ली गई। इस फर्जीवाडे में दमोह, सागर, रायसेन, ग्वालियर, खंडवा, बालाघाट, दतिया, मुरैना, डिंडोरी, बुरहरानपुर, भोपाल, शिवपुरी, उज्जैन, रीवा, बड़वानी एवं पन्ना शामिल है। मनरेगा के माध्यम से कराये जाने वाले कार्यों में इन मजदूरों के नाम से भुगतान निकालकर करोड़ों रूपयों के वारे-न्यारे कर लिए गए है। इस फर्जीवाडे के टापटेन में इंदौर, रीवा, जबलपुर, सागर, सतना, ग्वालियर, धार, भोपाल, छिंदवाड़ा और उज्जैन शामिल है।
-राजेश बोरकर