03-Oct-2017 08:13 AM
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अभी हाल ही में आई नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में एक चौथाई से ज्यादा महिलाओं का वजन औसत से कम पाया गया है। यानी वे कमजोर (कुपोषित) हैं। इस मामले में मप्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस का कहना है की फिल्मी गाने धूप में निकला ना करो रूप की रानी गाने की वजह से महिलाएं धूप में जाने से बचती हैं, जिसके चलते उनमें विटामिन डी की कमी हो जाती है, जो कमजोरी और कुपोषण का कारण है।
अगर मंत्री के नजरिए से आंकलन करें तो प्रदेश के जिन 16 जिलों में सबसे अधिक कुपोषण है वहां के पीडि़तों के पास तन ढंकने के लिए पर्याप्त कपड़े तक नहीं है। इन क्षेत्रों के रहवासी धूप में ही ज्यादा समय बिताते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर यहां कुपोषण सबसे अधिक क्यों है? यही नहीं सरकार ने पिछले 14 साल में 15,000 करोड़ रुपए पोषण आहार पर क्यों खर्च कर डाले। अगर चिकित्सकीय नजरिए से देखें तो मंत्री की बात में दम है। क्योंकि धूप से विटामिन डी मिलती है और विटामिन डी से हड्डियां मजबूत होती हैं, लेकिन सामाजिक नजरिए से देखें तो जिन क्षेत्रों और जिन समाज में लोग अधिक देर धूप में रहने को मजबूर हैं वहां की महिलाओं में एनिमिया और बच्चों में कुपोषण सबसे अधिक है। यानी एनिमिया और कुपोषण गंभीर बीमारी हैं और ये शगुफेबाजी से ठीक नहीं होने वाले।
मप्र में कुपोषण को लेकर सरकार की सतर्कता के दावों का खुलासा भारत के नियंत्रण महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। कैग की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह अफसरों ने अपनी जेबें भरने के लिए पीढिय़ोंं को बर्बाद कर दिया है। पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार के चलते बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की गंभीर स्थिति को लेकर मध्यप्रदेश चर्चा में आ गया है। स्थिति इतनी भयावह है कि पूरे एशिया में कुपोषण से मौतों के मामलें मे मध्यप्रदेश सबसे आगे है। प्रदेश की आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार की आपूर्ति में अफसरों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के कारण पिछले पांच साल में मध्यप्रदेश के 75 लाख बच्चे और 7.99 लाख गर्भवती महिलाएं पोषण आहार से वंचित रह गईं। कैग ने पोषण आहार में हो रही गड़बडिय़ों को लेकर कई बार आपत्ति भी उठाई। पिछले 12 साल में 3 बार पोषण आहार की आपूर्ति में व्यापक भ्रष्टाचार होने की बात कैग ने सामने रखी, लेकिन सरकार ने उसे हर बार नकार दिया। इस मामले में विधानसभा में दी गई रिपोर्ट के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों की सबसे अधिक मौतें भोपाल में हुई हैं। हालांकि सरकार ने ये मौतें कई बीमारियों के कारण होना बताया है।
प्रदेश में कुपोषण की स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे एशिया में कुपोषण के कारण मौतों के मामलों में सबसे आगे है। आपको बता दें कि कुपोषण की गंभीर स्थिति पर सीएम ने श्वेत पत्र लाने की घोषणा तक की थी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं किया गया। उधर, सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर माह एक आंगनवाड़ी पर औसतन 6,000 रूपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन इस राशि का क्या हो रहा है विभाग के पास हिसाब ही नहीं है। उस पर विभागीय मंत्री महिलाओं को धूप के सहारे कुपोषण से लडऩे का ज्ञान दे रही हैं। अगर वाकई धूप से कुपोषण दूर हो जाता तो फिर इस विभाग की क्या जरूरत थी।
अर्चना चिटनीस का तर्क
दरअसल, राजधानी भोपाल में महिलाओं के लिए पोषण आहार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची मंत्री अर्चना चिटनिस ने कुपोषण को लेकर अपने ही अंदाज में रोचक जवाब दिया। मंत्री अर्चना चिटनीस ने गीत की पंक्तियों का जिक्र करते हुए कहा धूप में निकला ना करो रूप की रानी के बजाए गीत ऐसा होना चाहिए कि, धूप में जरूर निकला करो रूप की रानी...जरूरी पोषण मिलेगा...उन्होंने अपने संवाद में चटनी रोटी का भी जिक्र किया। मंत्री ने कहा कि हम पारंपरिक खाने को छोड़कर विज्ञापन पर ज्यादा ध्यान देते है। मंत्री ने कहा, चटनी रोटी खाने से सेहत ज्यादा अच्छी होती है, ना की हलवा पूड़ी खाने से। चटनी रोटी से एनिमिया ठीक होता है। विटामिन ए के बारे में कहा कि बच्चों को अगर धूप नहीं मिलती है तो उसकी हड्डियां मजबूत नहीं होगीं।
-विकास दुबे