16-Sep-2017 10:23 AM
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प्रदेश की सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा हर हाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में लगातार चार बार जीत दर्ज कर नया रिकार्ड बनाना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। यही वजह है कि करीब एक साल पहले से ही उन विधायकों की तलाश शुरू कर दी गई है, जिनकी अगले चुनाव में जीत की संभावनाएं बहुत कम हैं। पार्टी ने ऐसे विधायकों को टिकट नहीं देने का मन बना लिया है। इसके लिए पार्टी अलग-अलग स्तर से रिपोर्ट तैयार करा रही है। इसमें पार्टी द्वारा हर दो माह में अलग-अलग एजेंसियों से विधानसभा क्षेत्रों का सर्वे कराना भी शामिल है। इस सर्वे में मौजूदा पार्टी विधायक की छवि के साथ ही उनकी परफारमेंस की जानकारी भी शामिल है।
दरअसल, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश संगठन और सरकार को 200 से अधिक विधानसभा सीट जीतने का टारगेट दिया है। इस टारगेट को पाने के लिए पार्टी को केवल जीताऊ उम्मीदवारों को टिकट देना पड़ेगा। इसलिए विगत दिनों पार्टी विधायक दल की बैठक में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने सभी विधायकों को पार्टी सुप्रीमो अमित शाह के निर्देशों की जानकारी दे दी है। इस दौरान सभी विधायकों से साफ कह दिया गया कि उनके क्षेत्र के विकास के साथ ही उनकी छवि भी टिकट का पैमाना होगी। पार्टी यही देखकर टिकट देगी कि मौजूदा विधायक की छवि मददगार की है या दबंग की। इसके अलावा बुर्जुगवार नेताओं को भी पार्टी अब टिकट नहीं देगी, इसकी जगह पार्टी उनकी जगह परिजन या उनकी सहमति से टिकट देगी।
जानकारी के अनुसार, पार्टी अब नियमित रूप से विधायकों के परफार्मेंस को लेकर अलग-अलग एजेंसियों से सर्वे कराएगी। इसमें मुख्य आधार क्षेत्र में किया गया विकास तो होगा ही। विधायक के प्रति आम आदमी और कार्यकर्ताओं की सोच क्या है, यह राय महत्वपूर्ण होगी। लोगों के बीच विधायक की उपलब्धता कैसी है। जीवंत संपर्क है या नहीं। विधायक की छवि कैसी है। ये सारे मुद्दों पर परिणाम ठीक आया, तो ही विधायक को फिर से टिकट मिल पाएगा।
मिशन-2018 के बहुत पहले एक बार फिर सरकार और संगठन को पोलिंग बूथ की याद आ गई है। वैसे तो भाजपा कैडर आधारित पार्टी है और पोलिंग बूथ हमेशा उसकी प्राथमिकता में रहे हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ शाही है। दरअसल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मध्यप्रदेश का दौरा कर तीन दिन तक सरकार और संगठन सभी की खोजखबर ली थी। किसी को भी शाबासी नहीं मिली थी, बल्कि सभी को सीख ही मिली थी कि स्थितियां बहुत बेहतर नहीं हैं। उठो, जागो और लक्ष्य पर संधान करो। शाह ने कहा था कि हर बूथ स्तर पर बीस नए सदस्य बनाओ। शाह ने कहा था कि विस्तारकों का महत्व समझो। कार्यकर्ताओं का सम्मान करो। शाह ने कहा था कि जनता की नब्ज पर हाथ रखो। शाह ने याद दिलाया था कि संगठन की हालत खराब है, इसे चुस्त-दुरुस्त करो ताकि शिवराज के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनाकर मध्यप्रदेश में इतिहास बनाया जा सके। शाह ने यह भी कहा था कि हम औपचारिकता करने नहीं आए हैं, बल्कि एक बार फिर अगले साल आएंगे और तब हर सीट का हिसाब-किताब चुकता करेंगे। यानि कि यह भी तय होगा कि कौन सी सीट कमजोर है। किसका टिकट कटना है और कैसे हारी हुई सीटों को भाजपा की झोली में डाला जाएगा। सभी में हवा भरी थी। लिहाजा अब शाह के जाने के बाद संगठनात्मक स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए विधायकों के कान उमेठे गए हैं कि सुधर जाओ और समझ लो कि करना क्या है?
भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने एक घंटे की क्लास में मंत्री-विधायकों सभी को साफ समझाइश दे दी है कि अब वैसा नहीं चलेगा जो अभी तक चलता रहा है। संगठन पर पूरी तरह से फोकस करना पड़ेगा वरना खैर नहीं है किसी की भी। संगठनात्मक दृष्टिकोण को बेहतर बनाने के लिए जो शाह ने निर्देश दिए थे, उन्हें डायरी पर नोट कर लो। संगठन स्तर पर क्या कार्ययोजना होनी चाहिए, इसको लेकर विधायकों को पूरी नसीहत विधायक दल की बैठक में दी गई है। तीन चरणों में किस तरह से पोलिंग बूथ को शाह की उम्मीद के मुताबिक चुस्त-दुरुस्त करना है, इसके विस्तृत निर्देश भाजपा विधायकों को दे दिए गए हैं। अब देखना है कि विधायक क्या करते हैं।
दिवाली के बाद
मंत्रिमंडल विस्तार तय
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दे दिए हैं। संभवतया दिवाली के बाद यह विस्तार होगा। बताया जाता है कि 16 सितंबर को होने वाली कोर ग्रुप की बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा होगी। इस दौरान मंत्रियों के परफार्मेंस और फीडबैक के आधार पर तय किया जाएगा कि कौन मंत्री शिवराज कैबिनेट से बाहर होगा और किन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। चुनावी जमावट के नाम पर लगभग आधा दर्जन कमजोर परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों के सिर पर तलवार लटकी हुई है। गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल प्रवास के दौरान उनकी अगुवाई में हुई प्रदेश कोर ग्रुप की बैठक में यह फैसला हो चुका है कि सरकार और संगठन के महत्वपूर्ण फैसले कोर ग्रुप में ही होंगे। उधर, मंत्रिमंडल विस्तार का संकेत मिलते ही नेता अपनी गोटी जमाने में लग गए हैं।
- भोपाल से अजयधीर