02-Oct-2017 11:16 AM
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छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई ने पृथक बस्तर राज्य का मुद्दा गरमा दिया है। यह पहली बार है जब आदिवासियों ने ऐसी मांग की है। इससे पहले नक्सली पृथक दंडकारण्य राज्य की मांग करते रहे। हालांकि बस्तर को अलग राज्य बनाने की राह इतनी आसान नहीं है। अलग राज्य बनने के 17 साल बाद ही छत्तीसगढ़ में अलग बस्तर की मांग उठने लगी है। स्थानीय मुद्दों को लेकर पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे सर्व आदिवासी समाज ने यह आवाज बुलंद की है। हालांकि अभी सीधे-सीधे अलग राज्य की मांग नहीं की गई है, लेकिन स्वर यही है। बस्तर संभाग का क्षेत्रफल केरल से कुछ ज्यादा जरूर है, मगर जनसंख्या के मामले में केरल के दसवें हिस्से के बराबर भी नहीं है। पूरी संभावना है कि अलग राज्य के मसले के साथ हाईकोर्ट की खंडपीठ का मुद्दा एक बार फिर गरमा सकता है और इसकी स्थापना जगदलपुर में करने की मांग उठ सकती है।
छत्तीसगढ़ पहले ही एक छोटे राज्य के रूप में स्थापित हुआ है। हाल ही में बस्तर से सटे तेलंगाना को अलग राज्य बनाया गया है, लेकिन तेलंगाना बड़ा भू-भाग और आबादी वाला प्रदेश है। बस्तर में सात जिले हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 39117 वर्ग किलोमीटर है। केरल का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है। बस्तर की आबादी महज 30 लाख 47 हजार के करीब है। केरल की आबादी करीब साढ़े 3 करोड़ है।
बस्तर का अधिकांश हिस्सा घने जंगलों से घिरा विरल आबादी वाला क्षेत्र है। उद्योग धंधों के नाम पर बैलाडीला की लोहे की खदानों को छोड़ दिया जाए तो कुछ नहीं है। हाल के दिनों में सरकार ने बस्तर की कई ऐसी सड़कों को दोबारा खोला है जो नक्सलवाद के चलते बंद हो चुकी थीं। नक्सल प्रभावित इलाकों में पिछले दो सालों में 1320 किमी सड़कें बनी हैं। इनके निर्माण पर सरकार ने 4 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की है। इंटरनेट का विस्तार करने वहां बस्तर नेट परियोजना के तहत 836 किमी ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाई जा रही है। सुदूर इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। बीजापुर का जिला अस्पताल और दंतेवाड़ा की एजुकेशन सिटी की पहचान दुनियाभर में है।
विकास पहुंचा लेकिन नक्सल समस्या की वजह से दोहरी मार झेल रहे आदिवासी इससे संतुष्ट नहीं हैं। राज्य बनने के बाद राज्य स्तर के कार्यालयों की स्थापना वहां नहीं की गई। बस्तर में हाईकोर्ट के खंडपीठ की स्थापना की मांग पुरानी है। राज्य बना तो बिलासपुर में हाईकोर्ट खुला, लेकिन इससे बस्तर के सुकमा और बीजापुर जैसे जिलों से हाईकोर्ट की दूरी अब भी 6 सौ से 7 सौ किमी तक है। बस्तर के नेता सोहन पोटाई ने कहा अगर समस्या न सुलझी तो राज्य बना लेंगे और समस्या सुलझा लेंगे। अरविंद नेताम कह रहे कि अलग बस्तर राज्य की मांग की ही नहीं गई। कांग्रेस के बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा- हम भी आदिवासी समाज की बैठकों में जाते हैं। आदिवासी समाज में अब तक पृथक बस्तर की मांग नहीं उठी है।
प्रदेश में आदिवासी समाज अपने साथ हो रही उपेक्षा से नाराज है। समाज के नेताओं का कहना है कि कई ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं जिससे समाज में आक्रोश है। 31 जुलाई 2017 को दंतेवाड़ा जिला के पालनार कन्या आश्रम में रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में कुछ आदिवासी छात्राओं के साथ सुरक्षा बल के कुछ जवानों पर छेड़छाड़ करने का आरोप है। मामले में दो आरोपी जेल में हैं। इस घटना को लेकर समाज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। नौ अगस्त 2017 को विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी समाज की रैली व सभा में एक समुदाय विशेष के लोगों ने खलल डाला था। जिसे लेकर आदिवासी समाज आज भी काफी आक्रोशित है। नगरनार में निर्माणाधीन स्टील प्लांट के विनिवेश के केन्द्र सरकार के फैसले का समाज ने विरोध किया है। समाज का कहना है कि विनिवेश का फैसला बस्तर और यहां के आदिवासियों के साथ धोखा है। पांचवी अनुसूची और पेशा कानून का कड़ाई से पालन नहीं करने का आरोप भी आदिवासी समाज का मुख्य मुद्दा है। इसके अलावा कई और छोटी-बड़ी मांगे समाज ने शासन-प्रशासन के समक्ष रखी है।
आदिवासी समाज का कहना है कि अगर सरकार समस्याएं दूर नहीं कर सकती है तो बस्तर को नया राज्य बनाए। इसको लेकर राजनीति गर्मा गई है। बताया जा रहा है कि बस्तर को अलग राज्य बनाए जाने की मांग ने भाजपा और कांग्रेस के होश उड़ा दिए हंै।
टूरिजम बनेगा हथियार!
संघ से जुड़े बुद्धिजीवियों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादी आंदोलन का जायजा लिया और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है। रिपोर्ट के अनुसार बस्तर में माओवादी आंदोलन सरकार और विद्रोहियों के बीच की राजनीतिक या विचारधारा की लड़ाई नहीं है। यह पूरी तरह कानून-व्यवस्था का मामला है जिसे वहां की भौगोलिक परिस्थिति ने ज्यादा भयावह बनाया है। गौरतलब है कि बस्तर माओवाद से बुरी तरह प्रभावित है। संघ से जुड़े लोगों ने हाल ही में उड़ान यानी अनफोल्डेड ड्रामा ऐंड ऐक्ट टु अवेकन नेशन संगठन बनाया है। इसका मकसद घोषित तौर पर युवाओं के बीच कला व संस्कृति के जरिए राष्ट्रवाद को बढ़ाना है।
-रायपुर से टीपी सिंह के साथ संजय शुक्ला