02-Oct-2017 10:59 AM
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मप्र में एक तरफ सरकार जीरो टॉलरेंस का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ भ्रष्ट और दागदार अफसर मस्त हैं। आलम यह है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ऐसा मामला इन दिनों इंदौर नगर निगम में सुर्खियों में है। दरअसल, इंदौर नगर निगम में 114 अधिकारी, कर्मचारियों और नेताओं पर लोकायुक्त, जबकि 33 पर ईओडब्ल्यू में प्रकरण दर्ज हैं। इनमें पूर्व महापौर, निगमायुक्त से लेकर स्वास्थ्य अधिकारी, बाबू और दरोगा तक शामिल हैं। इन सभी पर कार्रवाई करने के लिए एमआईसी की मंजूरी जरूरी है, लेकिन एमआईसी सालों पुराने मामलों में अभियोजन (केस चलाने) की स्वीकृति नहीं दे रही है। इस कारण कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि कार्रवाई से बचे हुए हैं।
नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम कहती हैं कि हमने निगमायुक्त, महापौर को सूची सौंप मांग रखी है कि सभी आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति तुरंत दी जाए। कई प्रकरण आठ-दस साल से लंबित हैं। इससे साफ जाहिर है कि अभियोजन में देरी कर भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश हो रही है। उधर, महापौर मालिनी गौड़ का कहना है कि एमआईसी बैठक में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में चल रहे प्रकरणों को लेकर विधिक राय ली जा रही है। इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। जानकारी के अनुसार, नगर निगम को जिन अधिकारियों ने चारागाह मान कर जमकर भ्रष्टाचार किया है उनमें नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी रहे डॉ. राजेश कोठारी और शिल्पज्ञ हंसकुमार जैन का नाम सुर्खियों में रहा है। हंसकुमार जैन वर्तमान में उज्जैन नगर निगम के अधीक्षण यंत्री हैं और शिल्पज्ञ विभाग व नगर निवेशक के प्रभारी भी हैं। हंसकुमार जैन के खिलाफ लोकायुक्त में तीन और ईओडब्ल्यू में एक मामला दर्ज है। लोकायुक्त में उनके खिलाफ सुगनी देवी कॉलेज की जमीन मामले में मामला दर्ज है। 57/10 के तहत यह मामला दर्ज है। वहीं केस क्रमांक 304/5 के तहत योजना क्रमांक 71, सेक्टर-सी में नक्शे में गड़बड़ी का मामला दर्ज है। वहीं केस क्रमांक 53/3 के तहत 56 दुकान मार्केट के सामने सीपी हॉट काम्पलेक्स के संबंध में मामला दर्ज है। वहीं उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में 9/5 केस के तहत बक्तावर रामनगर गृह निर्माण सहकारी संस्था में भूखण्ड की हेराफेरी के संबंध में मामला दर्ज है।
वहीं डॉ. राजेश कोठारी के खिलाफ केस क्रमांक 77/11 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज है। दरअसल, 16 जुलाई 2011 को लोकायुक्त की उज्जैन टीम ने डॉ. कोठारी के तीन मकानों पर एक साथ छापे की कार्रवाई की थी। जिसमें आय से अधिक संपत्ति मिली थी। डॉ. कोठारी 26 साल तक इंदौर नगर निगम में रहे। उसके बाद उनका तबादला 2012 में जबलपुर हुआ था। यहां डॉ. कोठारी को लेकर नगर निगम सदन की सामान्य सभा की बैठक में हंगामा हुआ था। विपक्षी कांग्रेस पार्षदों ने भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त डॉ. कोठारी को जबलपुर नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी के तौर पर पदस्थ किए जाने का विरोध जताया था। विपक्ष ने नारेबाजी करते हुए उन्हें वापस किए जाने की मांग भी की थी। मामला जैसे तैसे शांत हुआ। बाद में डॉ. कोठारी जबलपुर से देवास में पदस्थ किए गए। वहां भी उनकी कार्यप्रणाली संदेहास्पद रही। डॉ. कोठारी देवास से ही रिटायर्ड हो गए, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। बताया जाता है कि एमआईसी की स्वीकृति नहीं मिलने से इस मामले में सरकार की भी फजीहत हो रही है। अब शासन अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा।
निगम में रहे कइयों के ऊपर मामले दर्ज
नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम के अनुसार, निगम में भ्रष्टाचार के मामले में जिन पर लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू में मामला दर्ज है उनमें पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा, पूर्व नगर शिल्पज्ञ हरभजन सिंह, भवन अधिकारी महेश शर्मा, वीपी कुलश्रेष्ठ, पूर्व आयुक्त विनोद शर्मा, नीरज मंडलोई, सीबी सिंह, संजय शुक्ल, डॉ. अपूर्व वोरा, हंसकुमार जैन, केसी गुप्ता, एके पुराणिक, दिलीप सिंह चौहान, अनूप गोयल, रजनीश पंचोलिया, मोहनलाल शर्मा, एयू खान, जगदीश डगांवकर, अशोक बैजल, नित्यानंद जोशी, आनंद कंडारे, चंद्रकांत कुमावत, जगदीश बोरड़े, अनिता चिंतामण, ब्रजमोहन भगौरिया, संतोषकुमार मोदी, राजेश जोशी, रामचंद्र गोयल, महेश कौशल, लोकेंद्र कुसमाकर, शांतिलाल यादव, एसएन तोमर, अवधेश शर्मा, लता अग्रवाल, केएस वर्मा, केदार सिंह, डॉ. डीसी गर्ग, डॉ. राजेश कोठारी सहित अन्य शामिल हैं।
-विशाल गर्ग