02-Oct-2017 10:57 AM
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मप्र में नदियों में अवैध खनन एक बड़ी समस्या है। इसको देखते हुए सरकार न नई रेत खनन नीति में कई प्रावधान किए हैं। प्रदेश में हर साल मानसून के पूर्व एवं मानसून के बाद उत्खनित रेत खनिज की मात्रा एवं संग्रहित रेत खनिज की मात्रा का डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जो आगामी वर्ष के लिये खनन योग्य रेत खनिज की मात्रा का आंकलन करने का आधार माना जाएगा। रेत खदान की सीमाओं का निर्धारण और मात्रा का आंकलन खदान नदी की लबाई में चिन्हित किया जाएगा। खदान की सीमाएं अक्षांश-देशांश के रूप में निर्धारित की जाएंगी। रेत खदान के दोनों ओर स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति अनुसार पर्याप्त क्षेत्र विस्तार कर खदान का सीमांकन किया जाएगा। रेत की मात्रा के आंकलन के पूर्व चिन्हित और स्वीकृत रेत खदान क्षेत्र का पटवारी, राजस्व खसरा नक्शे से मिलान किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चिन्हित खदान क्षेत्र एवं राजस्व नक्शे के स्थल में कोई अंतर नहीं हो।
प्रदेश में अवैध रेत के उत्खनन को रोकने में लगातार असफल साबित हो रही सरकार ने अब खदानों में उपलब्ध रेत की मात्रा के असंकलन के लिए वैज्ञानिक पद्धति से कराने का फैसला किया है। इसके मापने के पैरामीटर पूरी तरह वैज्ञानिक तकनीकी पर आधारित होंगे। इसको लेकर सभी जिला कलेक्टर को एक परिपत्र जारी कर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। खदानों में खनिज की मात्रा का आंकलन हर वर्ष मानसून की समाप्ति के बाद एक अक्टूबर से 31 दिसबर के मध्य किया जाएगा। इसके तहत आरक्यूपी व ठेकेदार द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से रेत संग्रहण की मात्रा का आंकलन किया जाएगा। संबंधित जिला खनिज अधिकारी से आंकलित मात्रा का सत्यापन भी कराया जाएगा। रेत खदान की सीमाओं के निर्धारण तथा रेत की मात्रा के आंकलन के संबंध में भी जारी परिपत्र में स्पष्ट दिशा-निर्देश भी दिये गये है। एक अक्टूबर को खनन प्रक्रिया प्रारंभ करते समय यदि मानसून के बाद संग्रहित रेत खनिज की मात्रा का आंकलन किसी कारणवश नहीं किया जाता है, तो एक अक्टूबर से 31 दिसबर के मध्य की अवधि में पट्टेदार द्वारा विगत वर्ष आंकलित की गई रेत खनिज की मात्रा का 50 प्रतिशत खनन योग्य मान्य किया जाएगा। 50 प्रतिशत मात्रा का आंकलन तिथि को उपलब्ध रेत खनिज की मात्रा में जोड़ा जाएगा। जानकारों का कहना है की इससे रेत के अवैध खनन पर अंकुश लगेगा।
उधर, खनिज विभाग द्वारा अक्टूबर माह में वर्ष 2017 के लिए 10 खनिज ब्लाकों की द्वितीय चरण की नीलामी की जाएगी। इसमें 6 चूना पत्थर, 2 बाक्साइट, एक आयरन तथा एक हीरा खदान शामिल है। इन खदानों में 65 हजार 758 करोड़ रुपये मूल्य के खनिज संसाधनों की उपलब्धता अनुमानित है। इसमें अकेले हीरा खनिज ब्लाक का संसाधन मूल्य 60 हजार 687 करोड़ रुपये आंका गया है। ये खनिज ब्लाक 50 वर्ष की अवधि के लिये खनिजपट्टा के रूप में नीलाम किये जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रथम चरण की नीलामी राज्य शासन द्वारा वर्ष 2016 में की गई थी।
सैटेलाइट इमेज से अवैध उत्खनन का खुलासा
प्रदेश के खनिज बाहुल्य कटनी, सतना, पन्ना व दमोह जिलों के वन मंडल में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन होने का मामला सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाही नहीं करने का मामला सामने आया है। इस वजह से सरकार को मिलने वाले करोड़ो रुपयों के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। यह खुलासा सेटेलाइट से मिली इमेज से हुआ है। खास बात यह है कि इसके बाद वन विभाग द्वारा इस मामले के बाद भौतिक सत्यापन भी कराया गया था, जिसमें भी अवैध उत्खनन को सही पाया गया था, किंतु इसमें रसूखदार लोगों के शामिल होने की वजह से पूरे मामले को दबा दिया गया था। इस मामले में यहां पदस्थ वन विभाग के आला अफसरों की लापरवाही सामने आयी है। जिसकी वजह से दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाही नहीं हुई। यह हाल तब हैं जब मामला सामने आने के बाद तत्कालीन पीसीसीएफ रमेश दवे ने उक्त सभी सीसीएफ को पत्र भेजकर इस पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इन जगहों पर उसे समय पदस्थ सीसीएफ ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया। इस रिपोर्ट में पीसीसीएफ ने स्पष्ट किया था कि सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से उक्त चारों जिलों में अवैध उत्खनन की पहचान सेटेलाइट से की गई है।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया