02-Oct-2017 10:54 AM
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मप्र की साढ़े सात करोड़ आबादी को आनंद की अनुभूति कराने के लिए सरकार ने आनंद विभाग का गठन किया है। विभाग ने लोगों के जीवन में
आनंद घोलने के लिए आनंद उत्सव,
आनंदम, आनंद सभा, अल्पविराम और आनंद क्लब का भी गठन किया है, लेकिन देखा यह जा रहा है कि इस आनंद विभाग की गतिविधियों का फायदा सरकारी अधिकारी-कर्मचारी ही अधिक उठा पा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आनंद विभाग से जनता कब आनंदित होगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगस्त 2016 में आनन्द विभाग गठित करने का निर्णय लिया। उनका विचार है कि परिपूर्ण जीवन के लिए आंतरिक तथा बाह्य सकुशलता आवश्यक है। संतुलित जीवन शैली के लिए लोगों को ऐसी विधियां तथा उपकरण उपलब्ध कराना होंगे जो उनके लिए आनन्द का कारक बनें, लेकिन देखा यह जा रहा है कि सरकार ने लोगों को आनंद की अनुभूति कराने के लिए जिन तीन संस्थाओं संत जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर, श्रीश्री रविशंकर महाराज के आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन बैंगलोर और पंचगनी में स्थित इंटरनेशनल संस्था इनिशिएटिव ऑफ चेंजेस (आईओसी) का चयन किया है वहां केवल सरकारी अधिकारी-कर्मचारी ही शासकीय खर्च पर आनंद की खोज में जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने उपरोक्त तीनों संस्थानों से अलग-अलग एमओयू किया है।
इन संस्थानों में शासकीय अधिकारी-कर्मचारी छह दिनों तक सशुल्क आनंद प्राप्त करने का गुण सीखते हैं। इसके लिए सरकार ने 20 हजार रुपए की अधिकतम रकम तय की है। अगर कोई शासकीय अधिकारी इन संस्थानों में आनंदम की खोज में जाता है तो उसकी यह प्रशिक्षण अवधि ड्यूटी मानी जाती है और उसे टीए-डीए का भुगतान पात्रता अनुसार नियमित मद से किया जाता है। अगर देखा जाए तो सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों से अधिक आम आदमी को आनंद की जरूरत है। सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को सरकार हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराती है। ऐसे में उनके जीवन में आनंद ही आनंद रहता है।
आनंद गतिविधियों के संचालन के लिए प्रत्येक विभाग को बजट उपलब्ध कराया गया है इस राशि का व्यय निम्नलिखित गतिविधियों पर किया जा रहा है :- ए लाईफ ऑफ हैप्पीनेस एण्ड फुलफिलमेंट नाम का ऑन लाईन पाठ्यक्रम उपलब्ध है, जिसे डॉ. राज रघुनाथन ने तैयार किया है। इस कोर्स का नि:शुल्क अथवा सशुल्क दोनों तरह से अध्ययन किया जा सकता है। सशुल्क अध्ययन में औपचारिक प्रमाण पत्र तथा कुछ अतिरिक्त अध्ययन सामग्री मिलती है। वर्तमान में यह कोर्स अंग्रेजी में उपलब्ध है। राज्य आनंद संस्थान द्वारा इसका अनुवाद किया जा रहा है। 3 माह के बाद इसका हिन्दी संस्करण भी उपलब्ध हो जाएगा।
आनंद विभाग की गतिविधियों के लिए सरकार ने आनंद क्लब बनाया है। पंजीकृत क्लब के सदस्यों को प्रशिक्षण तथा अध्ययन सामग्री आन लाईन उपलब्ध कराएगी जो क्लब की गतिविधियों का आधार होगा। आनंद के विषय पर हो रहे अनुसंधान की जानकारी देगी। क्लब के द्वारा किए जा रहे सकारात्मक कार्यों का प्रचार-प्रसार तथा उसे बेवसाईट 222.ड्डठ्ठड्डठ्ठस्रह्यड्डठ्ठह्यह्लद्धड्डठ्ठद्वश्च.द्बठ्ठ पर प्रदर्शित करेगी। उत्कृष्ठ कार्य करने वाले क्लब और आनंदकों की पहचान कर उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित करेगी। क्लब को किसी प्रकार की कोई वित्तीय सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। आनंद क्लब के सदस्यों को यथा संभव प्रशिक्षित करेगी।
हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार होने में
अभी एक साल और लगेगा
हालांकि अभी हैप्पीनेंस इंडेक्स का पैमाना क्या होगा, ये तय नहीं हो पाया है। आनंद विभाग भूटान, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के हैप्पीनेस इंडेक्स मापने के तरीकों का अध्ययन और विश्लेषण कर रहा है, लेकिन इन देशों के जीवन स्तर और प्रदेश के जीवन स्तर में अंतर होने के कारण मप्र के लिए हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार नहीं हो पा रहा है। प्रदेश के लोगों की जीवनशैली और संस्कृति में अंतर के कारण ये परेशानी हो रही है। वहीं विभाग का मानना है कि हैप्पीनेस इंडेक्स तैयार होने के बाद आनंद विभाग के कामकाज में मदद मिलेगी और प्रदेश में बड़े पैमाने पर बदलाव नजर आएगा। पर अभी तक इसका क्राइटेरिया भी तैयार नहीं हुआ है, हैप्पीनेस इंडेक्स के बाद प्रदेश में सर्वे का काम होगा। माना जा रहा है कि इसमें अभी एक साल का और समय लगेगा। शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है। इसका लोक सेवाओं के प्रभावी प्रबंधन तथा प्रदाय से सीधा संबंध है। भौतिक सुविधायें तथा समृध्दि अकेले आनंदपूर्ण मनोस्थिति का
कारक नहीं होती। यह आवश्यक है कि प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों का दृष्टिकोण जीवन की परिपूर्णता की मौलिक समझ पर आधारित है।
-भोपाल से सुनील सिंह