18-Sep-2017 06:00 AM
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अभी उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण की गूंज पूरी तरह थमी भी नहीं है कि वह दूसरे परीक्षण की तैयारी करने में लग गया है। उसकी न्यूक्लियर साइट पर राकेट देखे गए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में वह फिर कोई धमाका कर सकता है। वहीं ताजा हाइड्रोजन बम परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विगत दिनों आपात बैठक हुई है जिसमें उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को और कड़ा करने की बात कही गई है। इस बैठक के दौरान जहां सभी ने उत्तर कोरिया के प्रति कड़ा रुख इख्तियार किया वहीं चीन ने साफ कर दिया कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में किसी भी सूरत से युद्ध के पक्ष में नहीं है। दूसरी ओर स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति डोरिस लुथर्ड ने इस मामले में मध्यस्थता करने और जरूरत पडऩे पर कोरियाई देशों की सीमा पर अपनी सेनाओं को तैनात करने तक की बात कही है, लेकिन इन सभी कवायदों के बीच उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद भारत की अपनी चिंता भी बढ़ती जा रही है।
भारत की चिंता अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को लेकर है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह उत्तर कोरिया से संबंध रखने वाले किसी भी देश से संबंध नहीं रखेगा और उन्हें भी प्रतिबंधित कर देगा। भारत के लिए यह चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि उत्तर कोरिया और भारत के बीच वर्षों से कूटनीतिक और वाणिज्य संबंध बरकरार हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार आंकड़ों पर नजर रखने वाली संस्था द ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकॉनोमिक कॉम्प्लेक्सिटी के मुताबिक उत्तर कोरिया से आयात और निर्यात के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर का सबसे बड़ा देश है। ऐसे में भारत की चिंता कई मायनों में जायज है। अगर ट्रंप अपने बयान पर अमल करते हैं तो भारत और चीन इससे सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में शामिल होंगे। चीन उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा व्याहपारिक साझेदारी वाला देश है।
हालांकि भारत ने उत्तर कोरिया के रवैये को देखते हुए उससे संबंध सीमित करने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार में कटौती पर भी फैसला लिया गया है। यही वजह है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उत्तर कोरिया से व्यापार में करीब 30 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है। पिछले वर्ष उत्तर कोरिया में भारत का निर्यात करीब 110 मिलियन डॉलर का था।
उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी यॉनहप ने हाइड्रोजन बम परीक्षण और आगे होने वाले परीक्षणों को अमेरिका के लिए गिफ्ट पैकेज बताया है। यूएन में उत्तर कोरिया के राजदूत ने साफ तौर पर कहा कि हालिया परीक्षण उनकी देश की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया है और यह सिर्फ अमेरिका के लिए एक गिफ्ट पैकेज है। अपने बयान में उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि इस तरह के गिफ्ट पैकेज आगे भी अमेरिका और उनके सहयोगी देशों को मिलते रहेंगे।
उत्तर कोरिया के छठे परमाणु परीक्षण के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में अमेरिका व जापान ने सुरक्षा परिषद से उत्तर कोरिया के खिलाफ और सख्त कदम उठाने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अब बहुत हो चुका। समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद उत्तर कोरिया के खिलाफ कठोरतम कदम उठाए। उसके खिलाफ 2006 से लगाए गए प्रतिबंधों ने काम नहीं किया। प्रयासों के बावजूद उसका परमाणु कार्यक्रम बढ़ता जा रहा है। उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन युद्ध पर आमादा है। संयुक्त राष्ट्र कभी युद्ध नहीं चाहता लेकिन हमारे धैर्य की सीमा है।
जापान के राजदूत कोरो बेस्शो ने कहा कि इस मामले में ज्यादा समय बर्बाद नहीं कर सकते। उन्होंने उम्मीद जताई कि उसके खिलाफ नए प्रस्ताव पर विचार होगा। ब्रिटेन ने कहा कि चीन और रूस जाने वाले उत्तर कोरियाई नागरिकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। फ्रांस और इटली ने भी और प्रतिबंधों की मांग की तो रूसी राजदूत वैसिली नेबेनजिया ने तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचने को कहा। चीनी राजदूत लिउ जियी ने बातचीत से संकट का हल निकालने को कहा। उन्होंने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध की अनुमति नहीं दी जाएगी। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और दक्षिण कोरिया ने सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की थी।
दुनिया की तबाही का कारण बन सकता है
उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रमों के कारण अमेरिका, जापान और अन्य पश्चिमी देशों के लिए किरकिरी बना हुआ है। उत्तर कोरिया ने आर्थिक प्रतिबंधों और सीमित साधनों के बाद भी पांचवां परमाणु परीक्षण किया है। रक्षा मामलों के जानकारों के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने जिस आईसीबीएम का परीक्षण किया है वह अलास्का और हवाई द्वीप तक जा सकता है। पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण किए हैं। 2016 में ही दो बार परमाणु परीक्षण किया। उत्तर कोरिया का दावा है कि आखिरी बार जिसका परीक्षण हुआ, उसे रॉकेट से जोड़ा जा सकता था। चेतावनी के बाद भी उत्तर कोरिया यह कदम उसकी अमेरिका और अन्य देशों से दुश्मनी को बढ़ा रहा है। सनकी तानाशाह किम जोंग उन की यह हरकतें दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर ले जा सकती हैं। उत्तर कोरिया अमेरिका और दक्षिण कोरिया को अपना दुश्मन मानता है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, उत्तर कोरिया अगले दो सालों में अमेरिका पर हमला करने की हालत में हो सकता है। परिणामस्वरूप उत्तर कोरिया के कारण पैदा हुए खतरे से निपटने के लिए अमेरिका और दक्षिण कोरिया मिलकर बल प्रयोग कर सकते हैं। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच एक सैन्य साझेदारी है जिसके तहत दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए 28,500 अमेरिकी सैनिक इलाके में तैनात हैं।
-मधु आलोक निगम