31-Aug-2017 09:15 AM
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डोकलाम मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है। डोकलाम को लेकर चीन के साथ जारी तनाव के बीच जापान ने भारत का समर्थन किया है। जापान ने डोकलाम में भारतीय सेना की तैनाती को सही ठहराया है। जापान ने कहा है कि इस मामले को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। जापान ने साफ कहा है कि विवादित क्षेत्र में पूर्व की स्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।
भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामात्सु ने कहा है कि विवादित इलाकों में जो बात सबसे अहम होती है, वह यह है कि सभी सम्मलित पक्ष न तो बल का इस्तेमाल करें और न ही पूर्व की स्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश करें। वे मामले का शांतिपूर्ण हल निकालने की कोशिश करें। राजदूत ने कहा कि भारत की भूटान के साथ एक द्विपक्षीय समझौता है, इसी समझौते की वजह से भारतीय सैनिक वहां मौजूद है। उन्होंने यह भी कहा कि, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया है कि भारत चीन के साथ बातचीत की कोशिश जारी रखेगा। हम मानते हैं कि मामले के शांतिपूर्ण हल के लिए यह जरूरी है।Ó जापान ने कहा है कि वह मामले पर करीबी नजर रखे हुए है। जापान के रुख से भारत को इस मामले में नैतिक समर्थन मिला है। जापान का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भी इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की सलाह दी है।
डोकलाम का इलाका भूटान में आता है। सिक्किम के नाथुला दर्रे के पास करीब 300 वर्ग किलोमीटर का यह इलाका चीन की चुंबी वैली से सटा हुआ है। इस इलाके में चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश की थी। चीन के सड़क बनाने पर पहले भूटान फिर भारतीय सेना ने विरोध जताया। चीन ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहा कि जब विवाद चीन और भूटान के बीच है तो भारत उसमें दखलअंदाजी क्यों कर रहा है, जबकि भारत का कहना है कि चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश करके उसके और भूटान के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस इलाके में भारतीय सेना को रणनीतिक बढ़त हासिल है। चीन यहां सड़क बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। हर बार दोहरी बात करता है चीन डोकलाम विवाद पर चीन की तरफ से कई बार धमकियां दी गईं और उसने कई बार झूठ भी बोला, लेकिन चीन की चालबाजी का भारत पर कोई असर नहीं दिख रहा। भूटान द्वारा चीन का इलाका मानने की बात हो या फिर भारत द्वारा सैनिकों को वापस बुलाने की बात। चीन ने हमेशा दोहरी बात की है। दरअसल चीन का यही चरित्र है, कभी वह भारत से शांति की बात करता है तो कभी युद्ध की। भारत परिपक्व, चीन टीनेजरÓ अब तक नई दिल्ली ने सही चीजें की हैं। न तो वह विवाद में पीठ दिखाकर भागा है और न ही उसने पेइचिंग की तरह बढ़-चढ़कर भाषणबाजी से जवाब दिया है। सिक्किम गतिरोध पर भारत के संयमित व्यवहार और चीन के छिछलेपन पर अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में प्रोफेसर जेम्स आर होम्स ने बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा, भारत एक परिपक्व शक्ति की तरह बर्ताव कर रहा है, जबकि चीन किसी बदमिजाज किशोर की तरह व्यवहार करता हुआ नजर आ रहा है। उधर भूटान ने चीन के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें ड्रैगन की ओर से कहा गया था कि डोकलाम हमारे देश का हिस्सा है। भूटान की ओर से आए बयान के साथ ही एक बार फिर चीन का झूठ सामने आ गया है। भूटान ने कहा है कि उसकी तरफ से चीन को यह बात साफ की जा चुकी है कि भूटान की सीमा में सड़क का निर्माण वर्ष 1988 और 1998 में हुए समझौते का उल्लंघन है। दरअसल दो दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से यह दावा किया गया था कि भूटान इस बात को मान चुका है कि डोकलाम, हमारे देश का हिस्सा है। चीन बार-बार ले रहा यू टर्न डोकलाम विवाद पर चीन की ओर से दो तरह की बातें की जा रही हैं। जहां एक ओर चीन युद्ध की धमकी दे रहा है वहीं जानकारी मिल रही है कि चीन की सेना 100 मीटर पीछे हटने को सशर्त तैयार हो गई है।
कहीं स्वार्थ साधने की कवायद तो नहीं
भारत विश्व में सबसे बड़े उपभोक्ता वाला देश है। इसलिए सभी विकसित देश भारत में बाजार ढूंढ़ते हैं। जापान ने भारत के साथ दोस्ती का जो हाथ बढ़ाया है वह कहीं अपना स्वार्थ साधने की कोशिश तो नहीं है। दरअसल, चीनी उत्पादों के आगे जापान के उत्पादों का बाजार कम हुआ है। ऐसे में जापान की भी नजर भारत के उपभोक्ताओं पर है। वहीं खबरें आईं थीं कि चीन की ओर से कहा गया है कि वह विवाद वाली जगह से सशर्त 100 मीटर पीछे हटने को तैयार है। चीन के इस कदम के बाद भारतीय सेना भी पूर्ववत स्थिति में लौट जाएगी। कहा जा रहा है कि डोकलाम विवाद को सम्मानित तरीके से खत्म करने के लिए दोनों देश ऐसा कदम बढ़ाने को तैयार हुए हैं।
-मधु आलोक निगम