सरकार से ज्यादा अफसरों की कमाईÓ
16-Sep-2017 11:08 AM 1234932
किसान आंदोलन के बाद राजस्व विभाग की कारस्तानी को लेकर सजग हुई सरकार की सख्ती का असर दिखने लगा है। राजस्व विभाग में व्याप्त भर्राशाही दूर होने लगी है वहीं घोटालों की परतें भी खुलने लगी हैं। जिसमें यह बातें सामने आ रही है कि राजस्व विभाग के अफसर नामांतरण, डायवर्सन आदि में घपले-घोटाले करके सरकार से ज्यादा कमाई करते हैं। इंदौर में बड़ा घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने प्रदेशभर के राजस्व मामलों की पड़ताल शुरू कर दी है। इसी का परिणाम है कि सरकार ने राजस्व विभाग में अपने विश्वास पात्र अफसरों का अमला बढ़ा दिया है। प्रदेशभर में जमीन घोटाले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मुख्य सचिव बीपी सिंह ने दसों संभागों का दौरा कर कमिश्वर-कलेक्टर सहित राजस्व अधिकारियों की जमकर क्लास ली। संभागों के राजस्व कार्यों की समीक्षा के तहत जिलों से जुड़े एसडीएम क्षेत्रों की फाइलों में जमकर गड़बडिय़ां निकली हंै। पूरे प्रदेश में एसडीएम क्षेत्रों की हजारों फाइलों में गड़बड़ी होने की बात सामने आई है। अफसरों द्वारा बाहरी पक्षों के साथ मिलकर की गई गड़बडिय़ों से सरकार को करोड़ों के राजस्व नुकसान की आशंका है। इसीलिए मुख्य सचिव ने सख्त रूख अपनाया है। मुख्य सचिव अपना तूफानी निरीक्षण कर चुके हैं लेकिन उनके जाने के बाद से अफसरों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। अफसर डायवर्शन टैक्स की वसूली में जुट गए हैं। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह की संभागीय स्तर पर होने वाली राजस्व समीक्षा बैठकों में इंदौर संभाग सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरने में कामयाब रहा। क्योंकि खुद बीपी सिंह इंदौर के लंबे समय तक संभागायुक्त रहे हैं इसलिए वे बेहतर जानते थे कि इंदौर में निचले स्तर पर राजस्व अधिकारी जमीन की जादूगरी से किस तरह रुपया कमाकर आम लोगों के लिए परेशानी बने हैं। इस पर उस समय मुहर लग गई जब प्रदेश के इतिहास में पहली बार इंदौर के डिप्टी कलेक्टरो एवं तहसीलदारों की कोर्ट से अब तक चालीस करोड़ रूपए से अधिक के पोस्ट डेटेड चेक जब्त किए गए है। अफसरों और भू-माफिया का गठजोड़ मुख्य सचिव के दौरे के दौरान इंदौर के अधिकारियों का भू-माफिया और बिल्डरों से गठजोड़ भी उजागर हुआ। बिल्डरों और भू -माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए डायवर्सन के प्रीमियम और भू-भाटक के रूप में जमा राशि के चेक खजाने में जमा नहीं किए गए। कमिश्नर इंदौर द्वारा राजस्व न्यायालयों की कराई गई जांच में दर्जनों ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें बिना चेक या ड्राफ्ट लिए डायवर्सन के आदेश जारी कर दिए गए। कई मामलों में अधिक राशि ली गई और कम जमा कराई गई। मुख्यसचिव ने इसे गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद डायवर्सन के प्रीमियम और भू-भाटक की राशि जमा होना प्रारम्भ हो गई है। अब सरकार को लगता है कि प्रदेशभर में इसी तरह अफसरों, बिल्डरों और भू-माफिया ने मिलकर डायवर्सन के खेल में सरकार को करोड़ों की राजस्व हानि पहुंचाई होगी। इसलिए सरकार ने राजस्व विभाग पर और नजर गड़ा दी है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को राजस्व मामलों पर प्राथमिकता से निगाह रखने लगे हंै। कई जिलों में कलेक्टर रोजाना राजस्व मामलों के निपटारों की रिपोर्ट मंगाकर देख रहे हैं। खंगाली जा रही पुरानी फाइलें उधर इंदौर में डायवर्सन में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब सरकार ने सभी जिलों में डायवर्सन के पांच साल पुरानी फाइलों की पड़ताल करने का भी निर्देश दिया है। इससे इंदौर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में तबादला होकर गए अफसरों में भी हड़कंप मच गया है। पुरानी फाइलों में देखा जा रहा है कि किस अधिकारी ने कब डायवर्शन किया। डायवर्शन के बाद कितना प्रीमियम और टैक्स बना। यह टैक्स जमा हुआ है या नहीं, टैक्स जमा नहीं हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार अफसर ने क्या कदम उठाए थे। कुछ जिलों में तो कलेक्टरों ने राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि डायवर्शन की पांच साल पुरानी फाइलों को निकालकर एक-एक केस का प्रिंट आउट निकाला जाए। यह भी देखा जाए कि कितने प्रकरण दर्ज हुए हैं और उनमें टैक्स की क्या डिमांड निकल रही है। यदि प्रकरण दर्ज नहीं किए गए हैं तो दर्ज किए जाएं और टैक्स की गणना कर वसूली की जाए। पेंडिंग केसों की नहीं बनी लिस्ट राजस्व केसों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त रुख के बाद इंदौर में अफसरों पर कार्रवाई हुई, लेकिन कई ऐेसे जिले हैं जहां राजस्व मामलों को लेकर अफसर निष्क्रिय बने हुए हैं। 9 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्व मामलों के लंबित होने को लेकर जिस तरह का रुख अपनाया था और उसके बाद मुख्य सचिव ने सभी दसों संभागों का दौरा कर राजस्व मामलों की समीक्षा की थी उसके अच्छे परिणाम भले ही देखने को मिल रहे हैं, लेकिन कई जिलों में स्थिति अभी भी गंभीर है। सबसे बुरे हाल राजधानी भोपाल के हैं। यहां पर तहसीलवार ऐसा आंकड़ा ही इक_ा नहीं हुआ कि कहां, कितने केस कब से रुके हैं। एक ओर जहां मुख्य सचिव बीपी सिंह पूरे प्रदेश में दौरे करके राजस्व प्रकरणों की पेडेंसी की जानकारी ली है, वहीं, दूसरी ओर राजधानी में कितने राजस्व प्रकरण लंबित हैं, इसकी सही जानकारी अफसरों के पास है ही नहीं। लंबित मामलों की संख्या को उजागर करने में भी अफसर कोताही बरत रहे हैं। जाहिर है कि जिले की सभी सात नजूल वृत्तों में सैकड़ों मामले पेडिंग हैं, लेकिन जिले के अफसर आला अधिकारियों को गलत जानकारी भेज रहे हैं। जिले के एसडीएम और तहसीलदारों का दावा है कि उन्होंने बीते कुछ दिनों में 40 फीसदी से अधिक राजस्व प्रकरण हल कर दिए हैं, लेकिन वे रिकार्ड बताने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार जिले के प्रशासनिक अफसर गलत जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने अभी 20 प्रतिशत मामले भी हल नहीं किए हैं। सबसे अधिक हुजूर, बैरसिया, एमपी नगर में प्रकरण लंबित हैं। वकीलों के तारीख बढ़वाने से बढ़ी पेंडेंसी सीएम और सीएस की चेतावनी के बाद बीते कुछ दिनों से तहसील कार्यालयों में खूब काम दिख रहा है। सभी विभागीय अफसर बंद कमरे में काम करते दिख रहे हैं, लेकिन उसका असर बाहर नहीं दिख रहा। आवेदक अब भी चक्कर काट रहे हैं। कितने प्रकरण निपटे इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। जिले के कुछ अफसरों का कहना है कि वे राजस्व प्रकरण निपटाने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं, लेकिन प्रकरणों को लडऩे वाले वकील जानबूझकर पेडेंसी बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। तारीख तय करने के बाद वे तारीख पर नहीं आते हैं और बाद में आगे की तारीख बढ़ाने का दबाव बनाते हैं। इस कारण प्रकरण की तारीख आगे बढ़ रही है। इसी तरह की स्थिति प्रदेश के कई अन्य जिलों की है। ऐसे जिलों में ग्वालियर का भी नाम आता है। दरअसल ग्वालियर में राजस्व विभाग में तैनात अफसरों द्वारा सबसे अधिक खेल किया गया है। पिछले दिनों ग्वालियर में वेब जीआईएस साफ्टवेयर के माध्यम से जमीनों के हेरफेर का बड़ा मामला सामने आया था। अब सरकार के निर्देश के बाद यहां के अफसर नामांतरण, डायवर्सन आदि का खाका तो तैयार कर रहे हैं, लेकिन उनकी रफ्तार धीमी है। जानकार बताते हैं कि आने वाले दिनों में सरकार के सामने कई और घोटाले सामने आएंगे जिसमें कई अफसरों और नेताओं की कलई खुलेगी। खासकर ग्वालियर में पदस्थ रहे अफसरों पर भूमि घोटाले की गाज गिरने की संभावना है क्योंकि यहां पदस्थापना के दौरान अफसरों ने जमीनों का खूब खेल खेला है। एक माह में 70 करोड़ की आय राजस्व के लंबित मामलों में कार्रवाई न करने वाले अफसरों पर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने नकेल क्या कसी की एक माह में 70 करोड़ रुपए की आय सरकार को हो गई। आने वाले दिनों में सरकार का खजाना और तेजी से भरने की उम्मीद है। यही नहीं प्रदेश के राजस्व न्यायालयों में दो माह में 7.5 लाख नए केस दर्ज हो गए हैं। नौ जुलाई को सीएम द्वारा की गई समीक्षा के दौरान रेवेन्यू कोर्ट में दर्ज मामलों की संख्या करीब साढ़े तीन लाख थी जो अब 12 लाख तक पहुंच गई है। मुख्य सचिव द्वारा प्रदेश के राजस्व न्यायालयों के औचक निरीक्षण करने की पिछले माह की गई कार्रवाई के बाद इसमें तेजी आई है। राजस्व न्यायालयों में 11 लाख 89 हजार केस दर्ज हो चुके हैं। इसमें विवादित नामांतरण के 1.59 लाख, बंटवारे के 1.02 लाख, सीमांकन के 58 हजार मामले शामिल हैं। 9 जुलाई को मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान की गई समीक्षा की अवधि तक कुल दर्ज केस संख्या 3.49 लाख थी। इतनी अधिक संख्या में केस दर्ज किए जाने के पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार द्वारा राजस्व मामलों के निराकरण में की जाने वाली सख्ती है जिसमें दो माह में कोर्ट की गड़बड़ी सुधारने का समय दिया गया। संभावना जताई जा रही है कि एक अक्टूबर से राजस्व वर्ष शुरू होने से पहले राजस्व विभाग पटरी पर आ जाएगा। 28 को समीक्षा और 1 अक्टूबर से जिलों में जाएंगे सीएस दसों संभागों की समीक्षा के बाद मुख्यसचिव बसंत प्रताप सिंह ने 28 सितम्बर को सभी संभागायुक्तों की बैठक मंत्रालय में बुलाई है। जिसमें उनके द्वारा संभागीय समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों का पालन प्रतिवेदन मांगा गया है। इस बैठक में मुख्य सचिव संभागों में लंबित केसों के निराकरण के मामलों की पड़ताल करेंगे। इसके बाद 1 अक्टूबर को शुरू हो रहे राजस्व वर्ष पर मुख्य सचिव फिर प्रदेश के दौरे पर निकलेंगे और निर्देशों के पालन की जमीनी हकीकत देखेंगे। बताया जाता है कि इस बार मुख्यसचिव के दौरे और बैठकें संभागीय नहीं बल्कि जिला मुख्यालयों पर होगी। जिसमें उस संभाग के सभी अधिकारी उपस्थित रहेंगे। इसमें गलती पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। उधर आने वाले समय में राजस्व विभाग पर दोहरा भार पडऩे की संभावना है। दरअसल प्रदेश में निर्मित हो रहे सूखे के हालात के कारण राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को इस कार्य में भी लगाया जाएगा। द्यकुमार राजेंद्र
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