ई-पंचायत का सपना टूटा
16-Sep-2017 09:31 AM 1234769
मप्र में पंचायतीराज व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए प्रदेश की सभी 23 हजार 6 ग्राम-पंचायतों को ई-पंचायत में परिवर्तित करने का कार्यक्रम शुरू किया गया था। कहीं की ईंट कहीं का पत्थर जोड़कर मप्र पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्राम पंचायतों को हाईटेक बनाने का काम शुरू किया गया था, लेकिन ई-पंचायतों का प्लान सिर्फ फाइलों में तैयार होकर रह गया। उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका क्योंकि प्रदेश में करीब 10 हजार ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां अभी तक भवन ही तैयार नहीं हो पाए हैं। ग्राम पंचायतों के सरपंच और सचिवों के दम पर प्रदेश के मुखिया लगातार चौथी बार सत्ता पाने का ख्वाब देख रहे हैं। पंचायतों की तरक्की के लिए ताबड़तोड़ धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसके बावजूद विकास शून्य है। इसी कड़ी में पंचायत भवनों का निर्माण भी आ रहा है। विभिन्न योजनाओं के तहत जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को करोड़ों रुपए दिए गए, लेकिन हालात यह हैं कि अभी तक लक्ष्य के अनुसार स्वीकृत भवनों का निर्माण नहीं कराया गया है। न ही ई-पंचायतें तैयार हो पाईं। जबकि होना यह था कि पंचायतों में भवनों के निर्माण के साथ एक अलग से ई-पंचायत कक्ष तैयार होना था। इसमें एक कम्प्यूटर सिस्टम और प्रिंटर एवं इंटरनेट कनेक्शन कराया जाना था। प्रदेशभर की पंचायतों को इंटरनेट के माध्यम से जोडऩे के लिए एकमुश्त रकम जारी की गई थी, लेकिन आज छह साल बाद भी योजना साकार होती नहीं दिख रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 ई-पंचायत योजना प्रारंभ हुई थी, जिसके चलते सभी पंचायतों को लगभग 1 लाख 50 हजार तक की सामग्री भी दी गई थी, लेकिन इस योजना पर सक्रियता से कार्य नहीं होने के कारण वर्तमान में कई सरपंच-सचिवों ने उक्त कम्प्यूटर व एलसीडी अपने-अपने घरों पर ले जाकर रख लिया है, तो कई जगह चोरी होने की खबर भी है। उधर, सरपंच एवं सचिवों की मानें तो जिला पंचायतों में बैठे अधिकारी राशि देने में आनाकानी कर रहे हैं। ई-पंचायत की डिजाइन जमा करने के बावजूद राशि जारी नहीं की जा रही है। राशि देने के लिए महीनों भटकाया जा रहा है। इसके साथ ही कम्प्यूटर लगाने के लिए जो राशि आ रही है, उसको भी सीधे खातों में नहीं डाला जा रहा है। आरोप है कि जब ऊपरी स्तर से ही ऐसे हालात हैं तो आखिर कैसे ई-पंचायतों को तैयार किया जा सकता है। जिन पंचायतों में ई-पंचायत शुरू की गई है उनमें से अधिकांश जगह उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इंटरनेट और बिजली के अभाव में यह सामान महज शो-पीस बना हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजीटल इंडिया का जो सपना संजो रखा है वह पहली ही पायदान पर दम तोड़ रहा है। आलम यह है कि ई-पंचायत के माध्यम से सरकार ने लोगों को उनके घर के पास सुविधाएं मुहैया कराने का जो सपना देखा था वह भर्राशाही की भेंट चढ़ गया है। ई-पंचायत का फायदा ई-पंचायत योजना का उद्देश्य हटकर था। प्लान बनाया गया था कि ई-पंचायत होने से हर पंचायत को ब्लॉक, जिला और प्रदेश से जोड़ा जाएगा, ताकि पंचायत के काम की समीक्षा जिला प्रशासन व जिला पंचायत कर सके। वही ई-पंचायत का सीधा कनेक्शन भोपाल से भी रहेगा, जिसके चलते पंचायत में होने वाले हर निर्माण कार्य पर सरकार नजर रख सकेगी, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज तक उक्त योजना जमीनी स्तर पर पूर्ण नहीं हो पाई है। सभी पंचायतों को कनेक्ट करने के लिए नेटवर्क केबल डालने का कार्य विगत कई वर्षों से चल रहा है। जो ई-कक्ष बनाए गए थे वे भी क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। प्रदेश की अधिकांश पंचायतों के हालात कुछ और बयां कर रहे हैं। यहां पर कहीं कम्प्यूटर, स्केनर धूल खा रहे हैं तो कहीं चोरी हो गए। टीवी कहीं सचिव और सरपंच के घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं तो कहीं नदारद ही हो गई हैं। दरअसल न ही विभाग और न ही सरकार ई-पंचायत को लेकर तत्पर दिखी। - नवीन रघुवंशी
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