31-Aug-2017 09:09 AM
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से अपने भाषण में कई मुद्दों पर को छुआ। महंगाई, जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी से लेकर कश्मीर और तीन तलाक पर भी बोले, लेकिन गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद करने के बाद मासूमों की मौत पर उतने सख्त नहीं दिखे, जितने कि लोगों ने आशा की थी। मोदी बस इस दुखद घटना पर मरहम लगा कर चुप रह गए। जबकि ऐन स्वतंत्रता दिवस के पूर्व हुए इस घटनाक्रम से पूरी मानवता कांप गई थी। प्रधानमंत्री ने जिस तरह चुन-चुन कर मुद्दों पर भाषण दिया उससे ऐसा लगा रहा था जैसे वे अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी सुरक्षित करने की जुगत में लगे हुए हैं। इसलिए उन्होंने सिर्फ उन्हीं मुद्दों को हवा दी जिससे भाजपा का भला हो सके। उनका भाषण सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे उन पर संघ का दबाव हो कि ऐसे मुद्दों को न उठाएं जिससे भाजपा का वोट बैंक खिसके। इसलिए उन्होंने गोरखपुर में बच्चों की मौत, गौरक्षकों के आतंक जैसे मुद्दों को नसीहत के तौर पर केवल छूकर निकल गए।
रोजगार के मोर्चे पर प्रधानमंत्री ने कोई ठोस टिप्पणी नहीं की, पुरानी बातें ही दुहराईं कि कैसे लोग स्व-निवेश कर रहे हैं और दूसरों को रोजगार दे रहे हैं, लेकिन रोजगार सृजन की असल कहानी बहुत चिंताजनक है। निर्माण क्षेत्र में बढ़ोत्तरी नहीं है। रोजगार सृजन की बजाय पहले से आबाद क्षेत्रों में बदहाली और बेरोजगारी बढ़ी है। निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है। देश की आजादी को 70 साल हो चुके हैं। हमारे भारत देश ने इन 70 सालों पर तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। इस देश ने आजादी के तुरंत बाद युद्ध झेला है, तो आजादी के दो दशकों में 3 युद्ध। ये अलग बात है कि भारत देश ने हमेशा हर चुनौतियों से निपटने में सफलता पाई, लेकिन कई चुनौतियां आज भी सरकार के लिए चुनौती बनकर खड़ी है। इनमें गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, अर्थव्यवस्था में सुधार, विदेशों में जमा कालेधन की वापसी, भ्रष्टाचार, उच्च शिक्षा में सुधार, स्वास्थ्य, आंतरिक सुरक्षा और सांप्रदायिकता आदि मुख्य है।
विपक्ष और समाज के एक हिस्से में आज सरकार की नीति और नियति पर बड़े सवाल उठ रहे हैं कि सरकार योजना के तरह विपक्ष-शासित राज्यों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है और विपक्षी नेताओं, अपने आलोचकों और असहमत लोगों के खिलाफ टैक्स-टेरर या तरह-तरह के हथकंडों का सहारा ले रही है!
प्रधानमंत्री के तौर पर अपने चौथे भाषण के दौरान मोदी ने देश की फिजा में एक नया नारा घोल दिया...भारत जोड़ोÓ। दरअसल, इसी 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे हुए हैं। उस वक्त भारत छोड़ोÓ की जमकर चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री ने उसी तर्ज पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत जोड़ोÓ का नारा दिया। मोदी का यह नारा साफ करता है कि वे संघ की राह पर हैं ताकि देश में भाजपा को और मजबूत किया जा सके। हम यूं भी कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री एक तीर से कई निशाने लगाने को तत्पर हैं। तभी तो देश के बिगड़े माहौल पर चिंता व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा, यह देश बुद्ध का है, गांधी का है। यहां आस्था के नाम पर हिंसा के रास्ते को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। साथ ही कश्मीरियों को गले लगाने की बात की, वहीं आतंकवादियों के खिलाफ सख्ती की बात भी कही। उन्होंने इसके लिए भी नारा दिया कि न गाली से, न गोली से बल्कि गले लगाने से कश्मीर में बदलाव होगा।Ó प्रधानमंत्री ने यह नारा उचित समय पर दिया है क्योंकि बहुत से कश्मीरी नौजवान मुख्यधारा में लौट रहे हैं। उन्होंने कश्मीरियों की ही नहीं बल्कि अलगाववादियों, आतंकियों को भी संदेश दिया की भारत की एकता अक्षुण है। इस एकता और अखंडता को जो भी तोडऩे की कोशिश करेगा उसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान और आतंकी संगठनों को संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम अकेले नहीं हैं, हमें पूरे विश्व का सहयोग मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि सेना ने कश्मीर में जनवरी से अगस्त माह तक 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है।
प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सबको साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया। पीएम ने कहा कि 21वीं शताब्दी में जन्मे लोगों के लिए 2018 खास है। उन्होंने कहा कि वह सब इस साल 18 वर्ष के हो जाएंगे। वे देश में अपना योगदान दे सकते हैं। यानी प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान संघ की उस रणनीति पर था कि देशवासियों को सपने दिखाओ और 2022 तक अपनी सत्ता को सुरक्षित रखने का भाव भरो।
विवादित मुद्दों से रहे दूर
अपने 55 मिनट के भाषण में पीएम मोदी ने किसी भी विवादित मुद्दे को नहीं छुआ। तीन तलाक और गोरक्षा जैसे मुद्दों पर परोक्ष या अपरोक्ष तरीके से उन्होंने बात की, लेकिन इसका विस्तार नहीं किया। उनके भाषण में विपक्ष या विपक्षी दलों के नेताओं पर भी कोई तंज नहीं था। मोदी ने इस बार अपने भाषण में अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया। पीएम मोदी ने आर्थिक रिफॉर्म से जुड़ी पहल का जिक्र तो किया, लेकिन महंगाई या रोजगार के घटते अवसरों के मुद्दे को नहीं छुआ। उनके भाषण में यह दोनों बातें नदारद रही। दरअसल जॉब की कमी और उद्योग जगत में छंटनी को लेकर पिछले दिनों काफी विवाद हुआ था और विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया था। शायद यही वजह होगी की मोदी विवादित मुद्दों से बचते रहे।
55 मिनट गुणगान में
प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का भी अपने भाषण में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद 3 लाख करोड़ बैंकों में आए। देशवासियों की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि लोगों के धैर्य के कारण ही नोटबंदी सफल रही। दूसरी ओर कुछ लोग नोटबंदी के बाद यह कहने से भी नहीं चूके कि अब तो मोदी गया। मोदी ने कहा कि नोटबंदी के फैसले से काला धन रखने वालों की भी कमर टूट गई। इस दौरान तीन लाख फर्जी कंपनियों की पहचान हुई। कालेधन के अवैध कारोबारी इस तरह की कंपनियों का संचालन करते थे। पौने दो लाख के लगभग शैल कंपनियों के ऑफिसों पर ताले लग गए। उन्होंने कहा कि 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिनकी आय घोषित आय से ज्यादा है। दो लाख करोड़ तक कालाधन बैंकों में जमा हुआ है। यह धन शक के दायरे में है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए सरकार के प्रयास जारी है। पीएम ने इस बार अपने भाषण में उन महत्वाकांक्षी योजनाओं का जिक्र नहीं किया, जो चुनाव से पहले या सरकार बनने के बाद उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। बुलेट ट्रेन या स्मार्ट सिटी जैसी योजनाओं का जिक्र भी अपने भाषण में नहीं किया।
- दिल्ली से रेणु आगाल