04-Feb-2013 08:58 AM
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तेलंगाना मुद्दे पर वादाखिलाफी पर कांग्रेस को आंध्र में अब मोर्चों पर लड़ाई लडऩी पड़ रही है। वादाखिलाफी करने वाले कांग्रेसी नेताओं सोनिया गांधी, वित्तमंत्री पी. चिदंबरम, गृहमंत्री सुशील शिंदे के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। तेलंगाना के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों ने धमकी दी है कि यदि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन से कांग्रेस दूर हटती है तो वे कांग्रेस की सदस्यता छोड़ देंगे। उधर प्रदेश में कांग्रेस के लिए मजलिस-ए इत्हादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने धमकी दी है कि वे सरकार को अब नहीं छोड़ेंगे। एमआईएम ने असदउद्दीन ओवैसी की गिरफ्तारी के विरोध में कहा है कि सरकार लोकतांत्रिक या अलोकतांत्रिक जिस भी तरीके से चाहे वह मुकाबला करने को तैयार है।
लेकिन ओवैसी से ज्यादा बड़ी चुनौती तेलंगाना मुद्दा बनता जा रहा है। तेलंगाना के मुद्दे पर कांग्रेस के अंदर ही घमासान मच गया है। तेलंगाना राष्ट्र समिति ने भी अपना आंदोलन तेज कर दिया है। हाल ही में जब पृथक तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर किए जा रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने रोक लगा दी थी तो टीआरएस के नेताओं ने हैदराबाद में विरोध प्रदर्शन किया और उनमें से बहुतो को गिरफ्तार कर लिया गया। तेलंगाना क्षेत्र में भी इसी तरह की घटनाएं लगातार सुनाई पड़ रही हैं। रेलियां निकाली जा रही हैं तथा छात्र संगठन भी विरोध में उतर आए हैं। यद्यपि पुलिस ने तेलंगाना और हैदराबाद के अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है, लेकिन स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है और यह विस्फोट अब बड़े प्रदर्शन का रूप अख्तियार कर रहा है। कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेगी, लेकिन कांग्रेस की इस धीमी चाल को उसी के सांसद बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं। तेलंगाना समर्थक कांग्रेस सांसदों ने पार्टी छोडऩे की जो धमकी दी है वह अनायास नहीं है। सांसद जगन्नाथम का कहना है कि कांग्रेस तेलंगाना की जनता के साथ विश्वासघात कर रही है। लोगों को एक या दो बार

समझाया जा सकता है, लेकिन यदि कांग्रेस टालमटोल करती रही तो पार्टी की प्रतिष्ठा राज्य में बहुत गिर जाएगी तथा चुनाव जीतना भी कठिन हो जाएगा। कुछ अन्य सांसद भी इसी प्रकार नाराज बताए जाते हैं। उधर जेल में बंद जगनमोहन रेड्डी जनता की सहानुभूति लगातार प्राप्त कर रहे हैं। उनके समर्थकों ने अब यह प्रचार करना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस ने जानबूझकर रेड्डी को अकारण लंबे समय तक जेल में रखा हुआ हैं और कांग्रेस का मकसद है कि वह रेड्डी के जेल में रहते-रहते चुनाव में जाए ताकि रेड्डी की मौजूदगी से होने वाला नुकसान कांग्रेस को न हो। रेड्डी का जेल में रहना कांग्रेस की लोकप्रियता के लिए अब घातक सिद्ध होने लगा है। जनता के एक वर्ग का मानना है कि रेड्डी के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें जमानत न देकर सीबीआई मामले को अकारण लंबा खींचने पर तुली हुई है।
ज्ञात रहे कि जगनमोहन रेड्डी को बीते साल आंध्र प्रदेश में हुए उपचुनाव से पहले अचानक सीबीआई ने गिरप्तार किया था तब से वे हैदराबाद के चंचलगुड़ा जेल में बंद हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश में जून 2012 में उपचुनाव भी हुए और जगनमोहन के जेल में रहते हुए भी उनकी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने राज्य में भारी जीत भी दर्ज की, लेकिन जगनमोहन रेड्डी को अभी तक जमानत नसीब नहीं हुई है। जगनमोहन रेड्डी के वकील सुप्रीम कोर्ट तक अपनी अर्जी लगा चुके हैं लेकिन तकनीकि तौर पर सीबीआई ने इतनी अड़चन लगा रखी है कि अदालतें जगन को जमानत नहीं दे रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जगनमोहन के मामले में निर्देश दे रखा है कि एक बार अगर सीबीआई चार्जशीट फाइल कर देती है तो स्थानीय सीबीआई अदालत में जगनमोहन रेड्डी की जमानत पर नियमित सुनवाई हो सकती है। लेकिन सीबीआई है कि आठ महीने में अभी तक चार्जशीट ही तैयार नहीं कर पाई है।
इसी 4 जनवरी को सीबीआई ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट को जो स्टेटस रिपोर्ट दी है उसमें कहा है कि उसकी जांच इसलिए तेज गति से नहीं हो पा रही है क्योंकि राज्य सरकार से उसे सहयोग नहीं मिल रहा है। 22 जनवरी को हाईकोर्ट के सामने सीबीआई के वकील ने एक बार फिर यही तर्क रखा। जिसके बाद आज हाईकोर्ट ने जगनमोहन रेड्डी को जमानत देने से मना कर दिया। जगनमोहन रेड्डी ने हाईकोर्ट में दूसरी जमानत याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि सीबीआई ऐसी जांच कर रही है जो कभी खत्म ही नहीं होगी। सीबीआई के इसी रुख को अपना आधार बनाते हुए जगनमोहन रेड्डी की ओर से जमानत याचिका दायर की गई थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। उधर दूसरी ओर कांग्रेस कथित तौर पर सीबीआई का इस्तेमाल करके अपनी जिस राजनीतिक जमीन को बचाने की कोशिश कर रही है उसका दरकना लगातार जारी है। कांग्रेस के दो और विधायक कांग्रेस से टूटकर वाईएसआर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। काकीनाड़ा से कांग्रेस के विधायक डी चंद्रशेखर रेड्डी के बाद ही कांग्रेस के एक और विधायक पी वेंकटेश्वर राव ने विधानसभा से इस्तीफा देकर वाईएसआर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया। पेरनी नानी के नाम से मशहूर पी वेंकटेश्वर राव ने चंचलगुड़ा जेल जाकर जगनमोहन रेड्डी से मुलाकात की और वाईएसआर कांग्रेस ज्वाइन करने का ऐलान किया। इन इस्तीफों के बाद प्रदेश में कांग्रेस के पास बहुमत से केवल एक सीट ज्यादा है। प्रदेश की 294 सदस्यों वाली विधानसभा में अब कांग्रेस के पास 148 विधायक बचे हैं। आंध्र प्रदेश में वर्तमान कांग्रेस सरकार का कार्यकाल मई 2014 तक है जिसके बाद ही राज्य में अगला विधानसभा चुनाव होगा।
-टीपी सिंह